निगम की डायरी: संदीप रतन

निगम के झाडू वालों के चर्चे इन दिनों हर किसी की जुबान पर हैं। पहले एसई रमेश शर्मा के निलंबन मामले में धरना-प्रदर्शन तो अब एक दूसरे मामले में कुछ नए लोगों ने झंडा उठा लिया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 05:16 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 05:16 PM (IST)
निगम की डायरी: संदीप रतन
निगम की डायरी: संदीप रतन

झाडू वालों के चर्चे हर जुबान पर

निगम के झाडू वालों के चर्चे इन दिनों हर किसी की जुबान पर हैं। पहले एसई रमेश शर्मा के निलंबन मामले में धरना-प्रदर्शन तो अब एक दूसरे मामले में कुछ नए लोगों ने झंडा उठा लिया है। मामला नगर निगम की एक सफाई एजेंसी साई एंटरप्राइजेज के ठेकेदार सत्य से जुड़ा हुआ है। ठेकेदार यूं तो अकसर विवादों में रहता है, लेकिन पिछले सप्ताह सफाई कर्मियों ने ठेकेदार की एमजी रोड पर जमकर धुनाई कर दी। आरोप है कि ठेकेदार से जब कर्मचारियों ने वेतन मांगा तो गालियां मिलीं। कई कर्मचारियों ने उनके खातों से वेतन निकालने की भी शिकायत की है। इसको लेकर सफाई कर्मचारी व कुछ संगठन एकजुट होकर निगम कार्यालय पहुंचे थे। सफाईकर्मियों की शिकायत पर अब निगम अधिकारियों ने पुलिस को पत्र लिखकर एफआइआर दर्ज करने की सिफारिश की है। इस घटना से सबक लेकर अन्य सफाई ठेकेदारों को भी कार्यप्रणाली में सुधार कर लेना चाहिए। निगम में पीए लगवा दो

साइकिल से सीधे कार की सवारी करनी है तो नगर निगम में पीए (निजी सहायक) नियुक्त हो जाओ। कुछ ऐसा ही मानकर इस पद के लिए घमासान चल रहा है। गुरुग्राम निगम में चार संयुक्त आयुक्त हैं और इनके चार ही पीए हैं। इस पद को हासिल करने के लिए साम, दाम, दंड, भेद सहित हर तरह के पैंतरे अपनाए जा रहे हैं। हालांकि इस कुर्सी पर तनख्वाह मात्र पंद्रह से बीस हजार ही है, लेकिन मोटी कमाई के मामलों में कोई मुकाबला नहीं। हाल ही में संयुक्त आयुक्त-2 के बतौर पीए तैनात तरुण शर्मा का तबादला सेक्टर 34 स्थित डायरी-डिस्पैच शाखा में किया गया था। कुछ ही दिन बाद उनको नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। अधिकारियों ने आदेशों में लिखा है कि इस कर्मचारी के खिलाफ कई गंभीर शिकायतें मिली हैं। वैसे उच्चाधिकारी के आशीर्वाद के बिना एक क्लर्क की हिम्मत नहीं है कि बड़ी डील कर जाए। काम कम और सिफारिश ज्यादा

निगम अधिकारी काम कम और सिफारिश ज्यादा कर रहे हैं। सिफारिशों के चलते निगमायुक्त मुकेश कुमार आहुजा भी खासे परेशान हैं। आउटसोर्स के जरिये नियुक्त कर्मचारियों से लेकर उच्चाधिकारियों को मनचाही कुर्सी पर बैठाने के लिए संतरी से लेकर मंत्री तक के फोन आ रहे हैं। अब बात करते हैं ताजा मामले की। पिछले सप्ताह निगमायुक्त ने अपने कैंप कार्यालय में अधिकारियों की बैठक ली। इसी दौरान क्षेत्रीय कराधान अधिकारियों ने जोन बदलने के लिए आग्रह कर दिया। पहले भी जोन दो और तीन में नियुक्ति के लिए अधिकारी खूब पापड़ बेलते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों जोन में ही सरकारी खजाने के अलावा निगम वालों की भी खूब चांदी है। जोन दो में इन दिनों निगम की सरकारी दुकानों की रजिस्ट्रियां हो रही हैं। कुल एक हजार दुकानों को बेचने से निगम को आय होगी, लेकिन इसके साथ ही अधिकारी भी खुद की कमाई के फिराक में हैं। भूमाफिया की हो गई मौज

पुराने शहर में अवैध कालोनियां काटने और अवैध निर्माण करने वाले भूमाफिया की नजर अब नए शहर के इलाकों पर है। गुरुग्राम में एसपीआर (सदर्न पेरिफेरल रोड) पर कई अवैध कालोनियां काटकर अवैध निर्माण शुरू हो गए हैं। इस रोड पर कई रिहायशी कालोनियां विकसित होने के साथ ही माल व शापिग कांप्लेक्स भी बनने के कारण अवैध कालोनी काटने वाले सक्रिय हो गए हैं, लेकिन निगम की एन्फोर्समेंट टीम कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। गुरुग्राम नगर निगम में दिसंबर 2020 में भोंडसी तक का क्षेत्र शामिल हो गया है। मारुति कुंज और भोंडसी में भी कई कालोनियां काटी जा चुकी हैं। इसके अलावा मानेसर निगम का गठन होने के बाद यहां के गांवों व सोसायटियों के नजदीक अवैध कालोनियों में प्लाटों की खरीद-फरोख्त शुरू हो गई है। हालांकि एन्फोर्समेंट वालों को इसकी खबर है, लेकिन कार्रवाई नहीं होने से टीम की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग रहे हैं।

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