कम से कम अपनों को अंगदान करने में हिचकें नहीं
देश में अंगदान करने वालों की संख्या बहुत कम है। डॉक्टरों का कहना है कि देश में हर वर्ष लाखों लोगों को अंग प्रत्यारोपण कराने की जरूरत होती है लेकिन बड़ी संख्या में मरीजों को अंग नहीं मिलने का कारण मौत होती है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: देश में अंगदान करने वालों की संख्या बहुत कम है। डॉक्टरों का कहना है कि देश में हर वर्ष लाखों लोगों को अंग प्रत्यारोपण कराने की जरूरत होती है, लेकिन बड़ी संख्या में मरीजों को अंग नहीं मिलने के कारण मौत हो जाती है। डॉक्टर्स कहते हैं कि मरने के बाद भी व्यक्ति के अंगदान कर दिए जाएं तो बड़ी संख्या में लोगों को जीवन दिया जा सकता है। डॉक्टर की बिना सलाह के दवा लेना और ज्यादा एल्कोहल, तंबाकू व फॉस्फोरिक एसिड, सॉफ्ट ड्रिक का सेवन करना भी शरीर के अंग को नुकसान पहुंचाता है। यही कारण है कि भारत में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है। जिन्हें अंग की जरूरत है। हमें ऐसी चीजों का सेवन करने से बचना होगा, जो हमें नुकसान पहुंचा रही है।
डॉ. काजल कुमुद, वरिष्ठ फिजिशियन एक मरीज महंगी दवा खरीद सकता है, लेकिन शरीर के खराब अंग को नहीं खरीद सकता। इसलिए उसकी देखभाल रखना भी स्वयं की जिम्मेदारी है। भारत में अंगदान करने वालों की संख्या बहुत कम है। अगर हम लोगों को यह समझाने में कामयाब हो जाएं कि व्यक्ति जीवत रहते भी अंगदान कर सकता है और स्वस्थ रह सकता है तो अंगदान करने वालों की संख्या बढ़ सकती है।
डॉ. एसपी भनोट, सर्जन डायबिटीज और उच्च रक्तचाप में करीब 70 प्रतिशत किडनी फेल होने के कारण हैं। मरीज का सेहतमंद भोजन, नियमित व्यायाम और उचित दवाएं डायबिटीज, उच्च रक्तचाप व किडनी की समस्या को नियंत्रित करने में मददगार होगा। अगर मरीज को ज्यादा जरूरत है तो उसे कोई भी किडनी देकर जीवन दे सकता है और दानी भी बेहतर जीवन जी सकता है।
डॉ. नवीन कुमार, वरिष्ठ फिजिशियन जनसंख्या में भारत बड़ा देश है, लेकिन अंगदान करने में बहुत पीछे है। एक व्यक्ति जीवित रहते भी और मरने के बाद भी दूसरे को जीवन दे सकता है। हमारे शरीर में ऐसे कुछ अंग हैं, जिनकी संख्या दो है और एक से बेहतर जीवन जीया जा सकता है। इसलिए कम से कम अपनों की जरूरत पड़ने पर अंगदान करने में किसी तरह की हिचक नहीं होनी चाहिए।
डॉ. संजय नरुला, सर्जन