क्षेत्रीय भाषाओं को आत्मसात करने से समृद्ध होगी हिदी

अखिल भारतीय साहित्य परिषद गुरुग्राम इकाई द्वारा रविवार को हिंदी विमर्श एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन गूगल मीट के माध्यम से किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Sep 2020 04:15 PM (IST) Updated:Mon, 21 Sep 2020 04:15 PM (IST)
क्षेत्रीय भाषाओं को आत्मसात 
करने से समृद्ध होगी हिदी
क्षेत्रीय भाषाओं को आत्मसात करने से समृद्ध होगी हिदी

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: अखिल भारतीय साहित्य परिषद गुरुग्राम इकाई द्वारा रविवार को हिंदी विमर्श एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन गूगल मीट के माध्यम से किया गया। इसमें कवि एवं साहित्य परिक्रमा के संपादक डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष मुख्य अतिथि रहे। कवि एवं गगनांचल पत्रिका के संपादक डॉ. आशीष कंधवे विशिष्ट अतिथि रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता परिषद गुरुग्राम इकाई की अध्यक्ष प्रो. कुमुद शर्मा ने की। उन्होंने बताया कि प्रांतीय मार्गदर्शक शिव कुमार खंडेलवाल के सानिध्य में प्रांतीय महामंत्री डॉ. योगेश वशिष्ठ ने विषय प्रवर्तन की भूमिका का निर्वाह किया।

कार्यक्रम का संचालन इकाई महामंत्री मोनिका शर्मा ने किया। डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष ने कहा कि जब तक राष्ट्र-बोध प्रबल और प्रखर नहीं होगा तब तक हिदी भाषा को उसका स्थान नहीं दिला सकते। अंग्रेजी के शब्दों को हिदी में गढ़ने के बजाय क्षेत्रीय भाषाओं के प्रचलित शब्द को आत्मसात कर हिदी को और भी समृद्ध किया जा सकता है। वर्तमान समय में देवनागरी लिपि को भी खतरा है जिसे बचाने का प्रयास हम सभी को करना चाहिए।

डॉ. आशीष कंधवे ने हिदी को सर्वमान्य व जन-संपर्क की भाषा बताते हुए नई शिक्षा नीति पर बात की। उन्होंने नई शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए कहा कि इसे परंपरा के चितन, ज्ञान एवं बोध की त्रिवेणी कहा जा सकता है। इस मौके पर प्रांतीय मार्गदर्शक शिव कुमार खंडेलवाल, डॉ. योगेश वशिष्ठ, प्रो. कुमुद शर्मा, कवयित्री वीणा अग्रवाल, हरींद्र यादव, नरेंद्र खामोश, एडी अरोड़ा, सुरेंद्र मनचंदा, सविता स्याल, शालिनी रस्तोगी, नवीन कुमार, मोनिका शर्मा, अनिल श्रीवास्तव सहित लगभग सत्रह कवियों ने काव्य पाठ किया।

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