लाइफस्टाइल: पारंपरिक डिजाइन की हस्तनिर्मित साड़ियों का क्रेज

पाश्चात्य फैशन के प्रभाव में अगर भारतीय पारंपरिक साड़ियों की मांग कम हो गई थी तो अब उसी प्रभाव में इन साड़ियों के प्रति फिर से दीवानगी बढ़ भी रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Feb 2020 06:30 PM (IST) Updated:Tue, 18 Feb 2020 08:27 PM (IST)
लाइफस्टाइल: पारंपरिक डिजाइन की हस्तनिर्मित साड़ियों का क्रेज
लाइफस्टाइल: पारंपरिक डिजाइन की हस्तनिर्मित साड़ियों का क्रेज

प्रियंका दुबे मेहता, गुरुग्राम

पाश्चात्य फैशन के प्रभाव में अगर भारतीय पारंपरिक साड़ियों की मांग कम हो गई थी तो अब उसी पाश्चात्य फैशन के प्रभाव में इन साड़ियों के प्रति फिर से दीवानगी बढ़ भी रही है। लंदन में चल रहे लंदन फैशन वीक में भारतीय पारंपरिक हस्तनिर्मित साड़ियों का जलवा देखने को मिला। इसी के साथ फैशन इंडस्ट्री में एक बार फिर से बड़े बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं। लोग न केवल साड़ियों की तरफ रुख कर रहे हैं बल्कि उन साड़ियों की मांग कर रहे हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में वहां के कारीगरों व बुनकरों द्वारा बनाई जाती हैं। शुरू हो गए हैं प्रयोग

कुछ फैशन डिजाइनर इस तरह की साड़ियों को फिर से आधुनिक फैशन की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। फैशन डिजाइनर गौरव गुप्ता बनारसी से लेकर अन्य साड़ियों को फिर से ला रहे हैं। पालम विहार निवासी फैशन एक्सपर्ट सीमा अग्रवाल का कहना है कि फैशन को लेकर लोगों की पसंद बदल रही है। अब लोग क्राफ्ट व रचनात्मक चीजों को तरजीह दे रहे हैं। फैशन जानकार सीमा अग्रवाल का कहना है कि लोगों की बदलती पसंद को देखते हुए वे गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के गांवों में जाकर साड़ियों के पारंपरिक डिजाइनों को वहीं के बुनकरों व कारीगरों से बनवा रही हैं। लंदन फैशन वीक का असर भारतीय बाजारों पर

लंदन फैशन वीक के बाद अब डिजाइनर्स फिर से साड़ियों के कलेक्शन पर काम करने लगे हैं। फैशन डिजाइनर शीतल श्रीवास्तव के मुताबिक इस तरह के मंचों पर साड़ियों की सराहना देख अब लोग इनकी मांग और बढ़ने की संभावना है। फैशन एक्सपर्ट सीमा अग्रवाल का कहना है कि बनारसी, इकत, बांधनी, जामावार, पटोला, पैठनी आदि साड़ियों पर प्रिट, कशीदाकारी और कटवर्क के साथ-साथ रूपांकनों से साड़ियों की तरफ फिर से लोगों को रुझान बढ़ेगा। मथुरा के पेपर कटिग क्राफ्ट सांझी, छत्तीसगढ़ की कला बस्तर, एमपी की कला गोंड, बिहार की मधुबनी व ओडिशा की पटचित्र के अलावा बनारसी साड़ियों को डिजाइनर सराहने लगे हैं।

लंदन फैशन वीक में भारतीय साड़ियों का परचम लहराने लगा है, यह बेहद गर्व की बात है। साड़ियां पसंद की जा रही हैं और अब बाकायदा स्टाइल स्टेटमेंट व स्टेटस सिबल भी बन जाएंगी। पारंपरिक साड़ियों को लोगों तक पहुंचाने के लिए इसपर काम कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में इन साड़ियों की मांग बढ़ी है।

- शीतल श्रीवास्तव, फैशन डिजाइनर हस्तनिर्मित साड़ियों का क्रेज इसकी कीमत पहचानने वाले एक विशेष वर्ग में ही होता था लेकिन अब लंदन फैशन वीक में इसकी धमक से हर वर्ग में यह लोकप्रिय हो जाएंगी। बनारसी, पैठनी, कांजीवरम जैसी साड़ियों की चमक युवा वर्ग को भी आकर्षित करेगी।

- सीमा अग्रवाल, संस्थापक, आर्टसन सागा

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