आग से झुलसे लोगों के लिए जिले में कहीं नहीं है बर्न वार्ड

उद्योग नगरी में अगर दिल्ली जैसा हादसा हो जाता है तो यहां बर्न के एक मरीज को इलाज नहीं मिलेगा। जिला स्वास्थ्य विभाग के पास कोई बर्न वॉर्ड नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 08 Dec 2019 04:32 PM (IST) Updated:Sun, 08 Dec 2019 04:32 PM (IST)
आग से झुलसे लोगों के लिए जिले में कहीं नहीं है बर्न वार्ड
आग से झुलसे लोगों के लिए जिले में कहीं नहीं है बर्न वार्ड

अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम

करीब तीस लाख की आबादी वाले इस शहर में स्वास्थ्य विभाग के पास बर्न वॉर्ड नहीं है। अगर कभी दुर्भाग्य से उद्योग नगरी में दिल्ली के अनाज मंडी आग जैसा हादसा हो जाए तो मरीज को दिल्ली या फिर यहां के प्राइवेट अस्पताल की इमरजेंसी में ही इलाज मिल सकेगा। यहां सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में बर्न वार्ड नहीं है। प्रशासन जानकर भी मौन है, जबकि यहां आज भी ऐसे उद्योग हैं जो रिहायशी इलाकों में चल रही है। जिला अस्पताल में बर्न वार्ड बनाने के भी प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, इंतजार हो रहा है कि जिला अस्पताल की नई इमारत तैयार हो जाए, जिसका निर्माण होने में अभी कई साल लग सकते हैं। 6 बेड का बर्न वार्ड था:

जिला नागरिक अस्पताल में 6 बेड का बर्न वार्ड था लेकिन अब जिला अस्पताल की इमारत खाली करा ली गई है तो वह बर्न वॉर्ड बंद हो गया। बर्न वॉर्ड में 40 प्रतिशत तक जले हुए मरीज का इलाज किया जाता था और 20 प्रतिशत तक जले हुए बच्चों को इलाज ही संभव था। ज्यादा जले लोगों को पहले भी दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता था। अब तो आग से झुलसे मरीज को देखते ही डॉक्टर उसे रेफर कर देते हैं।

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बड़े-बड़े अस्पतालों में नहीं बर्न वॉर्ड ::

शहर में कई नामी प्राइवेट अस्पताल है। विदेश तक के मरीज इलाज कराने गुरुग्राम के इन प्राइवेट अस्पतालों में पहुंचते हैं लेकिन किसी में बर्न वॉर्ड नहीं है। जिला स्वास्थ्य विभाग के अलावा शहर में छोटे-बड़े 100 से ज्यादा अस्पताल हैं लेकिन किसी में बर्न वॉर्ड की सुविधा नहीं है।

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सरकार से मिली रकम गई वापस

केंद्र सरकार ने वर्ष 2010-11 में दिल्ली के साथ लगते हरियाणा प्रदेश के सभी शहरों को पैसा दिया था कि अपने अस्पतालों में बड़ा बर्न वॉर्ड बना लें, ताकि दिल्ली सफदरजंग अस्पताल पर दबाव कम किया जाए। गुरुग्राम स्वास्थ्य विभाग को एक करोड़ रुपये दिए गए थे। लेकिन स्वास्थ्य विभाग बर्न वॉर्ड नहीं बना पाया था, जबकि यह पैसा करीब दो वर्ष स्वास्थ्य विभाग के पास रहा था। पैसा वापस केंद्र सरकार के पास भेज दिया गया था। पहले हमारे पास 6 बेड का बर्न वॉर्ड था लेकिन इमारत खाली करने के कारण अब बर्न वॉर्ड नहीं है। नई इमारत में बड़ा बर्न वॉर्ड बनाने का प्रावधान है और उसमें गंभीर से गंभीर मरीज को इलाज की सुविधा मिलेगी।

डॉ. जसवंत सिंह पूनिया, सिविल सर्जन

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