वाहनों की फिटनेस जांच की व्यवस्था नहीं

पूरी दुनिया में साइबर सिटी की पहचान है। गुरुग्राम को हरियाणा की आर्थिक राजधानी कहा जाता है। यहां लाखों कामर्शियल व निजी वाहन हैं लेकिन निजी वाहनों की बात दूर कामर्शियल वाहनों की फिटनेस जांच के लिए भी सेंटर नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 07:19 PM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 07:19 PM (IST)
वाहनों की फिटनेस जांच की व्यवस्था नहीं
वाहनों की फिटनेस जांच की व्यवस्था नहीं

आदित्य राज, गुरुग्राम

पूरी दुनिया में साइबर सिटी की पहचान है। गुरुग्राम को हरियाणा की आर्थिक राजधानी कहा जाता है। यहां लाखों कामर्शियल व निजी वाहन हैं, लेकिन निजी वाहनों की बात दूर कामर्शियल वाहनों की फिटनेस जांच के लिए भी सेंटर नहीं है। पिछले सात-आठ साल से कामर्शियल वाहनों की जांच के लिए फिटनेस सेंटर बनाए जाने के ऊपर चर्चा चल रही है। कुल मिलाकर अंदाज से ही फिटनेस की जांच की जाती है। निजी वाहनों की फिटनेस पर नजर रखने की मैनुअल सुविधा भी नहीं।

जिले में हर साल सैकड़ों लोग सड़क हादसों की वजह से मौत के शिकार होते हैं। इसके पीछे एक मुख्य कारण वाहनों की फिटनेस पर ध्यान न देना भी है। कुछ ट्रांसपोर्टर अपनी इच्छा के मुताबिक वाहनों की लंबाई व ऊंचाई बढ़ा देते हैं। कई बार इस प्रकार की शिकायत सामने आ भी चुकी है। मानकों से अधिक लंबाई व ऊंचाई बढ़ाने की वजह से वाहन चलते-चलते पलट जाते हैं। कई बार ब्रेक फेल होने से हादसा हुआ। ब्रेक फेल होने के पीछे मुख्य वजह है रखरखाव के ऊपर गंभीरता से ध्यान नहीं देना।

कोहरे के दौरान वाहनों के चारों तरफ रिफ्लेक्टर लाइन लगाने के ऊपर जोर देना चाहिए लेकिन वाहन चालक इसके ऊपर ध्यान नहीं देते हैं। इस वजह से भी हादसे होते हैं। ट्रैक्टर ट्रालियों का इस्तेमाल विशेष रूप से ईंट व अन्य निर्माण सामग्री ढोने के लिए किया जाता है। अधिकतर चालक अपनी ट्राली में क्षमता से अधिक निर्माण सामग्री डालकर चलते हैं। इससे ट्राली पलट जाती है। खासकर कहीं भी सड़क के साइड में या फिर गड्ढे में पहिया जाते ही ट्राली पलट जाती है। सड़क हादसों के पीछे एक कारण नो एंट्री भी है। चालकों को निर्धारित समय के दौरान माल पहुंचाना होता है। इसके लिए वे काफी स्पीड में वाहन चलाते हैं। इन विषयों पर देना होगा ध्यान

- साइबर सिटी में एक नहीं दो फिटनेस सेंटर बनाने पर जोर दिया जाए।

- दोपहिया वाहनों को हाईवे पर बाईं साइड में ही चलाने की अनुमति हो।

- सभी प्रकार के वाहनों की साइज निर्धारित मानकों के मुताबिक हो।

- कामर्शियल वाहनों की तरह निजी वाहनों की भी फिटनेस जांच की जाए।

- लंबी दूरी पर निकलने से पहले इंजन एवं टायरों की जांच अनिवार्य हो।

- कोहरे के दौरान जिस वाहन में रिफ्लेक्टर लाइन न हो, उसे बंद किया जाए।

- सभी प्रकार के वाहनों में फाग लाइट की सुविधा होनी चाहिए। .

कई साल से शहर में फिटनेस सेंटर बनाने की चर्चा चल रही है। कब सेंटर बनेगा पता नहीं। फिटनेस सेंटर से ही पता चलेगा कि वाहन लोड लेकर जाने लायक है या नहीं। मेरा तो यह मानना है कि जिस कंपनी का प्रोडक्ट है, उसी कंपनी के सर्विस सेंटर को पहले पासिग करने का अधिकार दिया जाए। बाद में क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) अनुमति दे। इससे कंपनी पर बेहतर करने का दबाव रहेगा। जुगाड़ सिस्टम से सड़कों पर वाहन दौड़ते रहते हैं, उनके ऊपर किसी का ध्यान नहीं।

-हुकमचंद शर्मा, अध्यक्ष, गुड़गांव ट्रांसपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। साथ ही जागरूकता के ऊपर भी जोर दिया जा रहा है। कोहरे को ध्यान रखकर उन सभी जगहों पर ट्रैफिक पुलिस को सक्रियता बरतने के लिए कहा गया है, जहां पर अक्सर हादसे होते हैं। चालकों से अपील है कि वे निर्धारित स्पीड में ही वाहन चलाएं। वाहनों के रखरखाव के ऊपर गंभीरता से ध्यान दें। जिदगी अनमोल है, इस बात का अहसास करना होगा।

- डीके भारद्वाज, पुलिस उपायुक्त (ट्रैफिक), गुरुग्राम

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