बोर्ड है ट्रामा सेंटर का, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाएं हैं शून्य

जिले के बड़े अस्पतालों को छोड़ दें तो किसी छोटे अस्पताल में ट्रामा सेंटर नहीं है लेकिन उन अस्पतालों के आगे ट्रामा सेंटर सुविधा का बोर्ड जरूर लगा दिख जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 08:22 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 08:22 PM (IST)
बोर्ड है ट्रामा सेंटर का, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाएं हैं शून्य
बोर्ड है ट्रामा सेंटर का, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाएं हैं शून्य

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: जिले के बड़े अस्पतालों को छोड़ दें, तो किसी छोटे अस्पताल में ट्रामा सेंटर नहीं है लेकिन उन अस्पतालों के आगे ट्रामा सेंटर सुविधा का बोर्ड जरूर लगा दिख जाएगा। एक ट्रामा सेंटर सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टरों व अन्य सुविधाओं से लैस होता है लेकिन शहर के जिन छोटे अस्पतालों में ट्रामा सेंटर का बोर्ड लगा है उनमें सुविधा के नाम पर कुछ नहीं होता। उनमें गंभीर चोटिल मरीज को इलाज देने के नाम पर कुछ नहीं मिलेगा। अगर शहर के बड़े अस्पतालों को छोड़ दे, तो किसी में स्पेशलिस्ट या सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टरों की वह टीम नहीं है जो एक ट्रामा सेंटर में होनी चाहिए। इन अस्पतालों में इलाज रामभरोसे होता है।

इनके साइन बोर्ड पढ़कर लोग मरीज को लेकर तो आते हैं, मगर उनके साथ एक तरह से ठगी ही होती है। ऐसे कई अस्पताल दिल्ली-अलवर हाईवे स्थित सोहना में खुले हुए हैं। जिनके संचालक घायल या मरीज के इलाज के नाम पर स्वजन की जेब पर डाका डाल रहे हैं। हालांकि जब से शहर में बड़े अस्पताल खुले हैं लोग बड़े अस्पताल ही घायल को लेकर जाते हैं। पुलिस भी जिला अस्पताल या बड़े प्राइवेट अस्पताल हादसे में घायल व्यक्ति को पहुंचाती है। संवाददाता द्वारा सोहना के ट्रामा सेंटर में तो कोई डाक्टर ही नहीं मिला। पूछने पर मौजूद एक युवक खुद को डाक्टर बताया, डिग्री क्या है तो बीएमएस बताया। अन्य विशेषज्ञ डाक्टर के बारे में पूछा तो जवाब मिला वह आन-काल आते हैं। कई बार मांग उठी, लेकिन नहीं बना सेटर

दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर कई बार ट्रामा सेंटर बनाने की मांग उठती रही है। पूर्व केंद्र कांग्रेस सरकार से लेकर वर्तमान केंद्र सरकार में घोषणाएं हुई है कि राष्ट्रीय राजमार्ग ट्रामा सेंटर बनाया जाएगा लेकिन नहीं बन पाया।

हमारे पास ऐसे कोई अधिकार नहीं है कि हम जाकर जांच करें कि किस अस्पताल में कितनी सुविधा है या नहीं। जब किसी की शिकायत पर जांच करने के आदेश आते हैं तो जांच की जाती है। इमरजेंसी केस में बगैर डिग्री व विशेषज्ञता के किसी घायल या बीमार का उपचार करना गंभीर अपराध है। अस्पतालों की लापरवाही से जुड़े या बिना डिग्री उपचार के मामले में शिकायत मिलने पर हम कार्रवाई करते हैं।

- डा. विरेंद्र यादव, सिविल सर्जन।

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