श्रीराम: साकार होने जा रहा कारसेवकों का सपना

तीस साल पहले कारसेवकों ने जो सपना देखा था वह साकार होने जा रहा है। अयोध्या में भव्य राममंदिर बनाने के लिए भूमि पूजन बुधवार को होगा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 08:09 PM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2020 06:13 AM (IST)
श्रीराम: साकार होने जा रहा कारसेवकों का सपना
श्रीराम: साकार होने जा रहा कारसेवकों का सपना

सत्येंद्र सिंह, गुरुग्राम

तीस साल पहले कारसेवकों ने जो सपना देखा था वह साकार होने जा रहा है। अयोध्या में भव्य राममंदिर बनाने के लिए भूमि पूजन बुधवार को होगा। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर कार सेवा के लिए जाने वाले रामभक्त खुशी से प्रफुल्लित हैं। वे भले ही उस समय मंदिर तक नहीं पहुंच पाए थे और बीच में ही जेल में डाल दिए गए थे। अब यही लालसा है कि भव्य मंदिर बने और वह रामलला के दर्शन करने के लिए सरयू नगरी जाएंगे।

अक्टूबर 1990 में कारसेवा के लिए भक्ति स्वरूपानंद की अगुवाई में 151 कारसेवकों का जत्था निकला था। गुरुग्राम के कई हिस्सों से कारसेवकों के जत्थे रवाना हुए थे। पूर्व मंत्री सीताराम सिगला के नेतृत्व में तो एक जत्था ब्रह्मदत्त दौलताबाद के नेतृत्व में निकला। इसी तरह बादशाहपुर से 20 अक्टूबर 1990 को 14 कारसेवकों का एक जत्था अयोध्या के लिए रवाना हुआ। इन कारसेवकों को लोगों ने पूरी धूमधाम से विदा किया था। मुरादाबाद में इन कार सेवकों के जत्थे को प्रशासन ने रोक लिया। मुरादाबाद के रघुनंदन इंटर कॉलेज में अस्थाई जेल बनाकर इन सभी कारसेवकों को वहां बंद कर दिया गया। बादशाहपुर से जाने वाले कारसेवकों में रमन रोहिल्ला, देवेंद्र शर्मा, मास्टर रतिराम, पंडित ब्रह्मदत्त वशिष्ठ, सुनील वशिष्ठ, रघुवीर पंडित, अशोक, कंवर भान बजाज, सुभाष मित्तल, टीसी मित्तल, सुभाष त्यागी, बिनेश त्यागी, देवेंद्र पंडित, अशोक शामिल थे। बादशाहपुर के कारसेवकों का नेतृत्व घामडोज आश्रम में रहने वाले ब्रह्मचारी ब्रह्म चेतन जी कर रहे थे। इन कारसेवकों में से रमन रोहिल्ला, पंडित रघुवीर, कंवर बजाज और सुनील वशिष्ठ का निधन हो चुका है। सभी की एक ही भावना थी कि राम मंदिर का निर्माण हो। विश्व हिदू परिषद साथियों ने घर-घर जाकर मंदिर निर्माण के सहयोग के नाम पर एक ईट और सवा रुपया लिया था। सभी भक्तों का सपना साकार हो गया। वर्षों से रामलला के जन्म स्थान पर मंदिर निर्माण का इंतजार कर रहे थे। कोरोना सकंट के चलते इस समय तो नहीं जा सकते पर एक बार रामलला के दर्शन के लिए जरूर जाएंगे।

- ब्रह्मदत्त वशिष्ठ, कारसेवक उस समय कारसेवकों में पूरा जोश था। हर व्यक्ति यह चाहता था कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो। अयोध्या राजा राम की जन्मस्थली है। वहीं पर भगवान राम का जन्म हुआ था। गुरुग्राम से जाने वाले सभी कारसेवकों को मुरादाबाद रोक लिया गया था। जेल में बंद करने के बाद भी कारसेवकों का उत्साह जरा भी ठंडा नहीं हुआ। अब 161 फीट ऊंचे राम मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू होने की तिथि तय की गई तो बड़ी खुशी हुई।

- गोपीचंद गहलोत, कार सेवक (हरियाणा विधान सभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर ) 30 साल तक राम लला तिरपाल में रहे। सभी लोगों की अयोध्या राम मंदिर में पूरी आस्था और विश्वास है। इसी आस्था के चलते कार सेवा करने के लिए 1990 में अयोध्या के लिए कूच किया था। अयोध्या तक तो नहीं पहुंच पाए। कुछ समय कार सेवा के लिए जाने वाले भक्तों को फूल माला के साथ स्वागत कर रवाना किया गया था। दशकों बाद राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होने की तिथि तय की गई है।

- डॉ. सत्यप्रकाश कश्यप सभी भक्तों का अरमान था कि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर का निर्माण हो 30 साल पहले कार सेवा के लिए भक्तों का जत्था रवाना हुआ था। उस समय भगवान राम के मंदिर की कार सेवा करने के लिए उत्साह था। भूमि पूजन होने जा रहा है इस खबर के सुनते ही मन प्रफुल्लित हो गया कि आज भक्तों का बरसों पहले देखा गया सपना साकार होने का समय आ गया।

- स्वामी ब्रह्म चेतन महाराज

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