निजी क्षेत्र में आरक्षण से होगा औद्योगिक विकास प्रभावित
निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर सरकारी स्तर पर शुरू हुई चर्चा को उद्यमी औद्योगिक विकास के लिए शुभ संकेत नहीं मानते हैं।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर सरकारी स्तर पर शुरू हुई चर्चा को उद्यमी औद्योगिक विकास के लिए शुभ संकेत नहीं मानते हैं। उनका मानना है कि पहली बात तो स्थानीय स्तर पर मैनपावर की व्यवस्था नहीं हो पाएगी और दूसरी बात गुणवत्ता आधारित मैनपावर का घोर अभाव हो जाएगा। निजी क्षेत्र को खुला छोड़ना चाहिए। काम के अनुसार जो योग्य है उसे नौकरी देने की छूट होनी ही चाहिए। पूरे देश को एक यूनिट मानकर चलने की आवश्यकता है। जहां तक स्थानीय लोगों को नौकरी देने का सवाल है तो जो योग्य है, उसे नौकरी दी ही जाती है। किसी भी क्षेत्र में योग्यता के आधार पर नौकरी देने की बात होनी चाहिए न कि आरक्षण के आधार पर। जहां तक निजी क्षेत्र में स्थानीय लोगों को आरक्षण देने का मामला है तो इससे औद्योगिक विकास प्रभावित होगा। कहीं न कहीं गुणवत्ता आधारित मैनपावर से समझौता करना होगा।
केके गांधी, उपाध्यक्ष, इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एसोसिएशन औद्योगिक विकास के लिए पूरे देश को एक यूनिट मानकर काम करना होगा। इस समय जो व्यवस्था है वह बेहतर है। कहीं का व्यक्ति हो, यदि उसे काम आता है तो उसे नौकरी दी जाती है। औद्योगिक इकाइयों में काफी संख्या में स्थानीय लोग भी काम करते हैं। निजी क्षेत्र में आरक्षण की बात बंद होनी चाहिए।
जीपी गुप्ता, अध्यक्ष, इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एसोसिएशन यदि स्थानीय लोगों की संख्या औद्योगिक इकाइयों में अधिक होगी तो काम प्रभावित होगा। बाहरी लोगों की अपेक्षा स्थानीय लोग अधिक छुट्टी लेंगे। बात यह होनी चाहिए कि जो योग्य है उसे नौकरी दी जाए, चाहे वह कहीं का हो। इसी सोच से देश का विकास तेजी से होगा।
मदन मोहन बिष्ट, प्रबंध निदेशक, वेदम टेक्नोलॉजी