रोड निर्माण में रोड़ा बने वेयरहाउस को तोड़ने पहुंची टीम बैंरग लौटी
सेक्टर-37 स्थित एनबीसीसी की ग्रीन व्यू सोसायटी के रोड निर्माण में रोड़ा बने वेयरहाउस को तोड़ने पहुंची टीम मंगलवार को भी बैरंग लौट गई।
संवाद सहयोगी, बादशाहपुर: सेक्टर-37 स्थित एनबीसीसी की ग्रीन व्यू सोसायटी के रोड निर्माण में रोड़ा बने वेयरहाउस को तोड़ने पहुंची टीम मंगलवार को भी बैरंग लौट गई। जल्द सड़क बनने की उम्मीद लगाए बैठे सोसायटी के निवासियों को एक बार फिर निराशा हाथ लगी। मुख्य मंत्री की अध्यक्षता में हुई कष्ट निवारण समिति की बैठक में मामला उठने के बाद हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारी हरकत में आए थे। वेयरहाउस मालिकों को 16 सितंबर को 24 सितंबर तक रोड निर्माण के लिए अधिग्रहित जमीन पर अवैध निर्माण हटाने के नोटिस दिए गए थे।इसके बाद भी निर्माण नहीं हटाया गया मंगलवार को तोड़-फोड़ होनी थी। बताते हैं कि वेयरहाउस मालिकों की ओर से यह आश्वासन दिया गया कि वह खुद निर्माण हटवा देंगे।
ग्रीन व्यू सोसायटी के लोगों को सड़क नहीं बनने के कारण काफी दिनों से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस सड़क निर्माण के लिए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने 2016 में जमीन का अधिग्रहण किया था। इस जमीन पर कुछ लोगों ने अवैध निर्माण कर रखे थे। मामला काफी दिनों से हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण और जीएमडीए के अधिकारियों के बीच उलझ रहा था। सोसायटी के लोगों ने रोड निर्माण की शिकायत सीएम विडो पर भी की। उसके बाद मामला जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में रखा गया। बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उपायुक्त डा. यश गर्ग को इस मामले को जल्द निपटाने के निर्देश दिए गए थे। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने इस रोड के निर्माण में बाधा बने वेयरहाउस के लिए नौ सितंबर को सप्लीमेंट अवार्ड भी कर दिया। सप्लीमेंट अवार्ड किए जाने के बाद प्राधिकरण के संपदा अधिकारी-वन की तरफ से अवैध निर्माण करने वालों को 24 सितंबर तक सभी निर्माण हटाने के नोटिस जारी किए गए थे।
मंगलवार को प्राधिकरण के अधिकारी और जीएमडीए के अधिकारी पूरे दलबल के साथ अवैध निर्माण हटाने के लिए पहुंचे। सोसायटी के लोगों को उम्मीद बंधी थी कि अब उनकी सोसायटी के लिए रोड बन जाएगी। सोसायटी के यादवेंद्र यादव ने बताया कि मंगलवार को हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की टीम रोड निर्माण में बाधा बने निर्माणों को तोड़े बिना ही वापस चली गई। उनका आरोप है कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के कुछ अधिकारी अवैध निर्माण करने वाले लोगों को लाभ पहुंचाने की जुगत में लगे हुए हैं। उनके लिए उपायुक्त और मुख्यमंत्री के आदेश भी कोई मायने नहीं रखते।