नमो देव्यै, महादेव्यै: बढ़ते कूड़े के पहाड़ से चितित भावना ने शुरू किया कचरा प्रबंधन

समाज सेवा करने का मन तो सभी का होता है पर समाज सेवा के लिए पूरा जज्बा और लगन का होना जरूरी है। शुरुआत में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 02:07 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 02:07 PM (IST)
नमो देव्यै, महादेव्यै: 
बढ़ते कूड़े के पहाड़ से चितित भावना ने शुरू किया कचरा प्रबंधन
नमो देव्यै, महादेव्यै: बढ़ते कूड़े के पहाड़ से चितित भावना ने शुरू किया कचरा प्रबंधन

महावीर यादव, बादशाहपुर

समाज सेवा करने का मन तो सभी का होता है, पर समाज सेवा के लिए पूरा जज्बा और लगन का होना जरूरी है। शुरुआत में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन जब मिशन कामयाबी की ओर बढ़ता है तो कारवां बढ़ता चला जाता है। कचरा प्रबंधन के लिए जुटीं सेक्टर-53 के विपुल बेल्मोंट की भावना शर्मा को भी शुरुआती दौर में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन पूरे जज्बे के साथ अपने मिशन को कामयाब बनाने में जुटीं भावना शर्मा ने बाधाओं को पार करने में सफलता हासिल की। उनके जज्बे और लगन की बदौलत आज पूरी सोसायटी उनके साथ कचरा प्रबंधन में सहयोग कर रही है।

भावना शर्मा ने तीन साल पहले कचरा प्रबंधन पर काम शुरू किया। सोसायटी में रहने वाले कई लोगों ने उनको प्रोत्साहित करने के बजाय हतोत्साहित किया। भावना शर्मा ने लैंडफिल साइट के बोझ को कम करने के लिए लोगों को कई तरह की प्रस्तुति भी दी। आरडब्ल्यूए को भी इसमें सहयोग करने का आग्रह किया। कुछ दिनों तक उनकी बात को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया, पर धीरे-धीरे लोग उनके काम से प्रभावित होने लगे। एक साल में ही सोसायटी के सभी निवासी उनके इस मिशन के साथ जुड़ गए। वे अपने मिशन में पूरी तरह से कामयाब हुई।

सूखे कूड़े को अलग अलग करने का काम शुरू किया गया। इस सूखे कूड़े के निष्पादन के लिए कई कंपनियों से संपर्क किया। दो कंपनियां सूखे कूड़े के निष्पादन के लिए आगे आईं लेकिन कुछ दिन बाद उन्होंने भी अपना परिचालन बंद कर दिया। उसके बाद भावना शर्मा ने सूखे कूड़े के निष्पादन के लिए फिर से योजना बनानी शुरू की। इस सूखे कूड़े में से भी कागज और गत्ता अलग अलग करने की योजना बनाई गई। इसमें पूरी सोसायटी में सभी परिवार तो नहीं जुड़े। पर काफी परिवार कागज और गत्ता अलग अलग करने में भी सहयोग करने लगे। अब इसमें से प्लास्टिक अलग कंपनी को और कागज अलग कंपनी को दिया जाता है। यह प्लास्टिक और कागज इन कंपनियों के पूरी तरह से काम में आ जाता है। बंधवाड़ी लैंडफिल में कूड़े का जाना काफी कम हो जाता है।

भावना शर्मा का कहना है कि पूरी सोसायटी में कचरा प्रबंधन हो रहा है। लेकिन आज 40 घरों में से तो सभी प्रकार का कूड़ा पूरा अलग अलग होकर आता है। 40 परिवार उनकी इस मुहिम में पूरी तरह से जुड़ गए। इन 40 घरों का सैनीटरी वेस्ट ही अब सोसायटी से बाहर जाता है।

भावना शर्मा के साथ सहयोग करने वाली नीना गुप्ता भावना शर्मा के जज्बे की कायल हैं। वे कहती हैं कि कचरा प्रबंधन के लिए पूरी तरह से समर्पित होकर लगी रहीं। जब भावना ने काम शुरू किया तो वह एक स्कूल में जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने का भी काम करती थीं। भावना शर्मा के पास अपशिष्ट प्रबंधन के कई बेहतरीन फार्मूले हैं। उनको लागू कर समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

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