कौन करेगा खाकी वालों का चालान
कुछ पुलिसकर्मियों की वजह से खाकी के बारे में लोगों की धारणा गलत बन रही है। जिन गलतियों के लिए पुलिसकर्मी कार्रवाई करते हैं वही गलती खुद भी करते हैं।
कुछ पुलिसकर्मियों की वजह से खाकी के बारे में लोगों की धारणा गलत बन रही है। जिन गलतियों के लिए पुलिसकर्मी कार्रवाई करते हैं, वही गलती खुद भी करते हैं। रांग साइड वाहन चलाना या रांग साइड वाहन खड़े करना गलत है, लगता है कि यह नियम आम लोगों के लिए है कुछ पुलिसकर्मियों के लिए नहीं। मनमर्जी से वाहन पार्क करने की वजह से भले ही जाम लग जाए, इसकी चिता भी खाकी वाले नहीं करते। शनिवार को महावीर चौक के नजदीक पुलिस की एक गाड़ी रांग साइड काफी देर तक खड़ी रही। ऐसा देख कुछ लोग यह कहते हुए सुनाई दिए कि जब तक पुलिस नहीं सुधरेगी, तब तक व्यवस्था बेहतर हो ही नहीं सकती। महावीर चौक पर जाम में फंसे टैक्सी चालक राजकुमार ने कहा कि चालान की पर्ची तो उनके जैसे लोगों के लिए बनी है, खाकी वालों के नहीं। खाकी वालों का चालान कौन करेगा? रिश्वत के बैग से सराहना का रंग फीका रिश्वत के बैग से खाकी की उपलब्धि का रंग फीका पड़ गया। गत वर्ष गुरुग्राम पुलिस ने कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में सराहनीय प्रयास किया। 34 इनामी बदमाश पकड़े गए। अपराधियों को उनकी भाषा में यानी गोली का जवाब गोली से दिया गया। इससे गुरुग्राम पुलिस के कार्यों की प्रदेश में हर तरफ सराहना हो रही थी। इसी बीच रिश्वत के बैग से सराहना के ऊपर ब्रेक लग गए। अब सराहना की जगह रिश्वत कांड की चर्चा हो रही है। दरअसल, खेड़कीदौला थाने के प्रभारी रहे विशाल के ऊपर एक काल सेंटर संचालक से 57 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा है। मामला तब सामने आया जब हेड कांस्टेबल अमन पांच लाख रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया। हेड कांस्टेबल के पकड़े जाते ही हर व्यक्ति के मुख से आवाज निकली कि इतनी राशि हेड कांस्टेबल नहीं ले सकता, कोई तो है पीछे। पुलिसकर्मियों के सामने लगाया जाम पुलिस आयुक्त केके राव पुलिसकर्मियों का मनोबल बढ़ाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं लेकिन कुछ कर्मी रास्ते पर आने को तैयार नहीं। उनकी निष्क्रियता की वजह से कई बार व्यवस्था चरमराती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण शनिवार को पुलिस लाइन के सामने दिखा। छात्राओं की संख्या मुश्किल से 10 से 15 रही होगी। आसपास पहले से तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या भी लगभग इतनी ही रही होगी। पुलिसकर्मियों के सामने ही छात्राएं पहुंचीं और मानव श्रृंखला बनाते हुए जाम लगा दिया। इससे साफ है कि पुलिसकर्मियों की निष्क्रियता व्यवस्था के ऊपर भारी पड़ रही है। जाम में फंसे अर्जुन नगर निवासी रमन वर्मा ने कहा कि जब पुलिसकर्मी 10-15 छात्राओं को नहीं समझा सकते, फिर वे कैसे व्यवस्था को बेहतर बनाने में भूमिका निभा सकते हैं। दरअसल, अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन के लिए सेक्टर-14 राजकीय महिला महाविद्यालय की 10-15 छात्राएं पुलिस लाइन के गेट के सामने पहुंच गई थीं। चोरों के लिए वरदान कोरोना संकट कोरोना संकट शुरू होने के बाद से शहर में चोरी की वारदात चरम पर हैं। पुलिस हाथ-पैर मार रही है लेकिन चोर पकड़ में ही नहीं आ रहे हैं। एक नहीं बल्कि सभी थानों की पुलिस परेशान है। क्राइम ब्रांच की टीमें भी परेशान हैं। जहां पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, वहां पर भी वारदात को अंजाम देने वाले चोरों की पहचान नहीं हो पा रही है। दरअसल, कोरोना संकट चोरों के लिए वरदान के रूप में दिख रहा है। चोर अपना चेहरा पूरी तरह ढककर पहुंचते हैं। ऐसे में उनकी पहचान करना मुश्किल हो रहा है। दिन के उजाले में चोर रेकी करते हैं। हर किसी के चेहरे पर मास्क होता है। ऐसे में सभी से पूछताछ संभव नहीं है। इसका लाभ चोर उठा रहे हैं। सहायक पुलिस आयुक्त (क्राइम) प्रीतपाल भी मानते हैं कि मास्क की वजह से बदमाशों की पहचान करने में समय लग रहा है।