प्राइवेट बैंकों में ज्यादा से ज्यादा खाते खोलने के चक्कर में होते हैं फर्जीवाड़े

निजी बैंक ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को अपने साथ जोड़ने के लिए नियम कानून को भी दरकिनार कर देते हैं। खाते खोलने और दूसरे कामों के लिए निजी बैंक अस्थायी तौर पर कर्मचारी भर्ती कर लेते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 08:40 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 08:40 PM (IST)
प्राइवेट बैंकों में ज्यादा से ज्यादा खाते खोलने के चक्कर में होते हैं फर्जीवाड़े
प्राइवेट बैंकों में ज्यादा से ज्यादा खाते खोलने के चक्कर में होते हैं फर्जीवाड़े

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: निजी बैंक ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को अपने साथ जोड़ने के लिए नियम कानून को भी दरकिनार कर देते हैं। खाते खोलने और दूसरे कामों के लिए निजी बैंक अस्थायी तौर पर कर्मचारी भर्ती कर लेते हैं। उनको खाता खोलने के लिए महीने का लक्ष्य दे दिया जाता है। पालम विहार स्थित एचडीएफसी बैंक की शाखा में दीपिका भल्ला के नाम से फर्जी खाता खोले जाने की घटना ने निजी बैंकों की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।

मानव रचना शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष डा. प्रशांत भल्ला का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर दस करोड़ की बीमा राशि हड़पने की साजिश सामने आने के बाद बैंक कर्मियों की कार्यशैली और बीमा कंपनियों एक कर्मियों पर शक की सुई घूम रही है। बैंक और बीमा कंपनी में लोग अपने पूरे रिकार्ड को पूरी तरह से गोपनीय समझते हैं। पर इस मामले के बाद लोग भी चितित हैं कि बैंक और बीमा कंपनी में भी उनका रिकार्ड गोपनीय नहीं है। पूरे मामले में पुलिस इसी पहलू से जांच कर रही है कि जालसाजी करने वालों में वही व्यक्ति शामिल जो बैंक और बीमा कंपनी में पहले काम कर चुके हैं।

खाता खोले जाने संबंधी या धोखाधड़ी होने संबंधी मामले निजी बैंकों के ही सामने आते हैं। इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। निजी बैंकों ने खाता खोलने के लिए अस्थायी कर्मचारी रख लेते हैं। इन कर्मचारियों को महीने का लक्ष्य तय कर दिया जाता है कि उन्होंने एक माह में इतने खाते खोलने हैं। उसके आधार पर ही कर्मचारियों का वेतन तय किया जाता है। लक्ष्य पूरा करने के लिए इस तरह के कर्मचारी घर-घर और दुकान दुकान जाकर लोगों से खाता खोले जाने का आग्रह करते हैं। बैंक खाता खोलते समय वैसे तो ग्राहक का केवाईसी (नो योर अकाउंट) वेरीफाई करते हैं। पहले से ही धोखाधड़ी का मन बना चुके कई जालसाज बैंक के इन अस्थायी कर्मियों को फर्जी दस्तावेज के आधार पर भी खाता खुलवा लेते हैं। पूरा केवाईसी वेरिफाई किया जाता है। फर्जीवाड़ा करने वाले कुछ शातिर लोग बैंक अधिकारियों और कर्मियों से भी दो कदम आगे होते हैं। खाता खुलवाते समय आधार कार्ड और दूसरे कागजात चेक किए जाते हैं। बायोमीट्रिक मशीन से उसके अंगूठे के निशान लिए जाते हैं। लाकडाउन के दौरान बायोमीट्रिक मशीन बंद करने के कारण कोई शातिर दिमाग व्यक्ति खाता खुलवाने में कामयाब हो गया हो इस बात की जांच होनी चाहिए।

प्रहलाद गोदारा, महाप्रबंधक, अग्रणी बैंक, गुरुग्राम खाता खोलने वाले बैंक कर्मी ने लापरवाही की या किसी बैंक कर्मी की मिलीभगत हो सकती है। कई बैंक अपनी परफार्मेंस बढ़ाने के लिए अस्थायी रूप से कर्मचारियों को खाता खोलने के लिए भर्ती कर लेते हैं। उन पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए। स्थायी कर्मचारी ही खाता खोलें ताकि लोगों का रिकार्ड पूरी तरह गोपनीय रह सके।

पुण्य पाल, फाइनेंशियल लिट्रेसी काउंसलर (एफएलसी)

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