छोटे अस्पतालों में आक्सीजन सिलेंडर मिलना आसान नहीं

हर अस्पताल से शव निकलते दिखते हैं और आक्सीजन की सप्लाई होने के दावे होते है। लेकिन सच्चाई यह है कि न शवों की गिनती हो रही है और न आक्सीजन की सप्लाई ठीक से हो पा रही।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Apr 2021 05:42 PM (IST) Updated:Fri, 30 Apr 2021 05:42 PM (IST)
छोटे अस्पतालों में आक्सीजन सिलेंडर मिलना आसान नहीं
छोटे अस्पतालों में आक्सीजन सिलेंडर मिलना आसान नहीं

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: हर अस्पताल से शव निकलते दिखते हैं और आक्सीजन की सप्लाई होने के दावे होते है। लेकिन सच्चाई यह है कि न शवों की गिनती हो रही है और न आक्सीजन की सप्लाई ठीक से हो पा रही। इस वक्त गुरुग्राम में छोटे अस्पतालों को आक्सीजन सिलेंडर सप्लाई व्यवस्था चरमराई हुई तो बढ़ती मरीजों की संख्या में आक्सीजन बेड ही नहीं है। आज हालत यह है कि शहर में कई हजार मरीजों को आक्सीजन बेड की सख्त जरूरत है लेकिन कोई विकल्प नहीं है। हर रोज छोटे-छोटे अस्पतालों की तरफ से शिकायत आ रही है कि समय पर गैस सिलेंडर नहीं मिल रहे हैं। बड़ी भाग-दौड़ करने के बाद कुछ सिलेंडरों का प्रबंध हो पा रहा है। छोटे अस्पतालों में हालत यह है कि मरीज के स्वजन स्वयं भी अपने मरीज के लिए आक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए मारे-मारे भटकते रहते हैं।

आक्सीजन बेड तैयार करने की जरूरत: कोरोना मरीजों की हालात देखते हुए करीब पंद्रह दिनों से मांग की जा रही है कि शहर में आक्सीजन सुविधाओं से लैस बेड संख्या बढ़ाई जाए। कागजों में जरूर बढ़ाई गई लेकिन जमीनी स्तर पर नहीं। इस वक्त शहर में 33 हजार से अधिक कोरोना मरीजों की संख्या है और इसमें बड़ी संख्या में मरीजों को आक्सीजन की जरूरत है। श्मशान में जलते शव कहां के हैं?

प्रशासन का दावा है कि मौतें बहुत कम हैं लेकिन फिर सवाल उठता है कि शहर के श्मशानों में जलते शव किस के हैं? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। प्रशासन हर रोज दस से कम मरीजों की मौत दिखा रहा है। जबकि शहर के अलग-अलग श्मशान में जलते शव अधिक हैं। शहर के बड़े श्मशान स्थल के अलावा दर्जनों शवों का हर रोज गांवों के श्मशान स्थल में अंतिम संस्कार हो रहा है।

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