ऐसे बिताएं दिन: भाग-दौड़ में उम्र कैसे निकल गई समझ ना सका

कोरोना जैसी आपदा ने जैसे जीवन की गाड़ी में ब्रेक सी लगा दी और फिर शुरू हुई एक नयी जिंदगी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Mar 2020 07:45 PM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2020 07:45 PM (IST)
ऐसे बिताएं दिन: भाग-दौड़ में उम्र कैसे निकल गई समझ ना सका
ऐसे बिताएं दिन: भाग-दौड़ में उम्र कैसे निकल गई समझ ना सका

कोरोना जैसी आपदा ने जीवन की गाड़ी में जैसे ब्रेक सी लगा दी है और फिर शुरू हुई एक नई जिंदगी। महामारी की रोज-रोज की खबरों के बीच अनिवार्य घरबंदी और बिना नौकर चाकर, वाहन, चालक एवं घरेलू मदद की जिदगी कैसी होती है अब पता चला। दोनों बच्चे अमेरिका में कार्यरत हैं। यहां हम पति-पत्नी और एक ब्रिटनी (डॉगी) हैं। प्रात:काल से ही बच्चों की कुशल मंगल की जानकारी से दिन की शुरुआत करते हैं। टेरेस गार्डन में गरम चाय की चुस्कियां लेते हैं। पत्नी 'ममता' के संग बागबानी और ठंडी हवा की तरंगों में बहते पुरानी हिदी फिल्मों के गीत इतने मधुर कभी नहीं लगे। सालों पुराना कविताएं और शायरी लिखने का शौक फिर से जागृत हुआ। सिस्टम की धूल साफ की और गीत गाने लगे। घर की छत पे चिड़ियां चहचाहने लगी हैं। मोर के बोलने की तो बात ही कुछ अलग है। घर के साथ अरावली की वादियों का नजारा ही अलग है। भागदौड़ भरी जिदगी में कभी चिड़ियों की चहचहाहट और मोर की पीहू-पीहू सुनने का मौका ही नहीं लगा। घर का काम साफ-सफाई, बर्तन-चौका, कपड़े धोने आदि में पत्नी का हाथ बंटाने का सुखद एहसास हो रहा है। एक प्रण भी लिया कि बातचीत की भाषा में अंग्रेजी का प्रयोग वर्जित है। अब घर में सिर्फ मातृभाषा ही बोली जाएगी। कितनी मीठी है ये हमारी बोली। सारा हिदी साहित्य चाट डालने का विचार है इन दिनों में।

-मनोज कुमार , मैनेजिग डायरेक्टर, स्टेलर एविएशन सलूशन प्राइवेट लिमिटेड (निवासी: वैली व्यू स्टेट)

बड़े दिनों बाद माता-पिता और पत्नी के साथ शाम की चाय का आनंद मिला

पूरा देश ही क्या दुनिया इस समय कठिन दौर से गुजर रही है। ऐसा समय कभी ना आए। कंपनी के काम की भागमभाग में घर पर कभी इतना समय नहीं दिया। घर में माता-पिता भी हैं। उनके साथ खाना खाने तक का वक्त नहीं मिल पाता था। सुबह जल्दी उठे, नहा-धोकर ऑफिस के लिए निकल गए। शाम को भी देर रात तक आना होता था। उसमें भी कभी घर पर खाना खाया कभी ऑफिस से ही खा कर आ जाते थे। पत्नी नंदिता कौल भी फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड में प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। वह भी कंपनी के काम में अक्सर व्यस्त रहती हैं। सात माह का बेटा आहान है। उसे भी समय नहीं दे पा रहे थे। अब यह देश दुनिया के लिए बुरा दौर है, पर इसमें इतना तो हुआ कि परिवार के साथ मिल बैठकर खाना खा रहे हैं। माता-पिता के साथ बैठकर चाय पीने का मौका मिल रहा है। उनके साथ ऊनो भी खेल लेते हैं। ऑफिस का काम भी घर से ही चल रहा है। माता-पिता के साथ बैठकर इत्मीनान से चाय पीते हैं। उनके साथ गपशप करने का भी मौका मिल रहा है। घर में घरेलू सहायिका को भी छुट्टी दे दी है, तो घर के सारे कामकाज खाना बनाने से लेकर साफ-सफाई और बर्तन धोने तक की जिम्मेदारी खुद ही निभानी पड़ रही है। ऐसा मौका पहले कभी मिला ही नहीं। अब सब ने अपने अपने काम बांट लिए हैं। सब मिलजुल कर घर का काम भी निपटा रहे हैं। कोई सब्जी काट लेता है, और रोटी बना लेता है। कोई सब्जी बना लेता है। ऑफिस का काम भी देखना पड़ता है। वह भी कर रहे हैं। ऑफिस का काम तो अभी भी उतना ही है, पर इसमें इतना सुकून मिल रहा है कि जो सफर में और ट्रैफिक जाम में समय खराब होता था, वह पूरा समय घर में दे रहे हैं। घर में रहकर खूब आनंद आ रहा है। बस भगवान से यही कामना है कि कोरोना वायरस जैसी इस वैश्विक महामारी से जल्द राहत मिल जाए।

-आशीष कौल, सीनियर मैनेजर, अमेरिकन एक्सप्रेस (निवासी: पार्क व्यू सोहना रोड)

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