निगम की डायरी: संदीप रतन

चाय पर चर्चा के दौरान गृह एवं शहरी स्थानीय निकाय मंत्री के सामने जब भ्रष्टाचार की बात पहुंची तो मंत्री जी की गाड़ी चंडीगढ़ जाने के बजाय दूसरे दिन गुरुग्राम नगर निगम में पहुंच गई।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 04:04 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 04:04 PM (IST)
निगम की डायरी: संदीप रतन
निगम की डायरी: संदीप रतन

दिल्ली में निकली दिल की बात!

एक हफ्ते पहले दिल्ली के हरियाणा भवन में भाजपा की कोर ग्रुप की बैठक में पार्टी नेताओं ने अपने मन की बात कही। इसी दौरान गुरुग्राम नगर निगम में फैले भ्रष्टाचार को लेकर भी केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह और पूर्व राष्ट्रीय सचिव सुधा यादव के दिल की बात भी निकल गई। निगम में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर दिल्ली और चंडीगढ़ दरबार में पहले से ही चर्चे काफी हैं, लेकिन पिछले दो वर्ष में कार्रवाई कोई न होना ताज्जुब की बात है। चाय पर चर्चा के दौरान गृह एवं शहरी स्थानीय निकाय मंत्री के सामने जब भ्रष्टाचार की बात पहुंची तो मंत्री जी की गाड़ी चंडीगढ़ जाने के बजाय दूसरे दिन गुरुग्राम नगर निगम में पहुंच गई। औचक निरीक्षण के दौरान खूब गड़बड़ियां मिलीं, लेकिन ज्यादा सुधार नजर नहीं आ रहा है। लोग यही कह रहे हैं, मंत्री जी! मीटिग के बहाने ही सही, निगम में चक्कर लगाते रहिए।

मंत्री जी! आपके आदेशों की भी नहीं परवाह

मंत्री अनिल विज के औचक निरीक्षण के दौरान गायब रहे दो एसडीओ पर निलंबन की गाज गिरने के बाद भी गुरुग्राम नगर निगम में हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं। आदेशों का पालन करवाने के लिए निगम आयुक्त को भी बार-बार पत्र जारी करने पड़ रहे हैं। निगम में मूवमेंट रजिस्टर लगाने के आदेश दिए गए थे, यानी अगर कोई कहीं जाएगा तो पहले रजिस्टर में दर्ज करेगा। लेकिन बार-बार निगमायुक्त द्वारा ड्यूटी में कोताही नहीं बरतने के आदेश देने के बावजूद मनमर्जी की नौकरी चल रही है। शहर में चार जगहों पर निगम कार्यालय होने से भी अधिकारियों को इधर-उधर जाने का बहाना मिल जा रहा है। इस बात पर अनिल विज ने भी आपत्ति जताते हुए निगम कार्यालय एक ही जगह बनाने का आदेश दिया था। हालत यह है कि जब मंत्री के ही आदेश का पालन नहीं हो रहा तो निगम आयुक्त की बात को कौन सुनेगा।

तो अब स्पेशल सेल करेगा ई टेंडरिग

ई टेंडर। सुनने में बड़ा साफ-सुथरा लगता है और खुद में ही पारदर्शिता का आवरण लपेटे हुए है। लेकिन जनाब निगम में तो इसके मायने कुछ और ही हैं। ई टेंडरिग की शुरुआत घोटालों से बचने के लिए की गई थी। लेकिन हर तरह की कलाओं में माहिर सरकारी बाबुओं और अफसरों ने इसमें भी गड़बड़ी का रास्ता निकाल लिया। जितने भी ई टेंडर हो रहे हैं, सभी में धांधली के आरोप लग रहे हैं। जिस एजेंसी या कंपनी को टेंडर देना होता है, टेंडर की शर्तें भी उसी हिसाब से तैयार की जाती हैं। बाद में पूरी ईमानदारी दिखाते हुए टेंडर खोल दिए जाते हैं। निगम वालों की ये कारगुजारियां किसी से छिपी नहीं हैं। इन आरोपों से बचने के लिए निगम में अब एक नया ई टेंडरिग सेल बनाया गया है, जो सिर्फ टेंडर लगाने का काम करेगा। इस सेल की निगरानी मुख्य अभियंता को सौंपी गई है।

शहर में नहीं जेब में हरियाली

नगर निगम की बागवानी शाखा का काम शहर में हरियाली बढ़ाना है। सड़कों और पार्कों में तो हरियाली नहीं है, लेकिन अधिकारियों की जेब में जरूर हरियाली पहुंच रही है। निजी एजेंसियों को पार्कों की मरम्मत एवं रखरखाव का काम सौंपा गया था, लेकिन पार्कों में काम अधूरे पड़े हैं। पार्कों का एस्टीमेट बनाने में भी पारदर्शिता नहीं है। सेक्टर 9ए में स्मृति वाटिका के लिए बागवानी शाखा ने एक टेंडर लगाया है। झूले, बेंच और पौधे लगाने के नाम पर निगम वाले यहां पर 87.69 लाख रुपये खर्च करेंगे। ताज्जुब की बात ये है कि 12 हजार सजावटी पौधे लगाने का भी एस्टीमेट बनाया गया है। सेक्टर 9ए आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों का कहना है कि इस वाटिका में पहले से ही इतने घने पेड़ हैं कि कहीं भी नए पौधे नहीं लगाए जा सकते हैं। पार्कों की हालत खराब है और सिर्फ बिल ही मंजूर किए जा रहे हैं।

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