दसवीं में पढ़ाई के दौरान ही मतांतरण करने वाले गिरोह के जाल में फंस गया था मन्नू

बाबूपुर गांव के रहने वाले मन्नू यादव के माता-पिता बेटे के इस्लाम धर्म अपनाने से सकते में हैं। उनको खुद नहीं मालूम कि कैसे उनका बेटा इस्लाम धर्म के प्रति रुचि लेने लगा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 08:16 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 08:16 PM (IST)
दसवीं में पढ़ाई के दौरान ही मतांतरण करने   वाले गिरोह के जाल में फंस गया था मन्नू
दसवीं में पढ़ाई के दौरान ही मतांतरण करने वाले गिरोह के जाल में फंस गया था मन्नू

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: बाबूपुर गांव के रहने वाले मन्नू यादव के माता-पिता बेटे के इस्लाम धर्म अपनाने से सकते में हैं। उनको खुद नहीं मालूम कि कैसे उनका बेटा इस्लाम धर्म के प्रति रुचि लेने लगा। राजीव यादव का बेटा मन्नू मूक-बधिर है। बेटे को बेहतर शिक्षा दिलाने और अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए उसको नोएडा की डेफ सोसायटी में भेजना शुरू किया था। वहां उनका बेटा बड़े गिरोह द्वारा मतांतरण के लिए प्रेरित किया गया।

वर्ष 2017 में दसवीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान ही उसने ऊंचा पाजामा पहनना और दाढ़ी बढ़ाना शुरू कर दिया था। घर में ही नमाज पढ़ना शुरू किया तो माता-पिता ने इसका विरोध किया। माता पिता ने समझाया बुझाया तो वह मान गया। उसके बाद वह तिलक लगाकर हनुमान जी की पूजा करने लगा था। मगर उसके बाद जुलाई 2020 में फिर उसके व्यवहार में बदलाव दिखने लगा। वह हास्टल में रहने की जिद करने लगा था। परिवार के लोगों ने मना कर दिया। 16 फरवरी 2021 को तो मन्नू यादव ने पूरी तरह मतांतरण की घोषणा कर दी।

परिवार को दिखाया हलफनामा

11 जनवरी 2021 को मन्नू ने परिवार वालों को एक हलफनामा दिखाया जिसमें लिखा था कि मैं मन्नू यादव अब पूरी तरह से इस्लाम धर्म कबूल कर चुका हूं। मैंने अपना नाम मन्नू यादव से बदलकर अब्दुल मनान रख लिया है। इस पर उसके माता-पिता ने फिर से दिन-रात उसको समझाने और मनाने का प्रयास किया। जब उसने किसी की बात को भी मानने से मना कर दिया तो उसके पिता राजीव यादव उपायुक्त से मिलने पहुंचे। नहीं मिली मदद

परिवार ने उपायुक्त को लिखित ज्ञापन देकर पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। राजीव यादव पुलिस आयुक्त कार्यालय में भी मदद की गुहार के साथ पहुंचे। वहां एक महिला अधिकारी ने मदद करने के बजाय बेटे को किसी तांत्रिक को दिखाने की सलाह दी। राजीव यादव उसके बाद डीसीपी से मिले वहां से एसीपी के पास भेजा गया। एसीपी ने उन्हें थाना प्रभारी से मिलने की सलाह दी। थाना प्रभारी से मिले तो वहां से भी उनको कोई मदद नहीं मिली। राजीव का कहना है अगर प्रशासन उनकी मदद करता तो उनके साथ यह घटना होने से टल सकती थी। उत्तर प्रदेश की एटीएस ने जो मतांतरण करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। यह गुरुग्राम पुलिस कर सकती थी।

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