हेलो जागरण: ब्रेन स्ट्रोक में मरीज को जितना जल्द इलाज मिलेगा, उसके लिए बेहतर

अगर बीमारी की समय पर पहचान हो जाए तो उसका बेहतर इलाज संभव हो पाता है। ब्रेन स्ट्रोक में मरीज करे जितना जल्द इलाज मिलेगा मरीज के लिए उतना ही फायदेमंद होगा क्योंकि मरीज के कोशिकाओं (सेल्स) को बचाना बहुत जरूरी है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 29 Oct 2021 06:09 PM (IST) Updated:Fri, 29 Oct 2021 08:32 PM (IST)
हेलो जागरण: ब्रेन स्ट्रोक में मरीज को जितना जल्द इलाज मिलेगा, उसके लिए बेहतर
हेलो जागरण: ब्रेन स्ट्रोक में मरीज को जितना जल्द इलाज मिलेगा, उसके लिए बेहतर

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: अगर बीमारी की समय पर पहचान हो जाए तो उसका बेहतर इलाज संभव हो पाता है। ब्रेन स्ट्रोक में मरीज करे जितना जल्द इलाज मिलेगा मरीज के लिए उतना ही फायदेमंद होगा क्योंकि मरीज के कोशिकाओं (सेल्स) को बचाना बहुत जरूरी है। इलाज में देरी मरीज के लिए नुकसानदायक साबित होती है। डाक्टरों का कहना है कि बीमारी की अनदेखी करना घातक होगा। मरीज को लकवा हो सकता है। जब मस्तिष्क प्रभावित होता है तो व्यक्ति के लिए कई तरह की परेशानी होने लगती है। मरीज को चलने फिरने के अलावा देखने में परेशानी होने लगती है। शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है। स्वयं को ऐसा लगता है जैसे वह टेढ़ा चल रहा है। स्मरणशक्ति कम हो जाती है। मरीज कुछ बातें भूलने लगता है। मरीज को अल्जाइमर, डिमेंशिया, मिर्गी, माइग्रेन, स्ट्रोक और मस्तिष्क ट्यूमर होने का खतरा होता है। अगर आपको लगातार सिरदर्द, गर्दन, पीठ या फिर शरीर के अन्य अंगों में दर्द है तो सतर्क हो जाएं। आपको न्यूरो संबंधित बीमारी होने का खतरा हो सकता है। अनदेखी करने व समय पर इलाज नहीं मिलने से आगे चलकर ब्रेन हैमरेज, ब्रेन ट्यूमर का खतरा हो सकता है। शुक्रवार को दैनिक जागरण द्वारा आयोजित हेलो जागरण कार्यक्रम में कोलंबिया एशिया अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरो रोग विशेषज्ञ डा. अपूर्व शर्मा और डा. निशांत याग्निक ने एक घंटे से अधिक समय तक लोगों को फोन पर न्यूरो संबंधित बीमारियों से बचाव व इलाज को लेकर सलाह दी। उन्होंने लोगों को मिर्गी आने, मस्तिष्क में होने वाली बीमारी के कारण लकवा होने, न्यूरो संबंधी बीमारियों के बारे में लोगों को चिकित्सा सलाह दी।

मेरा नाम सोहन लाल है। मुझे भूलने की बीमारी है। दौरे भी आते हैं।

- देखिए, जिस तरह से आप बता रहे हैं यह चिता की बात है। क्या आपने कोई जांच कराई है। यदि नहीं तो करा लीजिए। अपनी जांच की सभी रिपोर्ट लेकर आएं। रिपोर्ट देखने के बाद ही आपकी बीमारी का पता चल सकेगा। मेरा नाम प्रेमनाथ है और उम्र 56 साल है। मुझे भूलने की बीमारी है।

क्या आपने किसी डाक्टर को दिखाया है। डाक्टर ने आपको कौन सी दवा दी है। जैसा आप बता रहे हैं कि आपको लंबे समय से यह बीमारी है तो यह कहना मुश्किल होगा कि आपकी बीमारी जड़ से खत्म हो सकती है। आपकी दवा और रिपोर्ट देखने के बाद ही पता चलेगा कि आपको लंबे समय तक दवा खानी है या नहीं। वैसे आप अपनी दिनचर्या में बदलाव करें। अगर आप कसरत नहीं करते हैं तो शुरू कर दीजिए। अपने आपको व्यस्त रखने की कोशिश करें। मेरा नाम कमला रानी है। मुझे कई बार सिर में तेज दर्द होता है। क्या न्यूरो संबंधी बीमारी का खतरा है?

देखिए, सिर दर्द होने के कई कारण होते हैं। ऐसा नहीं है कि अगर आपको सिर दर्द है तो आपको न्यूरो संबंधी बीमारी होगी। क्या आपने अभी तक कोई सीटी स्कैन या अन्य कोई जांच कराई है। आप एक बार डाक्टर को दिखा लें। कई बार महिलाओं को हारमोनल परिवर्तनों से भी शरीर में परिवर्तन होते हैं।

मेरा नाम ओंकार चौहान है। मुझे भूलने की बीमारी है। क्या मुझे ब्रेन स्ट्रोक का खतरा है?

देखिए, आप घबराएं नहीं। एक बार आप विटामिन-12, थायराइड और एमआरआइ ब्रेन जांच करा लीजिए। रिपोर्ट देखने के बाद ही स्पष्ट होगा कि आपको क्या दिक्कत है। एमआरआई की रिपोर्ट से पता चल जाएगा कि सिर के किसी हिस्से में कोई बीमारी तो नहीं बन रही है।

मेरा नाम बीर सिंह है और उम्र 61 वर्ष है। मुझे मिर्गी के दौरे आते हैं कई बार बेहोश होकर गिर जाता हूं।

- आप अपनी दवाएं जारी रखें। डाक्टर को नियमित दिखाएं। डाक्टर के बताए अनुसार ही दवा की डोज बढ़ाएं। इसके अलावा आप हल्का व्यायाम शुरू कर दें। जितना हो सके तनावमुक्त रहें। इसके लिए आप एक घंटा अपना पसंदीदा कार्य करें। बिना डाक्टर के बताए अनुसार दवा न लें इससे आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

मेरा नाम राजेंद्र सिंह है और मुझे भूलने की बीमारी है।

- क्या आपने कोई जांच कराई है। क्या आप नाम भूल रहे हैं या चेहरा भूल जाते हैं। क्या आपको कैलकुलेट करने में भूलने की समस्या हो रही है। आप एक बार अस्पताल जाकर दिखाएं, आपकी कुछ जांच कराई जाएंगी। जांच के बाद ही बीमारी का पता चल सकेगा।

मेरा नाम बृजमोहन है। मुझे मिर्गी का दौरा आया है।

- क्या आपको पहली बार मिर्गी का दौरा आया है। कमजोरी हुई या झटका महसूस हुआ है। क्या आपके शरीर के किसी हिस्से में गांठ महसूस हो रही है। घबराएं नहीं, अगर मरीज को समय पर इलाज मिल जाता है तो काफी हद पर बीमारी को कंट्रोल में किया जा सकता है।

मेरा नाम गौरी शंकर शर्मा है। मुझे ब्रेन स्ट्रोक हुआ था क्या दोबारा से होने का खतरा है?

- क्या आपको ब्रेन स्ट्रोक के दौरान ब्लीडिग हुई थी या नहीं। आपकी दवाइयां अभी चल रही हैं। जो दवा आपने बताई है वह सही है। केवल इस बात का ध्यान रखिए कि डाक्टर जैसे बताएं उसी अनुसार दवा के डोज लें। मेरा नाम सतबीर यादव है। मुझे माइग्रेन की समस्या है। क्या न्यूरो संबंधी बीमारी का खतरा है।

- जरूरी नहीं है कि हर सिरदर्द न्यूरो संबंधी ही हो। आपने जांच कराई थी जिसमें आपको पता चला कि माइग्रेन है। आप अपनी दवाइयों का ध्यान रखें। जब माइग्रेन का दर्द हो तभी दवा लें। बिना वजह दवा न खाएं। सुबह शाम की सैर शुरू कर दें। कम से कम आधा घंटा अपनी फिटनेस को दें। मेरा नाम बलबीर है। मुझे रात को सपने आते हैं। इसके बाद एकदम से उठ जाता हूं और उसके बाद नींद नहीं आती है।

- जैसा आपने बताया है उसके अनुसार यह समस्या आपको तनाव के कारण हो रही है। अपने आपको तनावमुक्त रखिए। जहां तक संभव हो बच्चों के साथ खेल खेलने में समय व्यतीत करें। आपको दिनचर्या में बदलाव करने की जरूरत है।

मेरा नाम दीपाली है। ब्रेन हैमरेज मरीज को ठीक होने में कितना समय लगता है।

- जब भी ब्रेन हैमरेज होता है तो उस मरीज को स्वस्थ होने में लंबा समय लगेगा। मरीज को दवा नहीं छोड़नी है। खून पतला करने के लिए दवा लेते रहना होगा लेकिन समय-समय पर जांच भी करानी चाहिए। कहीं खून अधिक पतला हो गया तो मरीज को नुकसान हो सकता है।

मेरा नाम बलजीत है। मुझे ब्रेन स्ट्रोक हुआ है। अब सिर में दर्द रहता है।

- कई बार सिर में दर्द चिता व गुस्से के कारण भी होता है। आप अपना बीपी भी मापते रहें। कई लोगों में अक्सर यह समस्या होती है। चिता न करें लेकिन इसकी अनदेखी भी न करें। डाक्टर से मिलकर सलाह जरूर लें। जहां आपका इलाज चल रहा है उस डाक्टर से एक बार परामर्श लें और उनके बताए अनुसार जांच भी कराएं।

मेरा नाम बलबीर है। गर्दन में दर्द रहता है। क्या न्यूरो समस्या है।

- देखिए इसे नकारा नहीं जा सकता लेकिन बिना जांच किए कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। गर्दन में दर्द रहने के कई कारण हो सकते हैं। न्यूरो समस्या भी हो सकती है और सर्वाइकल भी हो सकता है। कई बार सोते समय गर्दन के नीचे ऊंचा तकिया लगाने के कारण भी हो सकता है। अगर गर्दन में दर्द के साथ आपके हाथ में दर्द होता है तो डाक्टर को दिखाना होगा। आप कुछ दिन गर्दन की एक्सरसाइज करके देख लें। अगर सर्वाइकल का दर्द होगा तो ठीक हो जाएगा। अगर ठीक नहीं होता है तो तुरंत डाक्टर से सलाह लें। डाक्टर साहब मेरा नाम जयदीप है। मेरे बेटे के हाथ में कंपन रहता है।

- यह कोई घबराने की जरूरत नहीं है लेकिन डाक्टर को दिखा लीजिए। कुछ बच्चों को जन्म के समय ऐसी समस्या रहती है। जब वह कुछ बर्तन गिलास, चम्मच आदि पकड़ेंगे तो हाथ हिलता रहेगा। इनका दवा से बेहतर इलाज है। यह कोई न्यूरो संबंधित बीमारी नहीं है। मेरा नाम सुषमा है। मुझे कोरोना हुआ था और उसके बाद कई बार ऐसा महसूस करती हूं जैसे बेहोश-सी हो रही हूं।

- क्या कोरोना संक्रमण होने से पहले ऐसा नहीं होता था। अगर ऐसा बाद में होने लगा है तो डाक्टर से जांच जरूर कराए। क्योंकि आप यह न समझें कि यह कोरोना के कारण हो रहा है। इसका कोई दूसरा कारण भी हो सकता है। जांच के बाद स्पष्ट हो जाएगी कि क्यों ऐसा हो रहा है।

मेरा नाम अनिल है। कई बार मैं बातें भूल जाता हूं। डाक्टर साहब क्या बातों को भूल जाना न्यूरो संबंधित बीमारी है।

- भूलना एक बीमारी है लेकिन यह देखना होगा कि यह भूलने की बीमारी कब से शुरू हुई है। जैसे कुछ बातें भूल जाना और पैसे के लेन-देन को नहीं भूलता है तो गंभीर मामला नहीं है। अगर पैसे देकर भूल जा रहा है तो इलाज कराना होगा। अगर कोई जांच आपने पहले कराई है तो अपनी जांच की रिपोर्ट लेकर एक बार अस्पताल आकर दिखाएं।

मेरा नाम पवन है और उम्र 22 वर्ष है। मुझे भूलने की बीमारी है क्या मुझे न्यूरो की समस्या हो सकती है?

देखिए, आपकी उम्र काफी कम है। मेरा सुझाव है कि आप अपनी दिनचर्या में बदलाव करें। आपको इससे जरूर फायदा मिलेगा। इतनी कम उम्र में न्यूरो की दवा लेना ठीक नहीं है। आप जहां तक संभव हो पजल वाला गेम खेलें। समय सारणी बनाएं और रोजाना दो पजल गेम पूरे करें। इससे आपकी सोचने की क्षमता बढ़ेगी। आपको केवल अपने तनाव की कड़ी की तोड़ना है। मेरा नाम राजेश है। मेरी बेटी मुस्कान 18 साल की है। उसे दौरे पड़ते हैं और वह बोल नहीं पाती है।

- देखिए, आप घबराएं नहीं, कोशिश करें कि मरीज को कोई तनाव न दें। उसके आसपास खुशनुमा माहौल बनाकर रखें। सकारात्मक ऊर्जा इंसान को बीमारी से लड़ने की क्षमता देती है। आप उनको अस्पताल लेकर आएं और जांच कराएं। इसके बाद उनका इलाज बेहतर तरीके से शुरू किया जा सकेगा।

------------------------ स्पाइन स्ट्रोक व ब्रेन स्ट्रोक में अंतर

स्पाइन स्ट्रोक व ब्रेन स्ट्रोक दोनों अलग होते है। ब्रेन स्ट्रोक मस्तिष्क को प्रभावित करता है और मस्तिष्क की ओर से होने वाले रक्त प्रवाह को बाधित करता है। जब स्पाइन स्ट्रोक होता है तो स्पाइनल कार्ड को प्रभावित करता है। स्पाइनल कार्ड सेंट्रल नर्वस सिस्टम का भाग है। हालांकि स्पाइनल स्ट्रोक के मामले ब्रेन स्ट्रोक से कम होते हैं। जब रक्त का प्रवाह बाधित होता है तो स्पाइनल कार्ड को रक्त आक्सीजन और आवश्यक तत्व मिलने बंद हो जाते हैं। अधिकतर स्पाइनल स्ट्रोक रक्त प्रवाह बाधित होने पर होता है। स्पाइन स्ट्रोक के लक्षण पर निर्भर करता है कि स्पाइनल कार्ड का कौन सा भाग कितना प्रभावित हुआ है और उसे कितनी क्षति पहुंची है। अधिकतर मामलों में लक्षण अचानक दिखाई देते हैं। कुछ मामलों में लक्षण स्ट्रोक आने के कई-कई घंटे बाद पता चलता है। अगर स्पाइनल कार्ड के आगे के भाग में रक्त की आपूर्ति कम हुई है तो मरीज के पैर स्थायी रूप से लकवा ग्रस्त हो सकते हैं। मरीज को सांस लेने में परेशानी शुरू हो जाएगी। सर्दियों के मौसम में ब्रेन स्ट्रोक का अधिक खतरा होता है। वहीं ब्रेन स्ट्रोक की समस्या होने पर जबान में लड़खड़ाहट आ जाती है। इसमें शरीर के एक हिस्से के हाथ-पैर काम करना बंद कर देंगे। यह समस्या होने पर सिर में बहुत तेज दर्द होता है। मरीज को उल्टी और चक्कर आना। इस बीमारी में कई मरीज भ्रम की स्थिति में रहते हैं और सांस लेने में परेशानी होती है। ऐसे रहें स्वस्थ

- संतुलित भोजन लें। हरी पत्तेदार सब्जियां जरूर खाएं। जंक फूड खाने से बचें।

- रोजाना योग करें और सुबह शाम सैर को दिनचर्या में शामिल करें।

- कम से कम एक घंटा अपने आप को दें, उस दौरान वह गतिविधियां करें जो आपको तनावमुक्त रखती हैं।

- शरीर स्वस्थ रखने के साथ-साथ मन को खुश रखने पर भी ध्यान दें।

- सेवा भाव रखते हुए कोशिश करें कि आप रोज एक व्यक्ति की मदद करें। इससे आपको खुशी मिलेगी और आप तनावमुक्त महसूस करेंगे।

इन लक्षणों से रहें सावधान

कई बार व्यक्ति के शरीर का कोई अंग अपने-आप फड़कता रहता है। जैसे कई बार आंख का ऊपरी हिस्सा फड़कता है। अगर यह अधिक समय ऐसे रहे तो डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए। व्यक्ति कई बार बेहोश होता है तो उसे मस्तिष्क की बीमारी होने के लक्षण अधिक हैं। हालांकि कई बार कुछ दौरे मामूली परिवर्तन के कारण भी आते हैं लेकिन इसका इलाज न कराने से बीमारी आगे चलकर गंभीर हो सकती है।

(मीडिया मार्केटिंग इनिशिएटिव)

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