लाइफस्टाइल: आज की खुशियों के चांद पर कल की चिता का ग्रहण

बहुराष्ट्रीय कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर प्रीति अरोड़ा तकरीबन डेढ़ वर्षों से वर्क फ्राम होम कर रही हैं और उनकी कंपनी ने अगले वर्ष दिसंबर तक आनलाइन फार्मेट में ही काम करवाने की सूचना दी है। हफ्ते में पांच दिन की नौकरी मां के हाथ का खाना और दोस्तों संग पार्टी करने के बाद भी वे परेशान रहने लगी हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 07:00 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 07:01 PM (IST)
लाइफस्टाइल: आज की खुशियों के चांद पर कल की चिता का ग्रहण
लाइफस्टाइल: आज की खुशियों के चांद पर कल की चिता का ग्रहण

प्रियंका दुबे मेहता, गुरुग्राम

बहुराष्ट्रीय कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर प्रीति अरोड़ा तकरीबन डेढ़ वर्षों से वर्क फ्राम होम कर रही हैं और उनकी कंपनी ने अगले वर्ष दिसंबर तक आनलाइन फार्मेट में ही काम करवाने की सूचना दी है। हफ्ते में पांच दिन की नौकरी, मां के हाथ का खाना और दोस्तों संग पार्टी करने के बाद भी वे परेशान रहने लगी हैं। उन्हें अजीब तरह की चिताएं घेरने लगीं, जिन्हें वे समझ नहीं पा रही थीं। ऐसे में उन्होंने मनोविज्ञानी की सलाह ली तो पता चला कि इन दिनों इस तरह की परेशानी आम हो रही है। खास तौर पर वर्किंग क्लास युवाओं में। खुशियों की चिता

वर्क फ्राम होम है, छुंट्टी के मौके मिल रहे हैं, आसान आनलाइन शापिग हो रही है और अपनों के लिए वक्त की कोई कमी नहीं है, बावजूद इसके लोग एक अनजान परेशानी से दो-चार हो रहे हैं। इतने संतोष और खुशियों के बीच भी लोग चितित हैं। मनोविज्ञानियों और मनोरोग विशेषज्ञों की सलाह ले रहे हैं। मनोविज्ञानियों की मानें तो यह अधिक खुशियों से उपजी चिता है, जिसे मानसिक स्वास्थ्य जगत में हैप्पीनेस एंजाएटी का नाम दिया जा रहा है। आशा और निराशा का भंवर

बदली परिस्थितियों में होती पल में आशा और पल में निराशा की अनुभूति लोगों को मानसिक परेशानी दे रही है। क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट आरती सिन्हा का कहना है कि आज के सुख और संतुष्टि में लोगों ने इतना वक्त बिता लिया है कि उन्हें अब इसकी आदत हो गई है। अब वे आगे आने वाले वक्त की अनिश्चितताओं को लेकर परेशान हो रहे हैं और आज की खुशी को भी एंज्वाय नहीं कर पा रहे हैं। बदलें नजरिया, न करें अनदेखा

मनोविज्ञानी विचित्रा दर्गन आनंद का कहना है कि युवाओं में ऐसी परेशानियां आम हो रही हैं, लेकिन थोड़ी से सतर्कता से इन परेशानियों से उबरा जा सकता है। उन्होंने कुछ टिप्स साझा किए -

- सबसे पहले आप अपनी परेशानी के प्रकार को समझें, उसपर विचार करें

- आज में जीने के लिए परिवार के साथ थोड़ा वक्त जरूर बिताएं, बिना फोन, बिना काम के

- शारीरिक व्यायाम से ज्यादा प्राणायाम पर केंद्रित करें

- अपने वैकेशन अनुभवों और अपनी सुधरी हुई रुटीन के बारे में सोचें और खुशी के उन पलों को याद करें

- अगर चिड़चिड़ापन या फिर कमजोरी महसूस हो रही हो तो उसे अनदेखा न करें, योग और प्राणायाम से लाभ पहुंचेगा। ज्यादा परेशानी बढ़ने पर अपने मनोरोग चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

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