क्राइम फाइल : आदित्य राज
कुछ लोग कार के रखरखाव के ऊपर ध्यान नहीं रखते हैं। इस वजह से नई कार भी काफी पुरानी दिखाई देती है। इसका खामियाजा अब लोगों को भुगतना पड़ रहा है। पुरानी कार दिखाई देते ही ट्रैफिक पुलिसकर्मी उसे रोक लेते हैं। इसके बाद कागजात दिखाने के लिए कहा जाता है। चालक कहता है कि उनकी कार तो नई है लेकिन कार की हालत देख ट्रैफिक पुलिसकर्मी को शुरू में विश्वास नहीं होता है।
ये कार तो नई है साहब कुछ लोग कार के रखरखाव के ऊपर ध्यान नहीं रखते हैं। इस वजह से नई कार भी काफी पुरानी दिखाई देती है। इसका खामियाजा अब लोगों को भुगतना पड़ रहा है। पुरानी कार दिखाई देते ही ट्रैफिक पुलिसकर्मी उसे रोक लेते हैं। इसके बाद कागजात दिखाने के लिए कहा जाता है। चालक कहता है कि उनकी कार तो नई है लेकिन कार की हालत देख ट्रैफिक पुलिसकर्मी को शुरू में विश्वास नहीं होता है। पिछले सप्ताह उमंग भारद्वाज चौक के नजदीक ट्रैफिक पुलिस ने एक कार चालक को रोक लिया। रखरखाव के अभाव में कार काफी पुरानी दिख रही थी। बिना नंबर प्लेट देखे ही ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने कहा कि कार तो जब्त होगी ही, काफी पुरानी दिखाई दे रही है। इस पर चालक ने कहा कि उनकी कार 15 साल पुरानी नहीं है, नई है साहब। पुलिसकर्मियों को देखकर अन्य कई वाहन चालकों ने अपना रूट ही बदल दिया।
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अधिवक्ताओं की बढ़ी चिता दिल्ली की रोहिणी अदालत में कुख्यात गैंगस्टर जितेंद्र उर्फ गोगी की गोली मारकर हत्या ने गुरुग्राम जिला अदालत के अधिवक्ताओं की चिता बढ़ा दी है। वारदात के बाद से उनमें चर्चा शुरू हो गई कि जब रोहिणी अदालत में गैंगवार की वारदात हो सकती है, फिर गुरुग्राम में कुछ भी संभव है। न गेट पर पुलिस सक्रिय रहती है और न ही अदालत परिसर के भीतर। कई कुख्यात गैंगस्टर अक्सर पेशी के लिए आते रहते हैं। अदालत में अधिवक्ताओं की संख्या हजारों में है। अधिकतर अधिवक्ता एक-दूसरे को नहीं पहचानते हैं। ऐसे में अधिवक्ता की ड्रेस में कौन अदालत परिसर में घूम रहा है, पहचान करना मुश्किल है। ऐसे में खाकी को सौ फीसद सक्रिय रहना होगा। जिला बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव व वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद कटारिया कहते हैं कि दिल्ली की वारदात ने सोचने को मजबूर कर दिया है। जिला अदालत परिसर में कुछ भी हो सकता है।
............ फिर किसका चालान कटेगा शहर की लाइट गुल होते ही ट्रैफिक लाइटें भी बंद हो जाती हैं। अधिकतर लोगों में चालान कटने का डर इतना अधिक है कि वे लाइटों के जलने का इंतजार करते रहते हैं। कुछ दिन पहले पटेल नगर निवासी राजेश वर्मा स्कूटी से सदर बाजार जा रहे थे। मोर चौक की ट्रैफिक लाइटें बंद थीं। वे अपनी स्कूटी पर बैठे लाइटों के जलने का इंतजार कर रहे थे। कार वाले पीछे से हार्न बजाते रहे लेकिन वे नहीं हिले। इस पर कार वाले ने कहा कि भाई साहब लाइटें बंद हैं, कब तक इंतजार करोगे। उन्होंने कहा भाई लाइटें बंद हैं, कैमरे नहीं। कार वाले ने कहा कि लाइटें बंद हैं इसलिए चालान नहीं कटेगा। इस पर राजेश ने सवाल किया फिर किसका चालान कटना चाहिए। कार चालक ने कहा लाइटें बंद होने के लिए जो दोषी है उसका चालान तो कटना चाहिए। तभी पूरी व्यवस्था पटरी पर दिखाई देगी।
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आम व खास में फर्क जालसाज भले ही आम व खास में फर्क नहीं समझते लेकिन खाकी समझती है। आम आदमी ठगी की शिकायत देता है तो पहले छानबीन की जाती है। इसमें कई महीने भी लग जाते हैं। कई बार शिकायत देने वाला भूल जाता है कि उसने शिकायत दी थी। खास आदमी के ऊपर यह लागू नहीं होता। शिकायत सामने आते ही मामला दर्ज। कुछ दिन पहले मंडलायुक्त राजीव रंजन के खाते को जालसाज ने निशाना बनाया। कुछ हजार रुपये निकाल लिए। शिकायत सामने आते ही मामला दर्ज कर लिया गया। होना ऐसा ही चाहिए लेकिन खाकी वाले करते नहीं। इससे आम व खास में खाकी के फर्क को आसानी से समझा जा सकता है। कानून के नजर में जब सभी बराबर हैं फिर आम व खास में फर्क क्यों। मुख्यमंत्री मनोहर लाल हमेशा कहते हैं कि शिकायत सामने आते ही मामला दर्ज किया जाए। सही न होने पर उसे रद्द करा दें।