लाइफस्टाइल: आनलाइन कक्षाओं में 'एकाग्रता' पर ध्यान देने की जरूरत

आनलाइन पढ़ाई के नए कल्चर को बच्चों ने बखूबी अडाप्ट कर लिया है। अभिभावक भी इस बात से निश्चित होकर उन्हें पूरा माहौल दे रहे हैं कि वे निर्बाध रूप से कक्षा कर सकें। लेकिन अब अभिभावकों की परेशानी बढ़ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 06:19 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 06:20 PM (IST)
लाइफस्टाइल: आनलाइन कक्षाओं में 'एकाग्रता' पर ध्यान देने की जरूरत
लाइफस्टाइल: आनलाइन कक्षाओं में 'एकाग्रता' पर ध्यान देने की जरूरत

प्रियंका दुबे मेहता, गुरुग्राम

आनलाइन पढ़ाई के नए कल्चर को बच्चों ने बखूबी अडाप्ट कर लिया है। अभिभावक भी इस बात से निश्चित होकर उन्हें पूरा माहौल दे रहे हैं कि वे निर्बाध रूप से कक्षा कर सकें। लेकिन अब अभिभावकों की परेशानी बढ़ रही है। बच्चे अंतिम कक्षा आते-आते या तो सो जाते हैं या फिर लेट जाते हैं। शुरुआत मेज-कुर्सी से होती है लेकिन फिसलते-फिसलते बच्चा कब बेड पर पढ़ाई करने लगता है, उसे भी नहीं पता चलता। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि अभिभावकों की समस्याएं हैं जो वे मनोविज्ञानियों से साझा कर रहे हैं। इन दिनों अभिभावक परेशान हैं कि उनका बच्चा चाहकर भी कक्षा में ध्यान नहीं लगा पा रहा है। नहीं रह पाते अलर्ट

मनोविज्ञानी दीपा पाठक का कहना है कि बच्चों में यह समस्या इन दिनों आम हो रही है। अधिकतर उन कक्षाओं में ऐसा हो रहा है जिसमें कैमरा आन रखना आवश्यक नहीं है। ऐसे में बच्चे अलर्ट नहीं रहते। वे या तो सो जाते हैं या फिर कुछ और करने लगते हैं। दीपा के मुताबिक अधिकतर बच्चे पूरी-पूरी कक्षा खत्म हो जाने के बाद यह तक नहीं बता पा रहे हैं कि उन्होंने क्या पढ़ा। यह एकरसता की वजह से हो रहा है। एक सी जगह, अकेलापन और किसी की निगरानी न होने की स्वतंत्रता में वे निष्क्रिय होने लगते हैं।

बिगड़ रहा है खाने पीने का शेड्यूल

सेक्टर 46 निवासी आशिमा का कहना है कि उनके बेटे के पिछली साल छठी कक्षा तक बहुत अच्छे अंक आए लेकिन उसके बाद से वह बेसिक चीजें भी याद नहीं रख पा रहा है। पढ़ाई के अलावा वह खानपान पर भी ध्यान नहीं दे रहा है। मनोविज्ञानी सीमा सोनी का कहना है कि बच्चे सुबह का नाश्ता छोड़ रहे हैं क्योंकि समय की कोई बाध्यता नहीं है, क्लास के बीच वे कभी की कैमरा बंद करके खा सकते हैं। ऐसे में कभी भी खाने की मांग करने लगते हैं जो उनकी पाचन क्रिया को भी प्रभावित कर रहा है। डायटीशियन और लाइफस्टाइल कोच अंशु सिंह का कहना है कि बीच-बीच में कभी भी, कुछ भी खाते रहने से बच्चों को नींद अधिक आती है और उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। ------------

आनलाइन कक्षा में यूं रखें बच्चों को तरोताजा

डायटीशियन अंशु और मनोविज्ञानी दीपा के मुताबिक अभिभावक अगर दिनचर्या में थोड़ा सा बदलाव करें तो आनलाइन कक्षाओं में भी बच्चे एक्टिव हो सकते हैं, कुछ टिप्स

- सुबह समय पर उठाकर बच्चों को मात्र दस मिनट के व्यायाम के लिए प्रेरित करें

- यह छुट्टियां नहीं है, ऐसे में बच्चों को कक्षा से पहले नहाने को कहें

- नाश्ते में फल, स्प्राउट और सलाद जैसी चीजें दें, तले-भुने नाश्ते से परहेज करें

- ब्रेक में बच्चे को बाहर टहलने को कहें, इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है

- टीवी और मोबाइल से दूरी बनाने को कहें, इससे आलस्य बढ़ता है।

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