चलती का नाम गाड़ी: वाहनों के बाहरी हिस्से में नहीं कर सकते बदलाव

कहावत है चलती का नाम गाड़ी है। यह बात हर जगह सटीक साबित होती है। नियमानुसार किसी भी वाहन के बाहरी हिस्से में बदलाव नहीं कर सकते लेकिन यह कागजों में ही दिख रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 06:46 PM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 06:46 PM (IST)
चलती का नाम गाड़ी: 
वाहनों के बाहरी हिस्से में नहीं कर सकते बदलाव
चलती का नाम गाड़ी: वाहनों के बाहरी हिस्से में नहीं कर सकते बदलाव

आदित्य राज, गुरुग्राम

कहावत है, चलती का नाम गाड़ी है। यह बात हर जगह सटीक साबित होती है। नियमानुसार किसी भी वाहन के बाहरी हिस्से में बदलाव नहीं कर सकते लेकिन यह कागजों में ही दिख रहा है। सड़कों पर दौड़ रहे अधिकतर व्यावसायिक वाहनों में बदलाव किया गया है। ऊंचाई एवं लंबाई ही नहीं बल्कि चौड़ाई तक बढ़ा दी गई है। इससे वाहन कई बार चलते-चलते पलट जाते हैं। ओवरलोडिग के लिए ट्रांसपोर्टर ऐसा करते हैं।

नियमानुसार रजिस्ट्रेशन के समय वाहन की जो स्थिति रहती है यानी रंग के साथ चौड़ाई, ऊंचाई एवं लंबाई, उसमें बदलाव करना मोटर व्हीकल एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन शर्तों का उल्लंघन है। यही नहीं इंजन में भी बदलाव नहीं कर सकते। कहने का अभिप्राय यह है कि कंपनी से तैयार होकर वाहन जैसे निकलते हैं, वैसे ही दिखने चाहिए। सच्चाई यह है कि ट्रांसपोर्टर वाहन खरीदने के कुछ ही समय बाद उसमें बदलाव कर देते हैं। खासकर लंबाई, चौड़ाई एवं ऊंचाई बढ़ा देते हैं। कार मालिक मनमर्जी से पेट्रोल इंजन की जगह डीजल इंजन लगवा लेते हैं। यही नहीं पेट्रोल इंजन के साथ सीएनजी किट भी लगवाने का आजकल चलन अधिक हो गया है।

दोपहिया वाहनों के बाहरी हिस्से में भी बदलाव कर दिया जाता है। खासकर पिछले कुछ समय से युवाओं में रायल एनफील्ड बुलेट चलाने का शौक तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही माडिफाइड (बदलाव) कराकर बुलेट चलाने का भी चलन बढ़ता जा रहा है। इसमें साइलेंसर या एग्जास्ट सिस्टम की आवाज तेज करने के लिए साइलेंसर को हटवाकर गनशाट साइलेंसर लगवा दिया जाता है। इससे पटाखे जैसी आवाज निकलती है। ऐसा करना रजिस्ट्रेशन शर्तों का उल्लंघन है। इंजन बदलने से पहले परिवहन विभाग से अनुमति लेने का प्रविधान है। विभाग के पास सेंटर का आंकड़ा नहीं

जिले में कितने वाहन माडिफिकेशन सेंटर हैं, लेकिन उनकापरिवहन विभाग के पास कोई आंकड़ा नहीं है। डीसी डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड नामक एक कंपनी कारों के भीतर बदलाव या सुधार करती है। ट्रक, डंपर, कंटेनर, ट्रैक्टर ट्राली की ऊंचाई, लंबाई एवं चौड़ाई में बदलाव करना गलत है। इससे साफ है कि यह काम चोरी-छिपे किया जा रहा है। किसी वाहन के बाहरी हिस्से यानी बाडी की ऊंचाई, लंबाई एवं चौड़ाई में बदलाव करना गलत है। यही नहीं रंग एवं इंजन भी नहीं बदल सकते। इसे लेकर समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। अधिक साइज वाले वाहनों की बाडी तक काटने की कार्रवाई की जा रही है। ओवरलोडिग के लिए वाहनों की साइज के साथ छेड़छाड़ की जाती है।

-धारणा यादव, जिला परिवहन अधिकारी, गुरुग्राम निर्धारित साइज से अधिक साइज वाले वाहनों के खिलाफ चालान किया जाता है। वाहनों की साइज बढ़ाने से भी हादसे होते हैं क्योंकि साइज बढ़ने से वाहन असंतुलित हो जाते हैं। ट्रांसपोर्टरों से लेकर सभी प्रकार के वाहन मालिकों से अपील है कि वे वाहनों की बाडी के साथ छेड़छाड़ न करें। रंग एवं इंजन को बदलना भी कानून का उल्लंघन है।

- संजीव बल्हारा, सहायक पुलिस आयुक्त (ट्रैफिक), गुरुग्राम

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