लेखन कार्य व पुस्तक प्रकाशन को लेकर दी जानकारी
द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग तथा आंतरिक गुणवत्ता मूल्यांकन प्रकोष्ठ विभाग द्वारा पुस्तक के प्रकाशन विषय पर कार्यशाला हुई।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग तथा आंतरिक गुणवत्ता मूल्यांकन प्रकोष्ठ विभाग द्वारा पुस्तक के प्रकाशन विषय पर कार्यशाला हुई। महाविद्यालय के प्राचार्य डा. वीरेंद्र अंतिल ने बताया कि कार्यशाला में 25 राज्यों से 477 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि ऐसी कार्यशालाएं विद्यार्थियों और शोधार्थियों को बेहतर मंच देती हैं जहां उनका ज्ञानवर्धन होता है और शोध सोच निर्माण में सहायक होती है।
महाविद्यालय के प्रो. भूप सिंह गौड़ ने कहा कि बदलते समाज व वैज्ञानिक सोच के बावजूद सामाजिक शोध के क्षेत्र में चुनौतियां बहुत हैं। वैज्ञानिक सोच तथा शोध विकसित समाज के आधार स्तंभ होते हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. आशीष सक्सेना ने कहा कि अपने व्यक्तित्व, विचार और पूर्वाग्रह से दूर रहकर ही लेखन कार्य पर अपना विश्लेषण करना चाहिए। लखनऊ से प्रो. मनीष कुमार वर्मा ने कहा कि लेखन आपकी पहचान स्थापित करता है। ओडिशा से समाजशास्त्री डा. नूपुर ने पुस्तक के प्रकाशन तथा सावधानियों को लेकर अपने विचार रखे। इस मौके पर प्राध्यापक मीनाक्षी गिरि, डा. सुशील सैनी, डा. अर्चना, डा. रमा, डा. राकेश और डा. सुखबीर समेत अन्य शोधार्थी उपस्थित रहे।
शिक्षण में तकनीक के समावेश पर कार्यक्रम
वि, गुरुग्राम: नार्थकैप विवि में रविवार को मौजूदा दौर में तकनीक की आवश्यकता पर कार्यक्रम हुआ जिसमें मुख्यअतिथि के तौर पर आल इंडिया काउंसिल फार टेक्निकल एजुकेशन (एआइसीटीए) के चेयरमैन अनिल सहस्त्रबुद्धे शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि शिक्षक शैक्षणिक संस्थानों के स्तंभ होने के साथ-साथ गुणवत्ता का आधार भी थे। उन्होंने कहा कि शिक्षक और प्राध्यापक तकरीबन चार दशक शैक्षणिक दायरे का हिस्सा रहते हैं।
अनिल सहस्त्रबुद्धे ने शिक्षा में तकनीक के समावेश की आवश्यकता पर बात करते हुए आइआइसीटीई द्वारा उठाए कदमों की जानकारी दी। इस दौरान विश्वविद्यालय की डिप्टी डीन रेखा विग ने कहा कि भारतीय शिक्षा जगत ने स्वेच्छा से आनलाइन शिक्षण को अपनाया है। उन्होंने कहा कि जब सबकुछ बंद था तब तकनीक के साथ कदमताल करते हुए शिक्षा जगत अपने कदम आगे की दिशा में बढ़ा रहा था।