निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण को बड़ी चुनौती मान रहे उद्यमी

निजी क्षेत्र की नौकरियों को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा अधिसूचना के बाद से ही साइबर सिटी के उद्योग जगत में काफी हलचल है। उद्यमियों का कहना है कि इस प्रकार का कानून औद्योगिक स्वतंत्रता की दृष्टि से उचित नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 06:56 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 06:56 PM (IST)
निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण को बड़ी चुनौती मान रहे उद्यमी
निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण को बड़ी चुनौती मान रहे उद्यमी

यशलोक सिंह, गुरुग्राम

निजी क्षेत्र की नौकरियों को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा अधिसूचना के बाद से ही साइबर सिटी के उद्योग जगत में काफी हलचल है। उद्यमियों का कहना है कि इस प्रकार का कानून औद्योगिक स्वतंत्रता की दृष्टि से उचित नहीं है। इस मामले में प्रदेश सरकार को फिर से विचार करने की जरूरत है। इस कानून के हिसाब से चलना तो सामान्य समय में भी संभव नहीं है। फिलहाल कोविड-19 के दौर में तो यह उद्योग जगत के लिए बड़ा संकट बनकर आया है।

बता दें कि प्रदेश सरकार ने निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर जो कानून बनाया है उसके अनुसार उद्यमियों और निजी क्षेत्र के अन्य प्रतिष्ठानों के संचालकों को तीन माह में अपने यहां नौकरियों की स्थिति के बारे में जानकारी सरकारी पोर्टल पर अपडेट करना होगा।

उद्यमी दिनेश अग्रवाल का कहना है कि इस समय औद्योगिक इकाइयों को कामगारों के संकट से जूझना पड़ रहा है। अपने गृह राज्य गए कर्मचारियों के लौट आने का इंतजार किया जा रहा है। ऐसे में फैक्ट्रियों में काम प्रभावित हो रहा है। यदि स्थानीय स्तर पर कर्मचारियों की उपलब्धता होती तो उद्यमियों को परेशानी क्यों होती।

उद्यमी मनोज जैन का कहना है कि यदि उद्यमियों को स्थानीय स्तर पर औद्योगिक जरूरत के हिसाब से श्रम शक्ति की उपलब्धता होती तो बाहर के कामगारों का इंतजार क्यों करना पड़ता।

निजी क्षेत्र में आरक्षण कानून को लेकर उद्यमियों को इस बात का डर है कि यदि उन्हें अपने यहां तुरंत नए कर्मचारियों को भर्ती करने की जरूरत है तो उसे पहले स्थानीय स्तर पर कर्मचारियों के लिए इंतजार करना पड़ेगा। बाद में यदि नहीं मिले तो जिला प्रशासन ने बाहर के कर्मचारी को भर्ती करने की अनुमति लेनी होगी। यह काफी लंबी प्रक्रिया है।

इससे औद्योगिक गति पर ब्रेक लगने लगेगा। प्रति माह 50 हजार से कम वेतनमान वाले कर्मचारियों पर यह कानून लागू होगा। ऐसे में तो 85 प्रतिशत से अधिक औद्योगिक कर्मचारी इसी श्रेणी में आ जाएंगे। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश के इस कानून को लेकर जो स्थिति बन रही है उस पर नजर रखी जा रही है। बड़े औद्योगिक संगठनों से राय भी ली जा रही है। निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था संविधान सम्मत नहीं है। इस बारे में चैंबर की ओर से प्रदेश सरकार को मार्च में पत्र लिखा गया गया था। जिसमें मांग की गई थी कि इस कानून पर विचार किया जाए। इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद से उद्योग जगत की चिता बढ़ गई है।

एसके आहूजा, महासचिव, गुड़गांव चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री

chat bot
आपका साथी