पहले हरियाणा को एसवाइएल का पानी दिलाने की करें बात

सेना से सेवानिवृत होने के बाद बेहतर खेती करने वाले लोहचबका गांव के प्रगतिशील किसान धनीराम यादव ने किसानों के लिए आंदोलन करने वालों को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Dec 2020 05:52 PM (IST) Updated:Thu, 17 Dec 2020 05:52 PM (IST)
पहले हरियाणा को एसवाइएल 
का पानी दिलाने की करें बात
पहले हरियाणा को एसवाइएल का पानी दिलाने की करें बात

महावीर यादव, बादशाहपुर (गुरुग्राम)

सेना से सेवानिवृत होने के बाद बेहतर खेती करने वाले लोहचबका गांव के प्रगतिशील किसान धनीराम यादव ने किसानों के लिए आंदोलन करने वालों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने वाले लोगों ने कभी हरियाणा के किसानों के लिए सतलुज-यमुना-लिक (एसवाइएल) नहर के पानी को लेकर धरना प्रदर्शन नहीं किया। एसवाइएल का हरियाणा के किसानों को उनके हक का पानी मिल जाए तो क्षेत्र का किसान खुशहाल हो जाएगा। किसान हित की बात करने वाले पहले हरियाणा को उसके हिस्से का पानी दिलाने की बात करें। तभी उनकी किसान हित की बात सार्थक हो सकती है।

आज पंजाब के लोग किसान हितों की बात कर दिल्ली को घेरे बैठे हैं। उन्होंने कभी भी हरियाणा को उसके हिस्से का पानी देने की मांग नहीं की। उनका मानना है कि नए कृषि कानूनों से किसी भी प्रकार से किसानों का नुकसान नहीं हो रहा है। कानून में जो छोटे-मोटे सुधार की जरूरत है। उन पर केंद्र सरकार बातचीत करने को तैयार है। केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद भी किसान आंदोलन करना बेतुकी बात है।

सेना से सेवानिवृत होने के बाद धनीराम यादव व उनकी पत्नी चंद्रो यादव गांव लोहचबका में 5 साल से खेती कर रहे हैं। शुरुआत में तो उन्होंने परंपरागत फसलें लगाईं। उसके बाद उन्होंने बागवानी अपनाना शुरू की। ढाई एकड़ में अमरूद के बाग लगाए। आज उनके अमरूद आसपास ही नहीं पूरे प्रदेश में उम्दा किस्म के लिए जाने जाते हैं। एक एकड़ में प्रतिवर्ष एक लाख रुपये के आसपास की आमदनी होती है। अमरूद के पेड़ों के बीच में बची जमीन में वे सब्जी उगाते हैं। इससे उनको दोहरा लाभ हो जाता है। धनीराम यादव बताते हैं की मौसमी सब्जियों से अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं।

बागवानी के साथ-साथ वे गो-आधारित आर्गेनिक खेती कर रहे हैं। खेती में गाय के गोबर व गोमूत्र का प्रयोग करते हैं। गोबर की खाद और गोमूत्र प्रयोग करने से उनके अमरूदों का स्वाद एकदम अलग है। किसानों को गाय बचाने व पालन का मुद्दा सबसे पहले उठाना चाहिए। सभी राज्य सरकारों को गो-अभयारण्य बनाकर किसानों को जैविक खाद उपलब्ध कराना चाहिए। इससे कीटनाशकों व यूरिया के प्रभाव से बेमौत मरने से बचा जा सके। गोशालाओ को तुरंत प्रभाव से किसानी की श्रेणी में रखना चाहिए। गाय बचेगी तभी किसान बचेगा व देश विश्वगुरु बनेगा।

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