नमो देव्यै: लेखिका अद्वैता काला ने कोरोना काल में लिखी इंसानियत की पटकथा
गुरुग्राम के सेक्टर 56 निवासी अद्वैता काला ने फिल्मों और धारावाहिकों के साथ-साथ इंसानियत की भी पटकथा लिखी है।
प्रियंका दुबे मेहता, गुरुग्राम
गुरुग्राम के सेक्टर 56 निवासी अद्वैता काला ने फिल्मों और धारावाहिकों के साथ-साथ इंसानियत की भी पटकथा लिखी है। 'कहानी' और 'अनजाना-अनजानी' जैसी फिल्मों की लेखक अद्वैता ने कोरोना महामारी की शुरुआत से ही ऐसा काम किया कि लोगों की लिए वह नजीर बन गईं। अद्वैता ने इस दौरान गुरुग्राम में कम्यूनिटी किचन की शुरुआत की और लोगों ने इसे हाथों हाथ लिया। बाद में इस कान्सेप्ट को बहुतों ने अपनाया और जरूरतमंदों को बड़ी मदद पहुंची। ऐसे हुई शुरुआत
अद्वैता की एक मित्र फूड डिलिवरी का काम करती थीं। जैसे ही इस महामारी का प्रकोप अमेरिका और इटली जैसे देशों में बढ़ने की खबरें फैलने लगी, फूड इंडस्ट्री से जुड़े लोग घबराने लगे। अद्वैता की मित्र भी परेशान हुईं और उन्होंने इनसे अपनी परेशानी साझा की। अद्वैता को अचानक ख्याल आया कि क्यों न वे मैन पावर और संसाधनों का उपयोग कर जरूरतमंदों की मदद करें। उन्होंने कहा कि वे कम्यूनिटी किचन चलाकर लोगों को इससे जोड़ेंगी और उन्होंने ऐसा ही किया। ..कारवां बनता गया
जब अद्वैता और उनकी मित्र ने मिलकर यह काम शुरू किया तो उन्हें अंदाजा नहीं था कि उन्हें बाहर से भी सहायता मिलने लगेगी। उन्हें कई कारपोरेट्स ने काफी मदद की। ऐसे में कुछ लोग उनके घर पर ही साबुन, बरतन, राशन जैसी चीजें पहुंचवाने लगे। लोगों का उत्साह देखकर अद्वैता को और प्रेरणा मिली और उन्होंने बड़े स्तर पर इस काम को शुरू कर दिया, जिससे बड़ी संख्या में जरूरतमंद लाभांवित होने लगे। लोग जुड़ने लगे और टीम बढ़ने लगी। अब भी उनकी टीम जरूरतमंदों को राशन मुहैया करवा रही है। सम्मान प्राप्त लेखक बनी प्रेरणास्त्रोत
जी सिने और स्क्रीन अवार्ड्स जैसे सम्मान प्राप्त कर चुकीं स्क्रीन प्ले राइटर, स्तंभकार और और बहुचर्चित उपन्यास 'आलमोस्ट सिगल' की लेखक अद्वैता का मानना है कि अगर सक्षम वर्ग चाह ले तो कमजोरों की मदद की जा सकती है, ऐसे में समाज में समानता लाने व इस वर्ग के उत्थान के लिए सक्षम वर्ग को आगे आना होगा। अद्वैता के प्रयासों के बाद जिन लोगों ने भी प्रेरणा ग्रहण की है, वे उसी को अपनी सफलता मानती हैं। 'कोई भी मदद छोटी नहीं होती'
अद्वैता संदेश देती हैं, 'इस दौर में अगर कोई छोटा सा योगदान या मदद भी कर सकता है तो कृपया करें, कोई भी सहयोग छोटा नहीं होता। देश को कोविड से लड़ने में मदद पहुंचाने के लिए सबसे पहले तो सभी लोग मास्क पहनें और फिर दूसरों की मदद को हाथ बढ़ाएं। निश्चित रूप से देशवासियों के जज्बे से कोरोना को मात मिलेगी।'