संशोधित--- भाषण देने से पहले तैयारी करें नेता: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने रविवार को गुरुग्राम के सेक्टर-44 में सर छोटूराम के लेख व भाषणों पर आधारित पुस्तकों के पांच संस्करण का विमोचन किया। उन्होंने सर छोटूराम के विचारों व उनके द्वारा किए गए कार्यो के संकलन के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल की तारीफ की।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने रविवार को गुरुग्राम के सेक्टर-44 में सर छोटूराम के लेख व भाषणों पर आधारित पुस्तकों के पांच संस्करण का विमोचन किया। उन्होंने सर छोटूराम के विचारों व उनके द्वारा किए गए कार्यो के संकलन के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल की तारीफ की।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह भाषण देने या सदन में अपनी बात कहने से पहले पूरी तैयारी कर लेते थे। अब कुछ नेता ऐसे हैं, जो बिना तैयारी के कुछ भी बोल देते हैं। कुछ नेता बेतुकी बात कहने या बयान देने के चक्कर में हंसी के पात्र भी बन जाते हैं। मेरी सभी से यही सलाह है कि बोलने से पहले तैयारी कर लें, यह भी देख लें कि समाज में क्या असर पड़ने वाला है।
उन्होंने कार्यक्रम में आए पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला से मुलाकात की और मंच से उनकी तारीफ करते हुए कहा कि आज हमारे पुराने मित्र से मुलाकात हो गई। हम दोनों में गहरी दोस्ती है। कुछ कारण रहे, जिसके चलते मिलना नहीं हुआ। उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह की प्रशंसा की और कहा हम लोग तो एक ही मंत्रिमंडल के साथी हुआ करते थे। जब भी कोई मसला हो तो एक-दूसरे से संवाद भी होता रहता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा किसान मुफ्त बिजली नहीं चाहता है। वे लोग मुद्दा बनाते हैं, जिन्हें किसानों के बारे में ज्ञान नहीं है। हमने किसानी की है किसानों के लिए आंदोलन किए हैं। किसान चाहता है कि गांव के लिए अच्छी सड़क मिले तथा कम से कम 12 घंटे लगातार बिजली मिले। हमने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहते हुए किसानों को लाभ पहुंचाने का काम किया था। हम तो मंत्री भी बनना नहीं चाहते थे। चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा जब अटल जी ने मुझे मंत्री बनाने के लिए कहा तो मैने कहा कि हम तो अभी महामंत्री (उस वक्त भारतीय जनता पार्टी में महा सचिव थे) हैं, मंत्री क्यों बनें? अटल जी ने आग्रह किया कि दक्षिण भारत से आप जैसे साथी की जरूरत है। हमसे यह पूछा कि कौन सा मंत्रालय चाहिए। हमने कहा कृषि मंत्रालय, जो उस समय नीतीश कुमार के पास था। गठबंधन की सरकार थी, ऐसे में अटल जी ने कहा कि कोई दूसरा मंत्रालय ले लो, तब हमने ग्रामीण विकास मंत्रालय लिया।