जान जोखिम में डालकर कोरोना के खिलाफ लड़ती हैं स्टाफ नर्स

कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हुईं गीतांजलि अरोड़ा कहती हैं कि शुरू में सरकारी अस्पताल जाने का मन नहीं था लेकिन कोरोना का इलाज कराने के लिए जाना ही पड़ा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 05:03 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 05:11 PM (IST)
जान जोखिम में डालकर कोरोना के खिलाफ लड़ती हैं स्टाफ नर्स
जान जोखिम में डालकर कोरोना के खिलाफ लड़ती हैं स्टाफ नर्स

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हुईं गीतांजलि अरोड़ा कहती हैं कि शुरू में सरकारी अस्पताल जाने का मन नहीं था, लेकिन कोरोना का इलाज कराने के लिए जाना ही पड़ा। सेक्टर-दस जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में मैं दस-बारह दिनों तक रही। मैंने सुना था कि सरकारी अस्पताल में बेहतर देखभाल व इलाज नहीं होता, लेकिन सब झूठ पाया।

गीतांजलि का कहना है कि जो लोग ऐसा कहते हैं कि सरकारी अस्पताल में डाक्टर व स्टाफ नर्स का व्यवहार बेहतर नहीं है और सुविधा नहीं है वह गलत बोलते हैं। सरकारी सेवाओं को लेकर लोग बाहर गलत प्रचार करते हैं। उन्हें महामारी में स्वास्थ्य विभाग का कार्य देखना चाहिए। कैसे अपनी जान जोखिम में डाल कर इलाज दे रहे हैं। कोरोना महामारी में मेरा जीवन बचाने में डाक्टर नवीन कुमार व अन्य सभी स्टाफ नर्स का आभार। यहां स्टाफ नर्स सभी मरीजों का ख्याल ऐसे ही रखती हैं जैसे मरीजों के स्वजन रखते हैं।

गीतांजलि कहती हैं कि मरीजों की बार-बार आक्सीजन को चेक करना कि सही चल रही है या नहीं, उनको पानी देना ऐसे में नर्स आराम नहीं कर पातीं। कई बार ऐसा हुआ है कि मरीज की तबीयत खराब हुई तो भागकर डाक्टर को बुलाकर लाना पड़ता है। स्टाफ नर्स को मरीजों के लिए इतनी कड़ी ड्यूटी करनी पड़ रही है। मरीज की किसी भी मांग पर मैंने स्टाफ नर्स को कभी गुस्सा करते नहीं देखा। कई-कई घंटे की ड्यूटी में नर्स मरीजों की देखभाल में लगी रहती हैं। सच यह है कि वार्ड में कोरोना संक्रमण से असली लड़ाई स्टाफ नर्स लड़ती हैं। वह मरीजों के साथ कई कई घंटे तक वार्ड में रहती हैं।

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