क्राइम फाइल: आदित्य राज
अग्रसेन चौक से लेकर महावीर चौक तक ट्रैफिक का दबाव काफी अधिक है। ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की ड्यूटी निर्धारित है लेकिन अक्सर सड़क पर होमगार्ड के जवान ही दिखाई देते हैं।
काश, सीपी साहब एक बार देखते
अग्रसेन चौक से लेकर महावीर चौक तक ट्रैफिक का दबाव काफी अधिक है। ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की ड्यूटी निर्धारित है लेकिन अक्सर सड़क पर होमगार्ड के जवान ही दिखाई देते हैं। अधिकांश वाहन चालक उनकी परवाह नहीं करते। कुछ दिन पहले अग्रसेन चौक से लेकर महावीर चौक के नजदीक तक जाम लगा था। उमस भरी गर्मी की वजह से सभी परेशान हो रहे थे। होमगार्ड के जवान मेहनत कर रहे थे लेकिन बात नहीं बन रही थी। उसी जाम में फंसी एक महिला बोलने लगी क्या यह साइबर सिटी है। काश, एक बार सीपी साहब इस इलाके का औचक निरीक्षण करते। इसी बीच पुलिस की एक गाड़ी पहुंची और कुछ ही मिनट के भीतर जाम खुल गया। इससे साफ है कि जब केवल पुलिस की गाड़ी देखकर ही जाम खुल सकता है यानी लोग सही से वाहन चलाने लगते हैं फिर सक्रियता दिखाने से तो कहीं भी जाम लगेगा ही नहीं। नकेल कसने से माहौल बदलेगा
पहले किसी थाने में जब नया प्रभारी आता था तो कुछ दिनों तक इलाके में शांति रहती थी। प्रभारी का मिजाज कैसा है, उसका अंदाजा कुछ दिनों तक बदमाश लगाते थे। इसके बाद अपने रंग में आते थे। अब समय बदल गया है। बदमाश अपने रंग में ही रहते हैं। सेक्टर-50 थाना इलाके से कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। कुछ दिन पहले पुलिस आयुक्त केके राव ने थाना प्रभारी को बदल दिया। इसके बाद भी कोई अंतर नहीं दिख रहा है। किसी भी समय झपटमार व चोर वारदात को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस न झपटमारों को पकड़ पा रही है और न ही चोरों को ही। चोरों ने एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के घर में चोरी करके यह दर्शा दिया कि प्रभारी कोई बने, सिक्का उनका ही चलेगा। इस स्थिति से साफ है कि प्रभारी बदलने से माहौल नहीं बदलेगा बल्कि बदमाशों पर नकेल कसने से माहौल बदलेगा।
पुलिसकर्मियों की उड़ी है नींद
कई अच्छे कार्यों पर एक गलत कार्य पानी फेर देता है। उसके आगे सभी अच्छे कार्य दब जाते हैं। गुरुग्राम पुलिस के साथ समय-समय पर कुछ ऐसा ही हो रहा है। पिछले सात महीने के भीतर लगभग 40 इनामी बदमाशों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने वाली पुलिस के ऊपर एक बार फिर ऐसा दाग लगा है जिसे छुड़ाना आसान नहीं। पंजाब की रहने वाली दो महिलाओं का गुरुग्राम से कोई लेना-देना नहीं यानी वे यहां कभी रही नहीं। उन्होंने फर्जी कागजात बनवाकर पासपोर्ट के लिए आवेदन कर दिया। पासपोर्ट कार्यालय ने पुलिस से वेरिफिकेशन रिपोर्ट मांगी तो उसमें क्लीनचिट दे दी गई। एक पासपोर्ट बन गया लेकिन दूसरे आवेदन के ऊपर शक हो गया। छानबीन की गई तो पता चला कि कागजात फर्जी थे। मामला सामने आने के बाद वेरिफिकेशन करने वाले पुलिसकर्मियों की नींद उड़ी हुई है। जवाब ही नहीं कि किस आधार पर क्लीनचिट दे दी।
थाना पुलिस भी कम नहीं
बदमाशों को पकड़ने के मामले में क्राइम ब्रांच की टीमें अपने आपको विशेषज्ञ समझती हैं। लेकिन, अब तस्वीर बदलने लगी हैं। पिछले एक सप्ताह के दौरान सोहना शहर एवं सेक्टर-10ए थाना पुलिस ने सक्रियता दिखाकर क्राइम ब्रांच की टीमों को संदेश दे दिया है कि थानों की पुलिस भी कम नहीं। क्राइम ब्रांच की टीमों के अंदाज में ही गत महीने एक बैंककर्मी से लूट के आरोपितों को पिछले सप्ताह सोहना शहर थाना पुलिस ने दबोचा। इसी तरह कार लूट के एक मामले की सूचना आते ही क्राइम ब्रांच की टीमों की तरह ही सेक्टर-10ए थाना पुलिस ने न केवल पीछा किया बल्कि बदमाशों को कार छोड़कर भागने पर मजबूर किया। हालांकि इसमें क्राइम ब्रांच की टीमों का भी सहयोग रहा। दोनों थाना पुलिस की सक्रियता की चर्चा महकमे में खूब हो रही है। सहायक पुलिस आयुक्त (क्राइम) प्रीतपाल कहते भी हैं कि जो बेहतर करेगा, उसकी चर्चा होगी ही।