डाक्टर की मृत्यु के बाद दोनों नेत्र किए दान
डाक्टर नितेश के पिता सुधाकर ने बताया कि नेत्र व अन्य अंग दान करने की उनकी पहले से तमन्ना थी। उन्होंने कहा कि नेत्रदान करने ककेअलावा अन्य अंग दान नहीं किए जा सके।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: मरीजों को जीवन देने वाला जब दुनिया को छोड़कर गया, तो दूसरों की दुनिया को रोशन कर किया। शुक्रवार को सड़क हादसे में 31 वर्षीय डाक्टर नितेश की मृत्यु हो गई। घायल होने के बाद अस्पताल ले जाया गया लेकिन डाक्टर उन्हें बचा नहीं सके। शुक्रवार सुबह दिल्ली-जयपुर हाइवे पर सड़क दुर्घटना में उनका देहांत हो गया तो स्वजन ने नेत्रदान करने का निर्णय लिया।
डाक्टर नितेश के पिता सुधाकर ने बताया कि नेत्र व अन्य अंग दान करने की उनकी पहले से तमन्ना थी। उन्होंने कहा कि नेत्रदान करने ककेअलावा अन्य अंग दान नहीं किए जा सके। उन्होंने कहा कि डाक्टर नितेश लोगों को अंगदान करने के लिए प्रेरित करते थे और अपने भी अंग दान करने का निर्णय पहले ही ले चुके थे। इसी लिए हमने उनके निर्णय को सम्मान किया।
सुधाकर ने कहा कि उनका बेटा दुनिया में नहीं रहा लेकिन उनके नेत्रों से दूसरे दुनिया को देख सकेंगे। उन्होंने कहा कि एक पिता के लिए यह सब करना मुश्किल पल होते हैं। दोनों नेत्र स्वास्थ्य विभाग के आई बैंक में दान कर दिए गए। सुधाकर का परिवार सेक्टर 69 स्थित एक सोसायटी में रहता है। वह मूल रूप से आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं लेकिन पिछले 25 साल से गुरुग्राम में रहते हैं।