लाइफस्टाइल: महामारी के जख्मों पर शीतलता का मरहम लगाते संगीत के सुर

महामारी के दौर में संगीत ने लोगों को न केवल भावनात्मक संबल दिया है बल्कि उनके खाली वक्त का संगी भी बना है। चिता दूर करने के लिए लोगों ने म्यूजिक एप उपकरणों और संगीत गुरुओं की शरण ली।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 06:04 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 06:25 PM (IST)
लाइफस्टाइल: महामारी के जख्मों पर शीतलता का मरहम लगाते संगीत के सुर
लाइफस्टाइल: महामारी के जख्मों पर शीतलता का मरहम लगाते संगीत के सुर

प्रियंका दुबे मेहता, गुरुग्राम

महामारी के दौर में संगीत ने लोगों को न केवल भावनात्मक संबल दिया है बल्कि उनके खाली वक्त का संगी भी बना है। चिता दूर करने के लिए लोगों ने म्यूजिक एप, उपकरणों और संगीत गुरुओं की शरण ली। हाल ही में हुए अध्ययन के अनुसार 57 प्रतिशत लोगों ने संगीत को अपना संगी बनाया। 42 प्रतिशत लोगों ने संगीत में अपने दर्द की दवा पाई और ऐसे ही कई आंकड़े हैं जिसमें लोगों ने स्मार्टफोन पर म्यूजिक विशेष एप लिए या फिर नए संगीत उपकरण खरीदे। मानसिक सुकून के लिए संगीत: म्यूजिक थेरेपिस्ट सुनीता शर्मा का कहना है कि जब लोग बेहद परेशान हुए, उनका विश्वास डगमगाने लगा और हाथ से चीजें रेत की तरह फिसलने लगीं तो उन्होंने दो चीजों पर भरोसा किया, एक परमात्मा और दूसरा संगीत। सुनीता का कहना है कि उनके पास ऐसे लोग भी आ रहे हैं जो इन चीजों को कभी मानते ही नहीं थे, लेकिन अब उन्हें म्यूजिक थैरेपी से काफी राहत मिली है। आइटी कंपनी कर्मी नीतिका गौड़ का कहना है कि जब हालात खराब हुए और मानसिक अस्थिरता का दौर आया तो वे संगीत से जुड़ीं। संगीत के आरोह-अवरोह: महामारी में संगीत और रागा थेरेपी से लोगों को उपचार दे रहीं 'सुर-हील' थेरेपी एप की संस्थापक रूनकी गोस्वामी का कहना है कि संगीत निश्चित तौर पर सुरों के आरोह-अवरोह से मानसिक अवस्था को प्रभावित करता है। इससे खुशी देने वाले हार्मोंस की मात्रा बढ़ती है। सुरों के इन्हीं उतार-चढ़ाव से खुशी देने वाले हार्मोंस प्रेरित होते हैं और मन से नकारात्मकता दूर होती है। बाल मन पर संगीत का जादू: प्रीत विहार निवासी मंजुला शर्मा का कहना है कि उन्होंने महामारी के दौर में बहुत से अपनों को खोया ऐसे में उनके चारों तरफ नकारात्मकता फैल गई थी। उनमें मानो जीने का उत्साह ही खत्म हो गया था, बच्चे भी परेशान रहने लगे थे। जब उन्होंने म्यूजिक उपकरण लिए और संगीत से नाता जोड़ा तो धीरे-धीरे उन्हें लगा कि उनकी और बच्चों की मानसिक स्थिति में बदलाव आया, फिर से जीवन जीने की प्रेरणा मिली।

संगीतज्ञ ज्योत्सना राणा का कहना है कि महामारी ने जिस तरह से जिदगियों को प्रभावित किया है उसमें बच्चों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। ऐसे में वे संगीत के जरिये बच्चों को फिर से सामान्य और सकारात्मक अवस्था में लाने का प्रयास कर रही हैं। संगीत बदल सकता है दुनिया

रुनकी गोस्वामी का कहना है कि सुरीला संगीत सुना जाए तो माहौल को पूरी तरह बदलकर सकारात्मक विचारों को फिर से पाया जा सकता है।

- संगीत कभी भी सुना जा सकता है, ऐसे में जब भी नकारात्मक विचार आएं, संगीत सुनें।

- संगीत सुरीला हो, शास्त्रीय संगीत विज्ञानी आधार पर डिजाइन है, ऐसे में इसका असर सबसे अधिक होता है।

- सुबह ओम का उच्चारण सुनें और दोहराएं, इससे रोग प्रतिरोधी क्षमता का विकास भी होता है।

- धीमी आवाज में संगीत सकारात्मकता का संचार करता है।

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