स्थानीय लोगों के लिए जहर बन रहा खुले में जलने वाला कचरा
औद्योगिक क्षेत्र मानेसर के आसपास खुले में जलाया जाने वाला कचरा क्षेत्र के लोगों के लिए जहर बनने लगा है। इसके कारण क्षेत्र के लोगों ने सुबह सैर-सपाटा भी बंद कर दिया है।
जागरण संवाददाता, मानेसर: औद्योगिक क्षेत्र मानेसर के आसपास खुले में जलाया जाने वाला कचरा क्षेत्र के लोगों के लिए जहर बनने लगा है। इसके कारण क्षेत्र के लोगों ने सुबह सैर-सपाटा भी बंद कर दिया है। लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। कई बार अधिकारियों से शिकायत के बाद भी इस समस्या का समाधान नहीं हो आया है।
नगर निगम बनने के बाद लोगों को उम्मीद जगी थी कि क्षेत्र की इस बड़ी समस्या से निजात मिलेगी लेकिन अब भी क्षेत्र में रोजाना खुले में कचरा जलाया जा रहा है। कचरा जलाया जाने से इससे निकलने वाला धुआं वातावरण को प्रदूषित कर रहा है। इस वातावरण में सांस लेने वाले लोगों के फेफड़ों में यह धुआं जा रहा है। इससे लोगों में सांस से संबंधित बीमारी होने लगी है।
औद्योगिक क्षेत्र मानेसर के आसपास के खाली क्षेत्र में रोजाना काफी मात्रा में खुले में औद्योगिक कचरा जलाया जा रहा है। खुले क्षेत्र में ग्रामीण कई बार सुबह सैर करने के लिए जाते थे लेकिन यहां अब शुद्ध हवा की बजाए जहरीला धुंआ उनके फेफड़ों में जाने लगा है। इससे कई ग्रामीणों ने तो सुबह सैर के लिए जाना ही बंद कर दिया है। कई जगह तो औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले कचरे को एक जगह डालकर ज्वलनशील पदार्थ मिलाकर आग लगा दी जाती है। इससे एक साथ काफी धुआं वातावरण में जाता है। क्षेत्र के विधायक सत्यप्रकाश जरावता ने कहा यह गंभीर समस्या है लोगों कह पीड़ा अधिकारियों को समझ में नहीं आती शीर्ष अधिकारियों से बात की जाएगी। गांव ढाणा से काफी लोग सेक्टर आठ की तरफ सुबह सैर करने के लिए जाते थे। यहां रोजाना कचरा जलता मिलता है। इससे सांस लेते समय अजीब से बदबू महसूस होती है। इस बारे में कई बार एचएसआइआइडीसी के अधिकारियों को शिकायत दी जा चुकी है। अब निगम बनने से उम्मीद जगी थी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
रामपाल धनखड़, ढाणा औद्योगिक क्षेत्र के बाहर और औद्योगिक क्षेत्र के खाली प्लाटों में रोजाना कचरा जलाया जा रहा है। नगर निगम की तरफ से कोई सुनने वाला नहीं है। सफाई के मामले में भी लोगों को काफी दिक्कत हो रही है। जनप्रतिनिधि नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
राकेश चौहान, बास कुशला