कैसे सुधरेगी स्वच्छता रैंकिग, शहर में लगे हैं कूड़े के ढेर

बेहतर स्वच्छता रैंकिग के लिए महज दो चार महीने नहीं साल भर तैयारी करने की जरूरत है। स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर करोड़ों रुपये सफाई पर खर्च करने के बावजूद शहर की सूरत नहीं बदल पा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 04:56 PM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 04:56 PM (IST)
कैसे सुधरेगी स्वच्छता रैंकिग, शहर में लगे हैं कूड़े के ढेर
कैसे सुधरेगी स्वच्छता रैंकिग, शहर में लगे हैं कूड़े के ढेर

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: बेहतर स्वच्छता रैंकिग के लिए महज दो चार महीने नहीं, साल भर तैयारी करने की जरूरत है। स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर करोड़ों रुपये सफाई पर खर्च करने के बावजूद शहर की सूरत नहीं बदल पा रही है। सिर्फ पुराने शहर ही नहीं पाश इलाकों के आसपास भी सफाई व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है। शहर के डूंडोहड़ा, सेक्टर 12, कबीर भवन चौक, शिवाजी नगर, शांति नगर, पटौदी रोड, कादीपुर क्षेत्र सहित शहर में कई जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। नगर निगम व सफाई एजेंसियों के छह हजार से भी ज्यादा सफाईकर्मी होने के बावजूद नियमित रूप से सफाई नहीं हो रही है। कूड़े के ढेर लगे हैं और डस्टबिन की भी कमी है। बजट और संसाधनों के बावजूद पिछड़ रहे

शहर के घरों से इको ग्रीन एनर्जी कंपनी कूड़ा उठाती है। सफाई के लिए चार निजी एजेंसी के अलावा आठ एजेंसी शौचालयों के रखरखाव के लिए काम कर रही हैं। निगम व एजेंसियों के कुल छह हजार सफाईकर्मी हैं। दस मैकेनिकल स्वीपिग मशीनें सड़कों की सफाई के लिए है। सफाई के लिए 200 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। चार साल में ये रही रैंकिंग

वर्ष रैंकिंग

2017 - 112

2018 - 105

2019 - 83

2020 - 62 इन कमियों को दूर कर बेहतर होगी रैंकिग

अलग-अलग कचरा- घरों में गीले व सूखे कचरे को अलग-अलग करना होगा। गीले से कंपोस्ट खाद बनाई जा सकती है। फिलहाल मिश्रित कूड़ा ही लैंडफिल साइट पर भेजा जा रहा है।

मैकेनिकल स्वीपिग- मशीनों से सड़कों की सफाई के नाम पर हो रही है खानापूर्ति। पुराने शहर की ज्यादातर टूटी सड़कों पर झाडू से हो रही है सफाई।

वेस्ट टू एनर्जी प्लांट- शहर से निकलने वाले करीब 800 मीट्रिक टन का निपटान नहीं हो रहा है। वेस्ट टू एनर्जी प्लांट स्थापित नहीं हुआ है।

कंपोस्ट- कूड़े से कंपोस्ट बनाने के लिए रेस्टोरेंट, होटल, अस्पतालों सहित बड़े संस्थानों ने कंपोस्टिग यूनिट नहीं लगाई है।

स्वच्छता एप- इस एप की लोगों को जानकारी नहीं है, उपयोग नहीं हो रहा।

शौचालय- शहर में काफी जगहों के शौचालयों पर ताले लटके हैं। सफाई व रखरखाव नियमित रूप से नहीं हो रहा। -बेहतर रैंकिग के लिए नगर निगम द्वारा तैयारी की जा रही है। शहर को स्वच्छ बनाने में निगम ही नहीं बल्कि सभी नागरिकों की भी भूमिका होती है।

धीरज कुमार, संयुक्त आयुक्त स्वच्छ भारत मिशन गुरुग्राम।

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