वसूली के आरोपित किसलय पांडेय को भगोड़ा घोषित कराने की तैयारी

कभी पुलिस अधिकारी बनकर कभी आयकर अधिकारी बनकर विभिन्न कंपनियों से करोड़ों रुपये वसूलने के आरोपित डा. किसलय पांडेय को अदालत से भगोड़ा घोषित कराने की तैयारी उद्योग विहार थाना पुलिस ने शुरू कर दी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 05:29 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 05:29 PM (IST)
वसूली के आरोपित किसलय पांडेय को भगोड़ा घोषित कराने की तैयारी
वसूली के आरोपित किसलय पांडेय को भगोड़ा घोषित कराने की तैयारी

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: कभी पुलिस अधिकारी बनकर कभी आयकर अधिकारी बनकर विभिन्न कंपनियों से करोड़ों रुपये वसूलने के आरोपित डा. किसलय पांडेय को अदालत से भगोड़ा घोषित कराने की तैयारी उद्योग विहार थाना पुलिस ने शुरू कर दी है। रेड कार्नर नोटिस जारी किए जाने के बाद भी किसलय पुलिस की पकड़ से बाहर है। कभी दुबई, कभी थाईलैंड में तो कभी किसी और देश में होने की सूचना सामने आती है। सही मायने में वह कहां है, इस बारे में पुलिस को कोई जानकारी नहीं है। उत्तर प्रदेश के नोएडा में फ्लैट से करोड़ों की लूट के मामले को लेकर उसके बारे में जानकारी लेने मंगलवार को नोएडा पुलिस भी यहां पहुंची थी।

गुरुग्राम के उद्योग विहार थाने में चार जून 2019 को एक मामला दर्ज किया गया था। रियल एस्टेट सेक्टर व निजी फाइनेंस कंपनी इंडिया बुल्स ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ 10 करोड़ रुपये की डिमांड करने का मामला दर्ज कराया था। छानबीन में उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा निवासी डा. किसलय पांडेय का नाम सामने आया था। छानबीन आगे बढ़ी तो पता चला कि उसका पिता राममणि पांडेय भी शामिल है। उद्योग विहार थाना पुलिस ने दोनों की गिरफ्तारी को लेकर तैयारी शुरू कर दी थी। इसका आभास होते ही किसलय देश छोड़कर फरार हो गया लेकिन राममणि पुलिस के हत्थे चढ़ गया। लगभग एक साल तक वह भोंडसी जेल में रहा। कोविड के दौरान जमानत दिए जाने वाले वाले कैदियों के साथ उसे भी जमानत दे दी गई।

मामले की जांच कर रहे उद्योग विहार के थाना प्रभारी इंस्पेक्टर सतबीर सिंह ने बताया कि डा. किसलय के खिलाफ गुरुग्राम के अलावा दिल्ली एवं नोएडा में भी कई मामले दर्ज हैं। बताया जाता है कि उसने कई कंपनियों से वसूली की थी। इंडिया बुल्स के कार्यालय में फोन कर कहा था कि उसे कंपनी के बारे में काफी जानकारी है। आयकर विभाग से लेकर ईडी तक को जानकारी दे देगा। अगर कंपनी ऐसा नहीं चाहती है तो उसे 10 करोड़ रुपये दे।

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