पेट्रोलियम के जीएसटी के दायरे में नहीं आने से उद्योग जगत निराश

साइबर सिटी के उद्यमियों को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के दायरे में पेट्रोलियम के नहीं आने से निराशा हुई है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 07:23 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 07:23 PM (IST)
पेट्रोलियम के जीएसटी के दायरे में नहीं आने से उद्योग जगत निराश
पेट्रोलियम के जीएसटी के दायरे में नहीं आने से उद्योग जगत निराश

जासं, गुरुग्राम : साइबर सिटी के उद्यमियों को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के दायरे में पेट्रोलियम के नहीं आने से निराशा हुई है। उनका कहना है कि शुक्रवार को संपन्न हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक से उन्हें उम्मीद थी कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा। कोविड-19 महामारी के आने के बाद से ही उद्योग जगत की गति धीमी हो गई है। ऐसे कारोबारी निराशा से भरपूर वातावरण में इनके जीएसटी के दायरे में आने से उद्योगों को बड़ी राहत मिल जाती।

विभिन्न औद्योगिक एसोसिएशनों के पदाधिकारियों को लग रहा था कि डीजल के जीएसटी के दायरे में आने से उद्यमियों को बड़ी राहत मिलेगी। ऐसा हो गया होता तो सरकारी की ओर से उद्योग जगत के लिए त्योहारी सीजन में यह बड़ा तोहफा होता। यही नहीं औद्योगिक कामकाज पटरी पर तेजी से आ जाता। गुड़गांव उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण यादव का कहना है कि लंबे समय से उद्यमियों द्वारा पेट्रोलियम को जीएसटी के अधीन लाने की मांग की जा रही है। न जाने ऐसा कब होगा।

उद्यमी प्रमोद वत्स का कहना है कि देखने में आ रहा है कि विपक्षी राजनीतिक दल पेट्रोल और डीजल के दाम को लेकर शोर तो मचाते हैं, पर जिन प्रदेशों में उनकी सरकारें हैं, उनकी ओर से जीएसटी की जद में पेट्रोलियम को लाने का विरोध किया जाता है। जनता के बीच में कुछ और परदे के पीछे कुछ वाली नीति उचित नहीं है। उद्यमी धनंजय माथुर का कहना है कि औद्योगिक बेहतरी के लिए पेट्रोलियम के दाम को घटाना जरूरी है।

chat bot
आपका साथी