स्थानांतरित होगा मारुति का गुरुग्राम प्लांट, अभी जगह तय नहीं

देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड लंबे समय से अपने गुरुग्राम प्लांट को सहूलियत की ²ष्टि से हरियाणा में ही किसी और उचित स्थान पर स्थानांतरित करना चाहती है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 06:07 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 06:56 PM (IST)
स्थानांतरित होगा मारुति का गुरुग्राम  प्लांट, अभी जगह तय नहीं
स्थानांतरित होगा मारुति का गुरुग्राम प्लांट, अभी जगह तय नहीं

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड लंबे समय से अपने गुरुग्राम प्लांट को सहूलियत की दृष्टि से हरियाणा में ही किसी और उचित स्थान पर स्थानांतरित करना चाहती है। स्थान के चयन को लेकर कंपनी प्रबंधन और प्रदेश सरकार के बीच लगातार बातचीत जारी है, मगर अभी तक अंतिम रूप से जगह तय नहीं हो पाई है। बताया जा रहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा कंपनी को मानेसर, सोहना और सोनीपत जिले में पड़ने वाले खरखौदा का विकल्प दिया गया है।

मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन आरसी भार्गव का कहना है कि गुरुग्राम प्लांट के आसपास आबादी अधिक हो गई है। यहां यातायात जाम जैसी समस्या हमेशा बनी रहती है। इससे कच्चे और तैयार माल की आवाजाही में मुश्किल हो रही है। वैसे देखा जाए तो मौजूदा प्लांट में काम को लेकर कोई परेशानी नहीं है। कंपनी सिर्फ बाहरी दिक्कत के कारण इसे स्थानांतरित करना चाहती है। आरसी भार्गव से जब यह पूछा गया कि प्लांट को स्थानांतरित करने के लिए जमीन कब तक मिल जाएगी, इस पर उन्होंने कहा कि अभी कुछ ठोस नहीं कहा जा सकता है। इस मामले में सरकार से लगातार बातचीत चल रही है। जैसे ही जगह तय हो जाएगी तो आगे की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

बता दें कि मारुति सुजुकी इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ केनिची अयुकावा पहले ही यह बात कह चुके हैं कि कंपनी अपने गुरुग्राम प्लांट को कहीं और स्थानांतरित करना चाहती है। इसे लेकर हरियाणा सरकार से लगभग 1,000 एकड़ जमीन की मांग की गई है। उस समय सरकार ने रोहतक, करनाल, फरीदाबाद और धारूहेड़ा में नई साइटों की पेशकश की थी। अब मानेसर, सोहना और खरखौदा में जमीन की बात कही जा रही है। देखना है कि कंपनी किस विकल्प का चुनाव करती है। कंपनी ने अपने प्लांट को स्थानांतरित करने के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की है। इस पर अमल में चार से पांच साल का समय लगेगा।

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