ताऊ की वेबसाइट: अनुराग अग्रवाल

साध्वी ऋतंभरा की तरह बबीता फौगाट की पहचान हरियाणा की फायर ब्राड भाजपा नेत्री के रूप में बन चुकी है। इंटरनेट मीडिया पर बबीता अपनी तीखी और गरम भाषा के लिए अतितायियों के निशाने पर रहती हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 09:03 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 09:03 PM (IST)
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लगाम घोड़ी कै लगाई जावै, शेरनी कै नहीं

साध्वी ऋतंभरा की तरह बबीता फौगाट की पहचान हरियाणा की फायर ब्राड भाजपा नेत्री के रूप में बन चुकी है। इंटरनेट मीडिया पर बबीता अपनी तीखी और गरम भाषा के लिए अतितायियों के निशाने पर रहती हैं। दादरी से विधानसभा चुनाव लड़ चुकी बबीता महिला विकास निगम की चेयरपर्सन हैं। पिछले दिनों जब वह अपने छोटे से बच्चे के साथ गाड़ी में जा रही थी, तब कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया था। बबीता ने हाल ही में एक टिप्पणी इंटरनेट मीडिया पर साझा की है। वह यह है-किसी नै मेरे बाब्बू तै न्यूं कही..अपणी छोरी की जुबान पै लगाम लगा लै, मेरे बाब्बू न बी कह दी। लगाम घोड़ी कै लगाई जावै, शेरनी कै नहीं। जाहिर है, बबीता की इस पोस्ट से तीनों कृषि सुधार कानूनों के विरोध में आदोलन कर रहे लोगों का क्षुब्ध होना स्वाभाविक है, क्योंकि वह अपने तर्को से प्रहार करती रहती हैं।

बेसन की बर्फी और चासनी वाली बालूशाही हरियाणा सचिवालय की बेसन की बर्फी और चासनी वाली बालूशाही के लोग बहुत दीवाने हैं। हर शासन-प्रशासन की तरफ से होने वाली मीटिंग में बेसन की यह बर्फी जरूर परोसी जाती है। कैंटीन में जलेबी भी मिलती है और सिंघाड़े के आकार का समोसा भी। मट्ठी और चाय के तो क्या कहने। आदमी थोड़ा वीआइपी हो तो सूप भी मिल जाता है। कम कैलोरी की इस बर्फी में खोये का इस्तेमाल नहीं होता। सिर्फ बेसन और चीनी इसमें डलती है। दोपहर होने तक सारी मिठाई, बालूशाही और समोसे खत्म हो जाते हैं, या यूं कहिये की गायब कर दिए जाते हैं। लोग दूर-दूर से इनका स्वाद चखने आते हैं, लेकिन दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारी कैंटीन के आदमी से सेटिंग कर सारा माल अपनी टेबल की दराज में ठूंस लेते हैं। पूरे दिन खुद खाते हैं और शाम को घर वालों और पड़ोसियों के लिए भी ले जाते हैं। दादा को पोते का नाम सुनना पसंद नहीं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला को अपने पोते दुष्यंत चौटाला का नाम सुनना भी पसंद नहीं है। परिवार में हुए विघटन के दौर को चौटाला याद भी नहीं करना चाहते। यदि परिवार एक होता तो आज प्रदेश में इनेलो की सरकार होती, ऐसा चौटाला परिवार के प्रति स्नेह रखने वाले लोग कहते हैं। परिवार में विघटन के वास्तव में क्या कारण रहे, यह तो दादा चौटाला और पोते दुष्यंत ही बेहतर जान सकते हैं, लेकिन पोता जब अपने दादा पर किसान आदोलन में राजनीति करने के आरोप लगाए और दादा ओमप्रकाश चौटाला इसके जवाब में यह कहें कि नकली दादा रामकुमार गौतम ही उन्हें छोड़कर चला गया तो बाकी का क्या कहें। दूसरी तरफ दुष्यंत भाजपा के साथ गठबंधन करने पर कहते हैं कि हमने तो वही किया, जो हमारे दादा कर चुके थे। हम तो अपने दादा जी के ही नक्शेकदम पर चल रहे हैं। दिल तो बच्चा है जी हरियाणा भाजपा के कद्दावर नेता पंडित रामबिलास शर्मा का कुछ दिन पहले जन्मदिन था। जन्मदिन की खुशी में लोगों से मिलते, नाचते और नोट बाटते उनका एक कुछ सेकेंड का वीडियो वायरल हुआ। यह वीडियो बेहद पारिवारिक है, जिसमें उनके परिवार के सदस्य भी दिखाई दे रहे हैं। पंडितजी जब मंत्री थे, तब वह अपनी जान-पहचान की बहू-बेटियों और समस्याएं लेकर आने वाली शिक्षिकाओं को अरदास जरूर देते थे। आदमी अधिक पहुंच वाला हो तो शाल ओढ़ाते थे। आज भी ऐसा करते हैं। बुजुर्गवार पर नोट वारकर अपने जन्मदिन की खुशी मनाते उन्हें पहली बार देखा गया है। पंडितजी एक विशेषता यह भी है कि उनके भाजपा के नेताओं के साथ-साथ सभी दलों के नेताओं से बहुत मधुर संबंध हैं। हंसी मजाक में बड़ी बात कह जाते हैं। विधानसभा चुनाव से पहले जींद उपचुनाव में रणदीप सुरजेवाला के लड़ने पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा से कहा था, तेरा काटा निकल गया।

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