कागजों में कैद कैटरपिलर ट्रेन चलाने का सपना
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साइबर सिटी में कैटरपिलर ट्रेन चलाने की योजना कागजों में ही कैद होकर रह ग
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साइबर सिटी में कैटरपिलर ट्रेन चलाने की योजना कागजों में ही कैद होकर रह गई। चार साल में इस पर कई बार चर्चा की गई लेकिन अब तक चर्चा से आगे बात नहीं बढ़ी। योजना साकार होने पर साइबर सिटी के साथ ही विश्व में परिवहन की तस्वीर बदल जाएगी। इस कान्सेप्ट पर अभी पूरी दुनिया में काम नहीं हुआ है।
रेलवे के मुख्य सतर्कता अधिकारी अश्वनी कुमार ने चार साल पहले सिगापुर में अपने रिसर्च के दौरान कैटरपिलर ट्रेन का कान्सेप्ट तैयार किया था। लगातार तीन साल तक उन्होंने इस पर काम किया था। कान्सेप्ट के मुताबिक कैटरपिलर ट्रेन चलाने के लिए कहीं भी जमीन अधिग्रहण करने की आवश्यकता नहीं। सड़कों के ऊपर ही पूरा सिस्टम विकसित किया जा सकेगा। आर्क के आकार में खंभे बनाकर ऊपर पटरी बिछा दी जाएगी। पटरीपर ट्रेन चलेगी। 100 किलोमीटर तक की रफ्तार से ट्रेनें चल सकेंगी। प्रत्येक कोच में 20 यात्री के बैठने की सुविधा होगी। एक किलोमीटर का कारिडोर बनाने में 20 से 25 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस तरह ट्रेन में मेट्रो के मुकाबले लागत कम आएगी और किराया भी कम होगा।
निवेशक की है तलाश
इस कान्सेप्ट की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। आगे सपना साकार करने के लिए निवेशक की तलाश है। पहले रिसर्च एंड डेवलपमेट (आरएंडडी) पर काम शुरू किया जाएगा। फिर जमीनी स्तर पर काम किया जाएगा। कान्सेप्ट तैयार करने वाले अश्वनी कुमार निवेशक की तलाश को लेकर जल्द ही व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास शुरू करेंगे। वे देश के बड़े औद्योगिक घरानों से संपर्क करेंगे। उन्हें उम्मीद है कि कोई न कोई घराना सामने आ जाएगा।
अश्वनी कुमार का मानना है कि किसी भी नए कान्सेप्ट को जमीन पर उतारने में काफी समय लगता है। लोगों को काफी समझाना पड़ता है। जब एक बार कान्सेप्ट पर काम शुरू हो जाता है फिर आगे दिक्कत नहीं होती है। उनका कहना है कि आज नहीं तो कल उनके कान्सेप्ट पर काम शुरू होगा ही। जिसने भी कान्सेप्ट को देखा, तारीफ की है।