पैरालिपिक खिलाड़ियों का संदेश, जीवन में कभी न माने हार

टोक्यो पैरालिपिक के पदक विजेताओं व प्रतिभागियों को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने रविवार को सम्मानित किया। यह सम्मान समारोह सेक्टर 23 स्थित नार्थ कैप यूनिवर्सिटी के सभागार में आयोजित किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 07:50 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 08:09 PM (IST)
पैरालिपिक खिलाड़ियों का संदेश, जीवन में कभी न माने हार
पैरालिपिक खिलाड़ियों का संदेश, जीवन में कभी न माने हार

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : टोक्यो पैरालिपिक के पदक विजेताओं व प्रतिभागियों को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने रविवार को सम्मानित किया। यह सम्मान समारोह सेक्टर 23 स्थित नार्थ कैप यूनिवर्सिटी के सभागार में आयोजित किया गया। सम्मान प्राप्त कर अभिभूत हुए खिलाड़ियों ने भी मंच से अपने विचार व्यक्त किए। सभी का यही कहना था कि हमें जीवन में कभी किसी भी भी परिस्थिति में हार नहीं मानना चाहिए न ही कभी निराश होना चाहिए। आत्मविश्वास के साथ आगे कदम बढ़ाते रहना चाहिए। इससे एक न एक दिन उपलब्धि अवश्य हासिल होगी।

----

पदक जीतने की खुशी तब बढ़ जाती है, जब सरकार व जनता सम्मान देती है। जब मैंने टोक्यो में पदक जीता, तो मेरे जानने वालों का फोन आए। उन्होंने बताया कि तुम्हारी जीत से देश में बहुत खुशी है। एक उत्सव की तरह माहौल है। जब भारत वापस आए तो देखकर खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इस सम्मान के लिए सभी का आभार।

-हरविद्र, पैरालिपिक पदक विजेता

मैं बचपन में पोलियो का शिकार हुआ। जब सब बच्चे दौड़ते थे तो मैं भी दौड़ने के लिए सोचता था। मां ने मुझे प्रेरित किया। तभी मैंने मन बना लिया था कि आगे बढ़ना है। कोरोना काल में मेरे लिए प्रशिक्षण लेने का संकट था। फिर मैंने घर में ही शूटिग रेंज बनाई। आज मैं खुशी हूं कि देश के लिए 10 व 50 मीटर शूटिग में पदक जीत पाया। प्रधानमंत्री का खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना हमें हौसला देता है। -सिंहराज, पैरालिपिक पदक विजेता ---- वर्ष 2017 में खेलना शुरू किया, तो सोचा नहीं कि यहां तक पहुंच पाऊंगा। मेहनत काम आई। मेरा सभी को यही कहना है कि दिव्यांग के सामने सबसे अधिक चुनौतियां है अगर वह उन चुनौतियों को स्वीकार कर लेता है तो वह देश का नाम रोशन करने के हिम्मत रखता है। अपने जीवन में संघर्ष करना सीखे और सरकार आपके साथ है।

-योगेश कथूरिया,पैरालिपिक पदक विजेता जब वर्ष 2016 में खेलना शुरू किया, तो लगा था कुछ नहीं बदलेगा लेकिन 2018 में एशियन खेलों में पदक जीता तो उसी समय ठान लिया था कि पैरालिपिक में देश के लिए पदक जीतना है। आज कामयाब रहा। जब पदक जीता तो बहुत खुशी हुई लेकिन उससे अधिक खुशी देश के प्रधानमंत्री का प्यार व जनता द्वारा दिए गए सम्मान से मिली है।

-मनीष नरवाल, पैरालिपिक पदक विजेता

वर्ष 2015 में खेलना शुरू किया और खुशी है कि देश के लिए नए विश्व रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक जीत पाया। जिस तरह से प्रदेश व केंद्र सरकार के साथ देश की जनता का प्यार व सम्मान मिला है, वह हमें भविष्य में देश के लिए पदक जीतने के लिए प्रेरित करता है। अब आने वाली प्रतियोगिताओं में देश के लिए अधिक पदक जीतने का लक्ष्य है।

-सुमित अंतिल, पैरालिपिक पदक विजेता

टोक्यो ओलिपिक में पदक जीतने के बाद देश में बहुत सम्मान मिला है। मैं इस मंच से हर भारतवासी का आभार व्यक्त करता हूं। जिस तरह से भारतीय पैरालिपिक खिलाड़ियों ने टोक्यो में पदक जीतने हैं, आज वह हमारे हीरो है। उनसे हमें प्रेरणा मिलती है। किस तरह मुश्किलों से जूझते हुए वह दुनिया में तिरंगा फहराते हैं। उन सभी साथ खिलाड़ियों को सलाम।

-नीरज चोपड़ा, टोक्यो ओलंपिक पदक विजेता

प्रदेश व केंद्र सरकार की खेल नीतियों के कारण आज हम टोक्यो ओलिपिक व पैरालिपिक में अधिक पदक जीत पाए हैं। मैं दिव्यांग युवाओं से अपील करती हूं कि वह भी इन खिलाड़ियों की तरह देश का नाम रोशन करने आगे आए। खिलाड़ियों को हर संभव सुविधा और इनाम देने में प्रदेश व केंद्र सरकार का बहुत आभार।

-दीपा मलिक, रियो पैरालिपिक पदक विजेता व अध्यक्ष भारतीय पैरालिपिक कमेटी

chat bot
आपका साथी