कौशिक ने हाकी खिलाड़ियों में जीत का जज्बा भरा था
अगर आज भारतीय महिला हाकी टीम की दुनिया में पहचान है तो उसमें महाराज कृष्ण कौशिक या एमके कौशिक की मेहनत और त्याग का बड़ा योगदान है। वह महिला हाकी के पितामह थे। कौशिक का निधन हाकी परिवार के लिए बड़ी क्षति है।
अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम
अगर आज भारतीय महिला हाकी टीम की दुनिया में पहचान है तो उसमें महाराज कृष्ण कौशिक या एमके कौशिक की मेहनत और त्याग का बड़ा योगदान है। वह महिला हाकी के पितामह थे। कौशिक का निधन हाकी परिवार के लिए बड़ी क्षति है। पूर्व दिग्गज खिलाड़ियों ने कहा कि वह अकेले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने महिला हाकी के लिए एक बेहतर ट्रैक बनाया। भारतीय महिला टीम की पूर्व कैप्टन व अर्जुन अवार्डी प्रीतम सिवाच ठाकरान और पूर्व अंतरराष्ट्रीय हाकी खिलाड़ी व अर्जुन अवार्डी व हरियाणा पुलिस में डीएसपी ममता खरब बताती हैं कि वर्ष 2000 के आसपास महिला हाकी टीम को कोई खास अहमियत नहीं दी जाती थी लेकिन कौशिक ने भारतीय टीम को बनाया और पदक दिलाए। उन्होंने हाकी खिलाड़ियों में जीतने का जज्बा भरा और कहा कि तुम्हारी जीत लोगों की सोच को बदल देगी। तुम्हारी कामयाबी भारत की हजारों लड़कियों का भविष्य बदल देगी। आज उनकी वह बातें सच हो रही है। उनका योगदान अतुलनीय है उसे भुलाया नहीं जा सकता।
एक-एक खिलाड़ी की काबिलियत की पहचान करना और टीम में चयन को लेकर किसी से भी जिद कर लेना, ऐसे कोच बहुत कम होते हैं। लेकिन एमके कौशिक अपनी बेहतर टीम बनाने के लिए हर उस खिलाड़ी के लिए जिद करते थे जो अच्छी खिलाड़ी थी। उनमें क्षेत्रवाद नहीं था। यह टीम की जीत का सबसे बड़ा राज था। वह खिलाड़ी की काबिलियत को देखते थे।
ममता व प्रीतम का कहना है कि अगर वह भारत के लिए खेलीं तो इसका श्रेय कौशिक को जाता है। प्रीतम ने बताया कि जब राष्ट्रीय प्रशिक्षण के लिए चयन हो रहा था तो कौशिक ने उनका चयन किया था। सुविधाएं नहीं होते हुए भी अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण देना उनकी महानता थी। हम सोचते थे कि विदेशों में अच्छे कोच हैं उनका मुकाबला कैसे होगा लेकिन जब हम विदेशों में खेलने गए तो वहां हमें अपने कोच की काबिलियत का एहसास हुआ। आज मैं स्वयं खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण दे पा रही हूं, तो यह सब कौशिक की बदौलत। उनसे जो सीखा था वह आज बच्चों को सिखा पा रही हूं। यही कारण है कि मेरे सेंटर की कई खिलाड़ी भारतीय टीम में खेल रही हैं।