क्राइम फाइल: आदित्य राज

साइबर क्राइम पुलिस की सक्रियता से शहर के कई थाना प्रभारियों की नींद हराम है। कुछ की रिपोर्ट पुलिस आयुक्त केके राव के पास पहुंच चुकी है। उनके ऊपर कभी भी गाज गिर सकती है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 03:50 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 04:07 PM (IST)
क्राइम फाइल: आदित्य राज
क्राइम फाइल: आदित्य राज

तनाव में शहर के कई थाना प्रभारी

साइबर क्राइम पुलिस की सक्रियता से शहर के कई थाना प्रभारियों की नींद हराम है। कुछ की रिपोर्ट पुलिस आयुक्त केके राव के पास पहुंच चुकी है। उनके ऊपर कभी भी गाज गिर सकती है। दरअसल, कुछ समय पहले पुलिस आयुक्त ने कहा था कि जिन थाना प्रभारियों के इलाके में फर्जी काल सेंटर पकड़े जाएंगे, उनकी कार्यशैली की जांच की जाएगी। जांच में यदि उनकी निष्क्रियता साबित हुई तो फिर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पिछले 10 दिनों के भीतर शहर के विभिन्न इलाकों में तीन फर्जी काल सेंटर पकड़कर साइबर क्राइम थाना पुलिस ने यह जाहिर कर दिया है कि कई थानों की पुलिस शोपीस से अधिक नहीं है। जब फर्जी काल सेंटर चलने की सूचना साइबर क्राइम पुलिस को मिल सकती है तो फिर इलाके की थाना पुलिस को क्यों नहीं? इससे लग रहा है कि इलाके की पुलिस एफआइआर दर्ज करने के अलावा कुछ नहीं करती।

क्यों किया आरोपित से समझौता

पिछले सप्ताह शहर के एक धनाढ्य व्यक्ति ने सीएम फ्लाइंग स्क्वायड से लेकर पालम विहार थाने तक को फोन कर शिकायत की कि कार्टरपुरी इलाके में ट्रकों से सरिया चोरी हो रहा है। शिकायतकर्ता की राजनीतिक लोगों के बीच गहरी पैठ है। इससे शिकायत सामने आते ही पुलिस के कान खड़े हो गए। मामले की पुष्टि हो गई तो शिकायतकर्ता से कहा गया कि अब आगे की कार्रवाई के लिए लिखित में शिकायत दें लेकिन वह शिकायत देने से पीछे हट गए। बात काफी ऊपर तक पहुंच चुकी थी। पालम विहार थाना पुलिस को अपने स्तर पर ही मामला दर्ज करना पड़ा। किसी को यह समझ में नहीं आ रहा है कि शिकायतकर्ता जो कि शहर के प्रभावशाली लोगों में से एक है, उसने आरोपित से समझौता क्यों किया? थाना प्रभारी संजय कुमार कहते हैं कि शिकायतकर्ता पीछे क्यों हटा, यह वही बता सकता है। पर सूचना बिल्कुल सही थी।

खाकी को फोन से फुर्सत नहीं

शहर के व्यस्ततम चौराहों में से एक है राजीव चौक। प्रतिदिन हजारों लोग इस चौक से होकर अपने गंतव्य को जाते हैं। इसके नजदीक ही लघु सचिवालय से लेकर जिला अदालत तक है। चौक के चारों तरफ काफी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं। इसके बाद भी बदमाश आराम से वारदात को अंजाम देकर निकल जाते हैं। दरअसल मौके पर पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं, सक्रिय नहीं। अधिकतर मोबाइल फोन पर व्यस्त रहते हैं। इस वजह से पुलिसकर्मियों की निष्क्रियता से सबसे सुरक्षित माने जाने वाला चौराहा सबसे असुरक्षित बन गया है। न बदमाशों पर नियंत्रण है और न ही तेज रफ्तार वाहनों पर। जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष कुलभूषण भारद्वाज का मानना है कि फील्ड में तैनात पुलिसकर्मियों के मोबाइल पर व्यस्त रहने से जहां लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है, वहीं बदमाशों को लगता है कि उन्हें देखने वाला कोई नहीं। इसका परिणाम सबके सामने है।

कहा था इधर से मत चलो

ओल्ड दिल्ली रोड पर सोहना चौक से कुछ मीटर पहले शिवमूर्ति चौक की तरफ दो-तीन पुलिसकर्मी पेड़ों की छांव में बैठे रहते हैं। जैसे ही कोई बाइक चालक बिना हेलमेट के दिखा, वे पकड़ लेते हैं। वे इतनी सक्रियता दिखाते हैं कि बाइक चालक पकड़ से बाहर नहीं निकल पाता। यह बात धीरे-धीरे काफी लोगों को पता चल चुकी है। एक सप्ताह पहले दो युवक बाइक से शिवमूर्ति चौक की तरफ से सोहना चौक की तरफ जा रहे थे। बाइक चला रहे युवक ने हेलमेट नहीं पहन रखा था। जैसे ही बाइक सोहना चौक के कुछ मीटर पहले पहुंची, ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने पकड़ लिया। चालान काटने के बाद आगे से लापरवाही न बरतने को लेकर जमकर क्लास ली। इस बात से बाइक पर पीछे बैठा युवक काफी आहत दिखा। उसने कहा कि बार-बार कह रहा था कि बस स्टैंड के नजदीक वाली सड़क से चलो, माना नहीं। बेइज्जती करवा दी।

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