जब डेढ़ गुना दाम में बेच दी डीएपी तब जांच करने पहुंचे अधिकारी
सरकारी केंद्रों में खाद (डीएपी) उपलब्ध नहीं होने पर कुछ प्राइवेट दुकानदारों ने जमकर चांदी कूटी। 1200 में मिलने वाली बोरी 1700 तक में बेच डाली।
संवाद सहयोगी, फरुखनगर: सरकारी केंद्रों में खाद (डीएपी) उपलब्ध नहीं होने पर कुछ प्राइवेट दुकानदारों ने जमकर चांदी कूटी। 1200 में मिलने वाली बोरी 1700 तक में बेच डाली। कई किसानों ने मजबूरन खाद खरीदी जिनकी आर्थिक स्थित बहुत अच्छी नहीं वह अभी सरकारी केंद्र में आने वाली खाद का इंतजार कर रहे हैं। दैनिक जागरण ने जब किसानों की पीड़ा को लगातार लिखा तो प्रशासन को सुध आई।नायब तहसीलदार रणसिंह गोदारा व खंड कृषि अधिकारी नरेन्द्र यादव ने प्राइवेट दुकानों पर जाकर स्टाक चेक किया। हालांकि उन्हें वहां डीएपी मिली, पर समय निकलने के बाद उनकी कार्रवाई कई सवाल छोड़ गई।
बता दें कि अक्टूबर में किसान सरसों, गेंहू के अलावा अनेक सब्जियों की बिजाई शुरू कर देते। इसके लिए डीएपी खाद की सख्त जरूरत होती है। लेकिन किसानों को खाद नहीं रही है। प्रशासन के मुताबिक खाद उत्पादन केंद्र से नहीं आ रही है। डीएपी के कई विकल्प हैं पर जागरूकता के अभाव में किसान उसे अपना नहीं रहे हैं। नीम और सरसों की खली के अलावा जैविक खाद का भी प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा सिगल सुपर फास्फोरस का भी इस्तेमाल डीएपी की जगह किया जा सकता है। जैविक खाद से जमीन की उर्वरक क्षमता बढ़ती है।