अरावली से बाहर दो फीसद भी हरियाली नहीं

अरावली पहाड़ी क्षेत्र से बाहर जिले में दो फीसद भी हरियाली नहीं है। अधिकतर इलाके कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो चुके हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Jun 2020 07:17 PM (IST) Updated:Tue, 30 Jun 2020 07:17 PM (IST)
अरावली से बाहर दो फीसद भी हरियाली नहीं
अरावली से बाहर दो फीसद भी हरियाली नहीं

आदित्य राज, गुरुग्राम

अरावली पहाड़ी क्षेत्र से बाहर जिले में दो फीसद भी हरियाली नहीं है। अधिकतर इलाके कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्र से भी हरियाली दिन-प्रतिदिन खत्म होती जा रही है। इस वजह से शहर में ही कुछ इलाकों में अच्छी बारिश हो जाती है और कुछ इलाकों में बूंदाबांदी तक नहीं होती। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का मानना है कि हरियाली बढ़ाने के लिए जहां भी जगह बची है, उस जगह पर न केवल पौधे लगाए जाएं बल्कि उनकी रक्षा करने का संकल्प भी लेना होगा।

प्राकृतिक संतुलन के लिए किसी इलाके का कम से कम एक तिहाई भूभाग वनाच्छादित होना चाहिए लेकिन इस मामले में जिला कहीं नहीं है। एक सर्वे के मुताबिक जिले में कुल वनाच्छादित भूभाग 9.2 फीसद है। इसमें से अधिकतर भूभाग अरावली पहाड़ी क्षेत्र के दायरे में आता है। बताया जाता है कि अधिक से अधिक दो फीसद वनाच्छादित भाग ही अरावली से बाहर है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह गुरुग्राम कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो चुका है। कई वर्ष पहले तक अधिकतर सड़कों के किनारे पेड़ होते थे लेकिन विकास की आंधी में सब समाप्त हो गए। हास्यास्पद स्थिति यह है कि ग्रीन बेल्ट में पेट्रोल पंप बनाने की अनुमति दी जा रही है। अरावली में 80 फीसद से अधिक विलायती बबूल

कहने के लिए अरावली पहाड़ी क्षेत्र हरियाली का प्रतीक है लेकिन क्षेत्र में 80 फीसद विलायती बबूल है। यह स्थानीय वनस्पतियों का दुश्मन है। इसके नजदीक स्थानीय वनस्पतियां उग नहीं पाती हैं। शहरी क्षेत्रों के कुछ इलाकों में हरियाली पर ध्यान दिया गया है लेकिन पीपल, नीम व बरगद पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अब गुरुग्राम शहर के भीतर जगह बची नहीं। आवश्यकता है अरावली पहाड़ी क्षेत्र को बचाने की। यदि इसे नहीं बचाया गया तो गुरुग्राम ही नहीं बल्कि दिल्ली-एनसीआर के लोगों का भी सांस लेना मुश्किल हो जाएगा। अरावल को धरोहर मानकर उसकी रक्षा की जाए। हर साल न केवल अधिक से अधिक पौधे लगाए जाएं बल्कि उनकी रक्षा करने पर भी ध्यान दिया जाए।

डॉ. आरपी बालवान, सेवानिवृत्त वन संरक्षक वन विभाग हर साल लाखों पौधे बांटता है। जिन लोगों को पौधे बांटता है, उनसे बाद में पूछता तक नहीं कि आपने कहां पौधे लगाए, पौधों की क्या स्थिति है। हरियाली बढ़ाने के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। पौधे लगाने के बाद गंभीरता से ध्यान दिया जाता तो आज साइबर सिटी की पहचान कंक्रीट के जंगल के रूप में न होती।

शरद गोयल, अध्यक्ष, नेचर इंटरनेशनल पिछले कुछ सालों से जिले में हरियाली बढ़ाने पर लगातार जोर दिया जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। लोगों में जागरूकता पैदा हुई है। शहर के कुछ इलाकों में काफी घनी हरियाली है। यह सही है कि अरावली के अलावा बाकी इलाकों में जितनी हरियाली होनी चाहिए, उतनी नहीं है।

जय कुमार नरवाल, जिला वन अधिकारी, गुरुग्राम

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