वस्त्र निर्यातकों के पास आर्डर पूरा, मुनाफे का मार्जिन कम
यशलोक सिंह गुरुग्राम वैश्विक महामारी कोविड-19 की दस्तक के बाद से ही मंदी की मार झेल रही वस्त्र निर्यातक इकाइयों में आजकल काम की भरमार है लेकिन उन्हें मुनाफे के मार्जिन से समझौता करना पड़ रहा है।
यशलोक सिंह, गुरुग्राम
वैश्विक महामारी कोविड-19 की दस्तक के बाद से ही मंदी की मार झेल रहे वस्त्र उद्योग के लिए अक्टूबर अच्छे दिन लेकर आया है। इस समय विदेशी आर्डर के मामले में गुरुग्राम का वस्त्र उद्योग अपनी पुरानी लय में आता दिख रहा है। वस्त्र निर्यातकों का कहना कि उनके लिए यह अच्छी बात है कि आर्डर का सूखा अब समाप्त हुआ है, लेकिन इसकी कीमत मार्जिन के साथ समझौता करके चुकाना पड़ रहा है। यदि मार्जिन के साथ समझौता नहीं किया जाता तो भारत के विदेशी मार्केट पर वियतनाम, बांग्लादेश और चीन का कब्जा हो सकता है। जहां पहले 15 से 20 प्रतिशत का मार्जिन विदेशी आर्डर पर होता था, इस बार पांच से 10 फीसद के मार्जिन पर काम करना पड़ रहा है।
वस्त्र निर्यातकों का कहना है कि परिधानों के उत्पादन से संबंधित कच्चे माल की कीमत लगातार बढ़ रही है। इससे उत्पादन लागत बढ़ गई है। गुड़गांव उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष, प्रवीण यादव का कहना है कि काटन यार्न की कीमत काफी बढ़ गई है। वहीं, परिधानों के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले जिप, बटन आदि के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं। इससे उत्पादन लागत लगातार बढ़ रही है। जबकि, जब एग्रीमेंट हुआ होता है, उस समय कच्चे माल की कीमत कुछ और होती है, लेकिन आर्डर पूरा करने तक इसमें काफी इजाफा हो जाता है। इससे लागत निकलना भी मुश्किल हो जाता है।
उद्यमी रितेश खन्ना का कहना है कि नए आर्डर लेने में निर्यातक अब काफी सावधानी बरत रहे हैं। फिलहाल अब जो आर्डर आए हैं, उन्हें ही सफलता से पूरा कर लिया जाए, वही बेहतर है। गुरुग्राम की 1,200 से अधिक वस्त्र निर्यात इकाइयों के लिए यह शुभ संकेत है कि इस बार समर सीजन के अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, सिंगापुर, ब्रिटेन और इजिप्ट के बायर्स की ओर से भरपूर आर्डर मिले हैं। गुरुग्राम से वस्त्र निर्यात के आंकड़े
वर्ष निर्यात (लाख रुपये में)
2014-15 1,97,205
2015-16 2,29,165
2016-17 86,455
2017-18 92,872
2018-19 98,677
2019-20 1,01,728
2020-21 84,680(अनुमानित)
वर्जन
आर्डर में किसी प्रकार की कमी नहीं है। अमेरिका और यूरोप के देशों से भरपूर आर्डर मिला है। इस पर काम शुरू भी हो गया है। आर्डर पर मार्जिन तो घटा ही है, साथ ही वस्त्रों से संबंधित कच्चे माल की कीमत बढ़ने से समस्या आ रही है। इस कारण नया आर्डर लेना फायदे का सौदा साबित नहीं हो रहा है। अब निर्यातक नए आर्डर नहीं ले रहे हैं।
-सौरभ जुनेजा, एमडी, काटन क्राफ्ट विदेश से आर्डर मिलने के मामले में अक्टूबर काफी खास रहा। एक्सपोर्टरों के पास इस समय काफी काम है। आर्डर पूरा करने को लेकर फैक्ट्रियों में लगातार काम चल रहा है। इस बार मार्जिन के साथ समझौता करना पड़ रहा है। जहां पहले विदेशी आर्डर पर 15 से 20 फीसद तक का मार्जिन आता था, अब यह घटकर पांच से 10 प्रतिशत के बीच ही रह गया है।
-सत्येंद्र सिंह, महाप्रबंधक, ईस्ट एंड वेस्ट एक्सपोर्ट