क्राइम फाइल : आदित्य राज
पिछले सप्ताह निर्माणाधीन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का निरीक्षण करने के लिए केंद्रीय भूतल सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी पहुंचे थे। उनके साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल एवं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी थे।
देखती रह गई खाकी पिछले सप्ताह निर्माणाधीन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का निरीक्षण करने के लिए केंद्रीय भूतल सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी पहुंचे थे। उनके साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल एवं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी थे। निरीक्षण के दौरान प्रोजेक्ट की जानकारी देने के लिए एक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया था। मनोहर लाल एवं राव इंद्रजीत सिंह वीवीआइपी गेट से मंच के पीछे बनाए गए हाल में पहुंचे थे। सभी को लग रहा था कि नितिन गडकरी वीवीआइपी गेट से पहले हाल में पहुंचेंगे फिर मंच पर। लेकिन, उनका काफिला मंच के सामने बनाए गए गेट के सामने पहुंचा। काफिले को देखते ही पुलिसकर्मियों में अफरा-तफरी मच गई। जब तक पुलिस महकमे के आला अधिकारी हाल से बाहर पहुंचे, तब तक गडकरी मंच के नजदीक तक पहुंच गए। इसे देखते हुए पुलिसकर्मी आपस में चर्चा करते दिखे कि आगे से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को लेकर बहुत अलर्ट रहना होगा।
तनाव में वकील साहब लक्ष्मण विहार इलाके में एक वकील साहब रहते हैं। उनकी पुलिस महकमे में जबर्दस्त पैठ है। कानून के अच्छे जानकार माने जाते हैं। सुबह से लेकर शाम तक दूसरों को सुझाव देते रहते हैं लेकिन अब अपने मामले में उनका दिमाग काम नहीं कर रहा है। तीन महीने पहले कार सवार दो युवक उनके घर के सामने पहुंचे थे। एक कार में ही रहा। दूसरा गेट पर आकर इधर-उधर झांका, फिर चला गया। वकील साहब ने पुलिस को फोन लगाया। कुछ ही मिनट में पीसीआर पहुंच गई। दावा किया गया, जल्द ही आरोपितों की पहचान की जाएगी। तीन महीने बाद भी आरोपितों की पहचान न होने से वकील साहब का बीपी बढ़ता जा रहा है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि युवकों का क्या इरादा था। कहीं कोई उन्हें निशाना तो नहीं बना रहा है। दूसरे को तनाव मुक्त करने वाले वकील साहब अब खुद तनाव में हैं।
साहब का संदेश भूल गए बदमाशों को उनकी भाषा में ही जवाब दें। यदि वे गोली चलाते हैं तो जवाब गोली से दें। ऐसा संदेश पुलिस आयुक्त केके राव ने अधीनस्थ पुलिसकर्मियों को दे रखा है। लगता है धनकोट पुलिस चौकी में तैनात पुलिसकर्मी यह संदेश भूल गए। संदेश याद रहता तो उनकी आंखों के सामने से बदमाश लाखों रुपये लेकर फरार नहीं होते। यदि बदमाशों को पकड़ लेते तो किरकिरी की जगह वाहवाही होती। इसलिए कहा जाता है कि बड़ों के संदेश को जीवन में धारण करना चाहिए न कि इधर से उधर से निकाल देना चाहिए। दरअसल, दो दिन पहले कार सवार बदमाश एटीएम से पैसे चोरी करके फरार हो रहे थे। उन्हें फरार होते हुए देख इलाके में गश्त कर रहे पुलिसकर्मियों ने पीछा करना शुरू किया। जब बदमाशों को लगा कि अब पकड़े जाएंगे तो उन्होंने फायरिग शुरू कर दी लेकिन पुलिसकर्मियों ने उन्हें गोली का जवाब गोली से नहीं दिया।
कैसे दर्ज हो गया मामला थानों के बीच इलाके को लेकर जबर्दस्त रस्साकसी रहती है। खासकर जहां दो थानों की सीमा मिलती है वहां पर यदि हादसा हो जाए तो पुलिस जल्द नहीं पहुंचती। ऐसे में यदि कोई मामला इलाके का न हो, फिर भी दर्ज हो जाए तो चर्चा होना लाजिमी है। कुछ दिन पहले शहर के एक थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया। न शिकायतकर्ता का घर इलाके में, न आरोपित के घर इलाके में और न ही जिस प्रापर्टी को लेकर विवाद है वह इलाके में है। कानून के जानकार वरिष्ठ अधिवक्ता मंदीप सेहरा कहते हैं कि मामला कैसे व किस आधार पर दर्ज किया गया, यह पुलिस को बताना चाहिए। जिसने मामले को दर्ज किया उससे आला अधिकारी पूछताछ करें ताकि आगे से इस तरह की बात सामने न आए। अन्य थानों की पुलिस को भी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर मामला दर्ज कैसे किया गया।