तीसरी लहर की कितनी तैयारी: अस्थायी अस्पताल के लिए एमबीबीएस छात्रों की ली जाएगी सहायता
अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है और उस समय मरीजों की संख्या अधिक रहती है तो अस्थायी अस्पतालों का संचालन किया जाएगा। शहर में तीन जगह अस्थायी अस्पताल बनकर तैयार हैं।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है और उस समय मरीजों की संख्या अधिक रहती है तो अस्थायी अस्पतालों का संचालन किया जाएगा। शहर में तीन जगह अस्थायी अस्पताल बनकर तैयार हैं। जब कोरोना महामारी की दूसरी लहर में मरीजों को इलाज के लिए बेड कम पड़ रहे थे तो प्रशासन ने तय किया कि शहर में अस्थायी अस्पताल बनाकर मरीजों को इलाज दिया जाए। हालांकि, ऐसा सोचना व प्लानिग करने में देरी हुई और जब तक अस्थायी अस्पताल बनकर तैयार हुए, तब तक कोरोना संक्रमण का कहर समाप्ति पर था और मरीजों की संख्या बहुत कम हो चुकी थी। अब अधिकारियों का कहना है कि अगर तीसरी लहर में मरीजों की संख्या अधिक होगी तो अस्थायी अस्पतालों का संचालन किया जाएगा, जिसमें बेड आक्सीजन सुविधाओं से लैस होंगे। अस्थायी अस्पताल: कोरोना की दूसरी लहर के कहर को देखते हुए शहर में अस्थायी अस्पताल बनने की प्लानिग की गई और अलग-अलग जगह 500 से अधिक बेड के अस्थायी अस्पताल बनाए जा रहे थे, लेकिन कोरोना संक्रमण का कहर कम होने के कारण काम रोका गया। सिविल सर्जन डाक्टर विरेंद्र यादव ने कहा कि इसके लिए डाक्टरों व अन्य स्टाफ की संख्या पूरी करने के लिए मेडिकल कालेजों से एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्रों और नर्सिंग स्टाफ की सहायता ली जाएगी। पहले भी उनकी सहायता ली गई है और अगर भविष्य में जरूरत हुई तो सहायता ली जाएगी। शहर में जो अस्थायी अस्पताल बनाए गए थे उनके लिए स्टाफ की पूर्ति करने के लिए मेडिकल कालेजों से सहायता ली जा रही थी।
डाक्टर यादव का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में जितने बेड हैं उस हिसाब से स्टाफ पूरा है। अगर हम अस्थायी अस्पतालों की संख्या बढ़ाते हैं तो डाक्टर व स्टाफ की कमी होगी। इसके लिए मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्रों और इसी तरह नर्सिंग कालेज से अंतिम वर्ष की छात्राओं की सहायता ली जाएगी। एंबुलेंस संचालकों पर कसा गया शिकंजा: कोरोना महामारी की दूसरी लहर का कहर जब जारी था तो कुछ एंबुलेंस के संचालकों ने मरीजों को कुछ किलोमीटर की दूरी पर एक से दूसरे अस्पताल में ले जाने के लिए हजारों रुपये वसूले। यही नहीं कोरोना मरीज की मृत्यु के बाद शव को श्मशान स्थल पर ले जाने के लिए भी हजारों रुपये किराया लिया गया। जिसके बाद प्रशासन ने एंबुलेंस का किराया तय किया गया। प्रति किलोमीटर के हिसाब से रेट तय किए गए। सिविल सर्जन का कहना है कि प्रशासन ने अब एंबुलेंस का रेट तय किया हुआ है अगर तीसरी लहर का कहर बढ़ता है तो एंबुलेंस संचालक तय किए हुए रेट से अधिक नहीं ले सकेंगे। अगर कोई लेता है तो वह प्रशासन में शिकायत कर सकता है।