क्राइम फाइल: आदित्य राज

कोरोना संकटकाल में खाकी की तस्वीर काफी हद तक बदली है। आम लोगों से डंडे की भाषा में बात करने वाले अधिकतर पुलिसकर्मी सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका में नजर आने लगे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 05:03 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 05:03 PM (IST)
क्राइम फाइल: आदित्य राज
क्राइम फाइल: आदित्य राज

हाथ जोड़ विनती करती खाकी

कोरोना संकटकाल में खाकी की तस्वीर काफी हद तक बदली है। आम लोगों से डंडे की भाषा में बात करने वाले अधिकतर पुलिसकर्मी सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका में नजर आने लगे हैं। मास्क नहीं पहने वालों का चालान काटने के दौरान डांटने के बजाय हाथ जोड़कर मास्क लगाने की विनती करते हैं। आपका जीवन कीमती है। आपके पीछे बहुत सारे लोग हैं। यदि आपके ऊपर संकट आ जाएगा तो अन्य लोगों का क्या होगा। इस तरह की बातें सुनने के बाद लोग पुलिसकर्मी के सामने ही संकल्प लेते हैं कि आगे से बिना मास्क लगाए घर से बाहर नहीं निकलेंगे। दरअसल, पुलिस आयुक्त केके राव ने पुलिसकर्मियों को निर्देश दिया है कि वे सख्ती के साथ लोगों को कोरोना संक्रमण के खतरे का अहसास दिलाएं। संक्रमित होने के बाद किस तरह से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है, ऐसी बात करें। इससे लोगों के भीतर तेजी से जागरूकता पैदा होगी।

कोरोना की भेंट चढ़ रहा कार्यकाल

कोरोना संकट से जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारी खासे परेशान हैं। सभी ने सोचा था कि मार्च-अप्रैल से माहौल बिल्कुल बदल जाएगा, लेकिन फिर से स्थिति जस की तस नजर आ रही है। अधिवक्ता आपस में मिलने-जुलने से भी कतराने लगे हैं। इससे पदाधिकारियों के सपनों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। पहली बार ऐसा है कि एसोसिएशन के चारों पदाधिकारी नौजवान हैं। न केवल उनसे अधिवक्ताओं को बेहतर करने की उम्मीद है बल्कि वे स्वयं भी बेहतर करना चाहते हैं लेकिन कोरोना आड़े आ रहा है। एसोसिएशन के सचिव निकेश राज यादव तो यहां तक कहने लगे हैं कि ईश्वर की कृपा से कम उम्र में बहुत कुछ करने की जिम्मेदारी मिल गई लेकिन चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। लगता है पूरा कार्यकाल ही कोरोना की भेंट चढ़ जाएगा। निकेश का मानना है कि पहचान चुनाव जीतने से नहीं बल्कि काम करने से बनती है।

काम करने के तरीके से नाराजगी

ट्रैफिक नियमों के प्रति लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। इससे लोगों को एतराज नहीं। एतराज है ट्रैफिक पुलिस में तैनात कुछ कर्मचारियों की कार्यशैली से। वे अचानक इस तरह से किसी को पकड़ते हैं जैसे बदमाश हों। खासकर अग्रवाल धर्मशाला चौक के नजदीक कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा ऐसा करने की शिकायत अधिक है। जैसे ही किसी ने रेड लाइट क्रास की वे अचानक उसे घेर लेते हैं। इससे लोग घबरा जाते हैं। पिछले सप्ताह सेक्टर-14 निवासी राजन गुप्ता के साथ ऐसा ही हुआ। ग्रीन लाइट होते ही उन्होंने कार आगे बढ़ा दी। ट्रैफिक के दबाव की वजह से कुछ मीटर आगे बढ़ते ही रेड लाइट हो गई। इस पर पुलिसकर्मियों ने उन्हें घेर लिया। कहने लगे आपने रेड लाइट जंप की है। उन्होंने कहा कि यदि आपने ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के ऊपर जोर दिया होता तो उनकी कार बीच में नहीं फंसती। कानून की जगह देश-दुनिया की चर्चा

कोरोना संकट से पहले काफी अधिवक्ताओं के पास किसी से अधिक बात करने की फुर्सत नहीं थी। अब फुर्सत ही फुर्सत दिख रही है। स्थिति यह है कि फुर्सत के इस क्षण में कुछ अधिवक्ताओं की राजनीति के प्रति दिलचस्पी बढ़ रही है। जहां पहले केवल कानून की बात करते थे वहीं अब चैंबर में बैठकर देश-दुनिया में क्या चल रहा है, इसकी चर्चा करते दिखाई देते हैं। यही नहीं कुछ ने राजनीतिक पार्टी भी ज्वाइन कर ली है। इनमें से एक वरिष्ठ अधिवक्ता मंदीप सेहरा भी हैं। जैसे ही कोई चैंबर में पहुंचता है, कहते हैं बताओ क्या काम है। कोरोना संकट से पहले एक मिनट की फुर्सत नहीं थी। दरअसल, कुछ दिन पहले उन्हें जिला कांग्रेस कानूनी प्रकोष्ठ का चेयरमैन बनाया गया है। लोगों से कहते हैं भाई कोरोना संकट की वजह से अतिआवश्यक मामलों में ही फिलहाल सुनवाई होनी है। जो भी काम हो, बता दिया करो।

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