बिना शुल्क हो गया विकास, निगम के 145 करोड़ फंसे
पिछले आठ वर्षों में अवैध से नियमित की गई कालोनियों से बिना विकास शुल्क वसूले ही नगर निगम ने सुविधाओं पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिए। सड़क सीवर और पेयजल से लेकर कई अन्य सुविधाएं मुहैया करा दीं।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: पिछले आठ वर्षों में अवैध से नियमित की गई कालोनियों से बिना विकास शुल्क वसूले ही नगर निगम ने सुविधाओं पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिए। सड़क, सीवर और पेयजल से लेकर कई अन्य सुविधाएं मुहैया करा दीं। नतीजतन, स्थानीय बाशिदों ने विकास शुल्क जमा कराना जरूरी नहीं समझा और निगम के विकास शुल्क के 145 करोड़ रुपये फंस गए। सुविधाओं पर खर्च करने और विकास शुल्क की वसूली नहीं होने से निगम के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है। निगम की आमदनी घटने और खर्च बढ़ने के कारण निगम की एफडी यानी फिक्सड डिपाजिट से भी लगभग 427 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। अगर यही हाल रहा तो जल्द ही निगम का खजाना खाली हो जाएगा। 145 करोड़ रुपये विकास शुल्क वसूलने का प्रयास अगर नगर निगम अधिकारी करते हैं तो निगम के खजाने का संजीवनी मिल सकती है।
76 कालोनियां हुई थीं नियमित
वर्ष 2013 और इसके बाद के वर्षों में 76 कालोनियों को नियमित किया गया था। 2020 में इन कालोनियों पर 149.67 करोड़ रुपये बकाया थे। निगम सूत्रों के मुताबिक इसमें से लगभग ढाई-तीन करोड़ रुपये निगम में जमा हो चुके हैं। तब भी 145 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है। शहर में 2013 में 44 कालोनियां, 2017 में 15 कालोनियां और 2018 में 17 कालोनियों को नियमित किया गया था। 2013 में वैध की गई 44 कालोनियों का विकास शुल्क भी नगर निगम वसूल नहीं पाया है।
अवैध कालोनियों को नियमित करने बाद वहां के निवासियों से विकास शुल्क वसूला जाता है, ताकि सड़क, सीवर व पेयजल जैसी सुविधाएं दी जा सकें। वैध की गई कालोनियों में न्यू ज्योति पार्क कालोनी, पटेल नगर एक्सटेंशन, शिव नगर, विकास नगर, झाड़सा गांव एक्सटेंशन क्षेत्र, हरसरु गांव का क्षेत्र और सूरत नगर फेज-1 एक्सटेंशन, अशोक विहार-2, बसई एनक्लेव, भवानी एंकलेव, भीम विहार कालोनी, देवीलाल कालोनी, इंदिरा विकास कालोनी (सिलोखरा), कादीपुर एंकलेव, मोती विहार, राम विहार, रवि नगर, सरस्वती एंकलेव, टेकचंद नगर और विजय विहार कालोनी सहित कई कालोनियां शामिल हैं।
यह है विकास शुल्क की दर
प्लाट या मकान के साइज के आधार पर सरकार की ओर से डेवलपमेंट चार्ज (विकास शुल्क) निर्धारित किया गया है। 2016 से पहले डेवलपमेंट चार्ज 120 रुपये प्रति वर्ग गज था और बाद में इसे बढ़ाकर 1250 रुपये प्रति वर्ग मीटर कर दिया गया है। इसके बाद इसे कलेक्टर रेट का पांच फीसद तय कर दिया गया था।
एनडीसी की शर्त से ही जमा हो रहा शुल्क
निगम की प्लानिग विग ने विकास शुल्क जमा नहीं करवाने वालों को नोटिस नहीं भेजे हैं। एनडीसी यानी नो ड्यूज सर्टिफिकेट की शर्त से ही लोग यह शुल्क जमा करवा रहे हैं, क्योंकि एनडीसी के बिना तहसील में प्रापर्टी की रजिस्ट्री नहीं हो रही है। -बकाया विकास शुल्क वालों को फिलहाल नोटिस नहीं भेजे हैं। मैं अवकाश पर हूं, कार्यालय आने के बाद ही पूरी जानकारी मिल पाएगी।
मधुस्मिता, मुख्य नगर योजनाकार, नगर निगम गुरुग्राम।