चार अधिकारियों और तीन ठेकेदारों पर मामला दर्ज

नगर निगम गुरुग्राम में 11 पार्षदों के फर्जी संतुष्टि प्रमाण पत्र तैयार कर लगभग ढाई करोड़ रुपये का भुगतान करवाने का प्रयास करने के मामले में निगम के चार अधिकारियों और तीन ठेकेदारों पर सदर थाना पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर ली है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 07:09 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 07:09 PM (IST)
चार अधिकारियों और तीन ठेकेदारों पर मामला दर्ज
चार अधिकारियों और तीन ठेकेदारों पर मामला दर्ज

संदीप रतन, गुरुग्राम

नगर निगम गुरुग्राम में 11 पार्षदों के फर्जी संतुष्टि प्रमाण पत्र तैयार कर लगभग ढाई करोड़ रुपये का भुगतान करवाने का प्रयास करने के मामले में निगम के चार अधिकारियों और तीन ठेकेदारों पर सदर थाना पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर ली है। इस संबंध में नगर निगम के मुख्य अभियंता ठाकुर लाल शर्मा ने जेई विनोद कुमार, एसडीओ विक्की कुमार, एक्सईएन गोपाल कलावत, पंकज सैनी और ठेकेदार दिलावर सिंह, राजकुमार और पवन बल्हारा के खिलाफ शिकायत दी थी। इन सबके खिलाफ धोखाधड़ी करने और षड्यंत्र रचने सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इनमें से जेई विनोद कुमार और एक्सईएन पंकज सैनी का पहले ही गुरुग्राम नगर निगम से तबादला हो चुका है।

बता दें कि बृहस्पतिवार को प्रदेश के गृह एवं शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज ने गुरुग्राम नगर निगम के औचक निरीक्षण के दौरान इस मामले में एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। मंत्री के औचक निरीक्षण के दौरान कुछ पार्षदों ने इस मामले को उठाया था। इस संबंध में नगर निगम ने भी अपनी आंतरिक जांच नवंबर 2020 में पूरी कर ली थी। लेकिन सात माह बाद अब एफआइआर दर्ज हुई है।

आधे-अधूरे हुए थे काम, नहीं हुआ था भुगतान

फर्जी संतुष्टि प्रमाण पत्र मामले में मामले में नगर निगम कार्यालय में चल रही जांच के दौरान नवंबर 2020 में पार्षदों और संबंधित निगम अधिकारियों के ब्यान दर्ज किए गए थे। विभिन्न वार्डों में 247.45 (लगभग ढाई करोड़ रुपये) लाख रुपये के 11 विकास कार्यों का भुगतान करवाने के प्रयास का आरोप है। शिकायत में आरोप है कि 11 पार्षदों के फर्जी संतुष्टि प्रमाण पत्र लगाए गए हैं। नगर निगम अधिकारियों की जांच में यह सामने आया था कि ये कार्य आधे-अधूरे किए गए थे। 11 पार्षदों ने इस संबंध में नगर निगम द्वारा की गई जांच के दौरान अपने ब्यान भी दर्ज करवाए थे। वार्ड छह के पार्षद अनूप सिंह, वार्ड दस की पार्षद शीतल बागड़ी, वार्ड 11 से योगेंद्र सारवान, वार्ड 12 नवीन दहिया, वार्ड 14 संजय प्रधान, वार्ड 17 की पार्षद रजनी साहनी, वार्ड 23 अश्विनी शर्मा, वार्ड 24 सुनील कुमार, वार्ड 27 सुदेश अंजना, वार्ड 29 कुलदीप यादव और वार्ड 34 के पार्षद आरएस राठी ने दर्ज करवाए गए अपने ब्यान में कहा था कि ये संतुष्टि प्रमाण पत्र उनके द्वारा जारी नहीं किए गए हैं। खास बात ये भी है निगम के मुख्य लेखा अधिकारी की ओर से जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि इन सभी 11 कार्यों के लिए निगम की ओर से किसी तरह का भुगतान भी नहीं किया गया था। 2019-20 में वर्क अलार्ट हुआ था

निगम क्षेत्र के विभिन्न वार्डों में सड़क मरम्मत, सड़कों के गड्ढ़ों के पैचवर्क के कार्य करने के लिए जारी किए गए थे वर्क आर्डर।

- सीवर के ढक्कन व फ्रेम बदलने, सीवर लाइन डालने, ड्रेन की मरम्मत, सड़क सुंदरीकरण आदि कार्य किए जाने थे।

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शिकायत में ये हैं आरोप

- विकास कार्यों से संबंधित कागजातों पर सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के हस्ताक्षर नहीं है।

- पार्षदों द्वारा दिए गए संतुष्टि प्रमाण पत्र फर्जी हैं।

- धरातल पर विकास कार्य नहीं करवाए गए थे।

- सीवर से संबंधित कार्य की फाइल निगमायुक्त की टेबल तक जानी चाहिए थी, लेकिन नीचे ही मंजूर हो गई।

- तीन-चार एजेंसियों को फायदा पहुंचाने के लिए यह सब किया गया।

- विकास कार्य की किसी भी फाइल में एमबी यानी मेजरमेंट बुक की स्कैन कापी नहीं लगाई गई है।

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ऐसे सामने आया था मामला

तत्कालीन निगमायुक्त विनय प्रताप सिंह ने पार्षदों के वाट्सएप ग्रुप में संतुष्टि प्रमाण पत्र पोस्ट करके पूछा था कि क्या ये पत्र पार्षदों द्वारा जारी किए गए हैं। इस पर कई पार्षदों ने उस वक्त इस बात को स्वीकार किया था कि ये पत्र उनके द्वारा जारी किए गए हैं। लेकिन बाद में पार्षदों ने इन्कार कर दिया था।

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पांच अहम सवाल जो ये साबित करते हैं कि उच्चाधिकारियों की मिलीभगत के बिना ये संभव नहीं

- फर्जी संतुष्टि प्रमाण पत्र मामले में सात माह पहले जांच पूरी हो गई थी और अगर निगम अधिकारी गड़बड़झाले में संलिप्त थे तो तब कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

- निगम के उच्चाधिकारी सात माह तक मंत्री अनिल विज के आने का इंतजार क्यों करते रहे?

- कुछ पार्षदों ने शुरुआत में अपने हस्ताक्षर होने की बात को मौखिक रूप से स्वीकारा था, लेकिन बाद में इन्कार क्यों कर दिया?

- एक साल तीन महीने तक बिल क्यों लटके रहे। अगस्त 2019 से अक्टूबर 2020 के बीच के बिल और वर्क आर्डर हैं?

- मुख्य अभियंता, निगम की आडिट व एकाउंट ब्रांच कार्यों व भुगतान से पहले जमा किए गए कागजात की जांच क्यों नहीं करती? -- बाक्स---

संतुष्टि प्रमाण पत्र क्या काम होने की गारंटी है?

निगम की इंजीनियरिग के मुख्य अभियंता, संयुक्त आयुक्त सहित अन्य उच्चाधिकारी मौके पर जाकर ठेकेदारों के कामों का निरीक्षण नहीं करते हैं। निगम ने अपने स्तर पर ठेकेदारों को पार्षदों से संतुष्टि प्रमाण पत्र लेने का नियम बनाया हुआ है। उधर, निगम के कई ठेकेदारों का भी आरोप है कि संतुष्टि प्रमाण पत्र जारी करने के लिए पार्षद कमीशन की मांग करते हैं। ऐसे में इन संतुष्टि प्रमाण पत्रों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

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