आक्सीजन की कमी से किसी मरीज की जान न जाए इसके लिए हर जतन
लोगों को अक्सर सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों व अन्य स्टाफ से शिकायत रहती है लेकिन कोरोना महामारी में इन्हीं सरकारी डाक्टरों ने मरीजों का जीवन बचाने के लिए जी जान लगा रखी है। कोई मरीज आक्सीजन की कमी से मर न जाए इसके लिए सेक्टर दस जिला अस्पताल के डाक्टरों ने मिसाल पेश की है।
अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम
लोगों को अक्सर सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों व अन्य स्टाफ से शिकायत रहती है, लेकिन कोरोना महामारी में इन्हीं सरकारी डाक्टरों ने मरीजों का जीवन बचाने के लिए जी जान लगा रखी है। कोई मरीज आक्सीजन की कमी से मर न जाए इसके लिए सेक्टर दस जिला अस्पताल के डाक्टरों ने मिसाल पेश की है। डाक्टरों का कहना है कि इस समय सुविधा नहीं देखनी है, जान बचानी अधिक अहम है।
शहर में हर रोज किसी न किसी अस्पताल से खबर मिल रही है कि आक्सीजन नहीं मिलने के कारण मरीज की मौत हो गई और वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग के डाक्टर एक-एक मरीज की जान बचाने में लगे हैं। जिला अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए 30 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया हुआ है और 25 बेड का वार्ड ऐसे कोरोना संदिग्ध मरीजों के लिए बनाया गया है जिनको आक्सीजन की जरूरत है।
दोनों वार्ड के सभी बेड पर मरीज भर्ती हैं
लेकिन हर रोज अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ऐसे गंभीर मरीज पहुंच रहे हैं जिन्हें आक्सीजन की सख्त जरूरत है। मरीजों की जान बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों ने मरीजों को स्ट्रेचर और मरीजों के स्वजनों के बैठने के लिए बनाए गए चबूतरे व जमीन पर गद्दा लगाकर मरीजों को आक्सीजन दी जा रही है। तो कहीं कुर्सी पर बैठाकर आक्सीजन दी जा रही है, ताकि मरीज की जान बच जाए।
डाक्टरों का कहना है कि मरीज अधिक भर्ती है और जगह नहीं है लेकिन मरीज का जान बचानी है तो ऐसा किया जा रहा है। इमरजेंसी वार्ड के इंचार्ज डा. योगेंद्र सिंह का कहना है कि मरीज को इलाज मिल सके इसी लिए ऐसे कदम उठाए गए हैं।